हमने एक बार की तनख्वाह ली जिसमे से हमे कितनी बार देना होगा टैक्स इसका कोई जवाब दे खासकर मोदी जी जिम्मेदारी है बनती है आप की।
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मेरी तनख्वाह में कितनी बार हमे टैक्स चुकाना होगा कोई जवाब हो तो बताया जाए मोदीजी
हमने तीस दिन अर्थात एक माह काम किया बदले मे तनख्वाह ली जिसमे से टैक्स भर दिया।
मोबाईल खरीदा – एक भी टैक्स भर दिया फिर उसका रिचार्ज कराया तो टैक्स भरना पड़ा।
देता लिया तब भी टैक्स भरना पड़ा।
उसके बाद
घर की बिजली ली- नया मीटर लगाया तब भी भरना पड़ा हमे टैक्स ।जब घर खरीदा तो देना पड़ा जरूरी टैक्स। घर मे टीवी फ्रिज नही था जब उसे खरीदा गया तो भरना पड़ा टैक्स। फिर एक कार खरीदी हमने तो उस समय भी हमे टैक्स देना पड़ा। जिस के लिए पेट्रोल और सीएनजी का करना पड़ा इंतजाम जिसके बगैर गाड़ी को गति मिलना मुश्किल है तो हमे भरना पड़ा टैक्स।
नौकरी सर्विस से हो गए रिटायर्ड तब भी देना पड़ा टैक्स।
खरीदी गई कार रास्ते पर दौड़ने लगी तब भी भर देना पड़ा टैक्स और फिर से देना पड़ा टोल नाकों पर टैक्स, कार निर्माण परवाना के वक्त भी दिया हमने टैक्स। ड्राइविंग परवाना, लाइसेंस के समय भी देना पड़ा टैक्स।
गौर तलब है कि गाड़ी,या कार चलाते समय आप ने थोड़ी सी मामूली सी कोई गलती की हो तो आप सबको भरना पड़ा होगा टैक्स। कार चलाकर थक गए भूख लगी तो नजदीकी पार्किंग की जगह में गाड़ी खड़ी करनी पड़ी तब भी देना पड़ा टैक्स, रेस्टोरेंट में घुसे और खाना खाया। तब भी बिल के साथ देना पड़ा टैक्स। पानी पिया,और भी जरूरी हुआ इसे खरीदना तब भी देना जरूरी हुआ टैक्स।
घर में राशन गल्ला भर दिया तो देना पड़ा टैक्स
बाजार और माल ने कपड़ों की कराई खरीदी तब चुकाना पड़ा भरपूर टैक्स। शूज खरीदते समय भी नही बख्शा दुकानदार ने और जो न लेना था मगर हंसते हंसते खुशी दर्शाते लिया हम से टैक्स।
आज तक आप सभी ने अनेकोबर असंख्य बेहिसाब वस्तुए खरीदी होगी मगर आपको भी जरूर भरना पड़ा टैक्स।
शौचालय के लिए भी देना पड़ा टैक्स।
मेडिकल से डिक्ट्र ने लिखी दवाई खरीदी उस समय हर महीने दे ने हुए टैक्स।।जब गैस सिलेंडर लिया तो चुकाना पड़ा टैक्स।
और भी सैंकड़ों बात पर हमे चुकाना पड़ा टैक्स।
कुछ जगह फीस चुकानी पड़ी। तो कही लाइट बिल भर दिए उस वक्त भी नही बख्शा किसी अधिकारी ने और ले लिया टैक्स । जब उधारी के कर्ज के समय हफ्ता भरना पड़ा तो देना पड़ा टैक्स। कहीं सरकारी कार्यालय की जगह भी चुकानी पड़ी दंडात्मक टैक्स की रकम।तो कोई रिश्वत के नाम से देने पड़े रुपए,। इतना सब कुछ सहते हुए हम ने अगर गलती से बैंक मे सेविंग करी तब भी नही छूटा हमारा टैक्स से पीछा। वहां भी चुकाना पड़ा टैक्स।
आजीवन काम ,सर्विस के बाद भी सामाजिक सुरक्षा मिली नही,कोई पेन्शन का भी प्रावधान नहीं
वैद्यकीय सुविधा का भी कोई लाभ नहीं। बच्चों की पढ़ाई और इल्म पाने के लिए कोई अच्छा बढ़िया स्कूल नही।सार्जनिक सुविधा से वंचित रहना पड़। कोई सरकारी दवाइयों की फ्री में मदद नही मिल रही।
शहर में रह ते रस्ते खराब खस्ता हाल सड़के, और सड़क की पथ लाइट भी खराब हैं,हवा खराब, पानी खराब , फल भाजी खराब और जहर से पूर्ण है।जो बीमारी को बढ़ावा दे सकती हैं
वाखाना अस्पताल की हालत दयनीय और महंगा होता जा रहा इलाज। महागाई की मार अनपेक्षित खर्च और खतरे सब जगह लाइन में खड़ा रहना पड़ता हैं।ट्रेन बस बीएमसी और भी कई जगह जगह पर देना पड़ रहा टैक्स। जन्म से लेकर मारने तक हम और आप सब ने भरा है टैक्स , मारने के बाद स्मषान भूमि तक या कब्रस्तान तक दफनाने तक भी पीछा नही छोड़ा महाभयनक टैक्स ने।
एक बड़ा सवाल ये सब पैसा गया किधर
भ्रष्टाचार के मुंह में?
चुनाव में
अमीरों लोगों की अनुदान में या रिश्वतखोरों की रिश्वतखोरी में? भगौड़े बैंक चीटर लोगों के खाते में या
स्विस बँक में,नेताओं के बंगलो में या कहीं और जगह? कहां गई ये खरबो टैक्स की अकूत संपत्ति?
सामान्य जनता को बनाया जा रहा झंडू।
अब किसे कहा जाए कि इस सबके लिए जिम्मेदार कौन और असली चोर कौन है?