वो कोई हमारे दुश्मन नहीं हमदर्द थे;बृजेश सिंह

यूपी

संवाददाता
सुल्तान

बृजेश सिंह बोले— मुख्तार अंसारी से था गहरा रिश्ता, अब दुश्मन नहीं हमदर्द

उत्तर प्रदेश की सियासत में जिन दो नामों को एक-दूसरे का कट्टर विरोधी माना गया
, अब उनमें से एक का रुख अचानक बदल गया है। बृजेश सिंह ने हाल ही में एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा है कि उनका और मुख्तार अंसारी का रिश्ता “बहुत करीबी” और “गहरा” रहा है।

बृजेश सिंह ने दावा किया कि अफजाल अंसारी ने ही मुख्तार को गलत रास्ते पर धकेला। उनके मुताबिक, मुख्तार अंसारी उस वक्त बहुत कम उम्र के थे और उनके सोचने-समझने की क्षमता उतनी परिपक्व नहीं थी। बृजेश ने कहा कि अफजाल ने अपने छोटे भाई को अपराध की दुनिया में इसलिए धकेला ताकि राजनीतिक और आर्थिक रूप से लाभ उठाया जा सके।
यह बयान चौंकाने वाला इसलिए है क्योंकि दोनों गुटों के बीच एक दौर में बेहद खूनी टकराव हुआ था। एक समय मुख्तार अंसारी के काफिले पर हुए हमले में कुछ लोग मारे गए थे। ऐसी भी खबर आई थी कि खुद मुख्तार अंसारी की जान उस हमले में बाल-बाल बची थी।

इसके बाद बृजेश सिंह लंबे समय तक भूमिगत रहे। फिर जब राजनीतिक परिस्थितियाँ बदलीं, बीजेपी सत्ता में आई, तो बृजेश सिंह की ताकत बढ़ती गई और मुख्तार अंसारी पर शिकंजा कसता चला गया। उसी मुख्तार अंसारी के प्रति अब हमदर्दी जताना और सार्वजनिक रूप से रिश्तों की बात करना, राजनीतिक हलकों में हैरानी और चर्चा का विषय बना हुआ है।
बृजेश सिंह ने यह भी कहा कि मुख्तार अंसारी का असली शोषण अफजाल अंसारी ने किया। उनका कहना है कि अफजाल ने ही मुख्तार को अपराध की दुनिया में उतारा और बाद में खुद राजनीतिक लाभ कमाया।

बयान ऐसे समय में आया है जब मुख्तार अंसारी अब इस दुनिया में नहीं हैं। उनकी मौत को लेकर पहले ही तमाम सवाल उठाए जा चुके हैं। मौत से तीन घंटे पहले उन्होंने अपने बेटे उमर अंसारी और बहू से कॉल पर बात करते हुए कहा था कि परसों बृजेश सिंह के एक मामले में उनसे ऑनलाइन गवाही ली गई थी, और उसी दौरान वे जहर के बुरे असर के कारण बेहोश हो गए थे।
सवाल यह है कि जिस दुश्मनी ने दशकों तक पूर्वांचल की राजनीति और अपराध की तस्वीर को प्रभावित किया, उसमें अचानक यह बदलाव क्यों आया? क्या यह आत्ममंथन है, पछतावा है या कोई रणनीतिक सियासी संकेत?

मुख्तार की विरासत अब उनके दोनों बेटे—अब्बास अंसारी और उमर अंसारी—संभाल रहे हैं। ऐसे में बृजेश सिंह का यह रुख भविष्य की राजनीति और समीकरणों को किस दिशा में ले जाएगा, यह देखना दिलचस्प होगा।

इसमें हैरानी वाली क्या बात है मुख्तार अंसारी को वैसे भी ये लोग खत्म कर चुके हैं। अब अफजाल अंसारी या अफजाल अंसारी के राजनीतिक कैरियर को खत्म करने की तैयारी चल रही है ये बयान इसी षड्यंत्र का एक हिस्सा है।

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