वो केवल इस्लाम के लिए ही नही बल्कि पूरी कायनात के लिए रहमत ही रहमत है,जानिए हुजूर मुहम्मद सलल्लाहू अलैहि वो सल्लिम के बारे में कुछ खास रोचक जानकारी

रसूल-अल्लाह सललल्लाहू अलैही वसल्लम दरमियानी क़द के थे , ना बहुत लंबे और ना छोटे क़द वाले , रंग खुलता हुआ था , ना बिल्कुल सफेद और ना ही बिल्कुल गंदूम के जैसा, आप सललल्लाहू अलैही वसल्लम के बाल ना बिल्कुल मुड़े हुए सख़्त क़िस्म के थे और ना सीधे लटके हुए ही थे।

नुज़ूल ए वही के वक़्त आप सललल्लाहू अलैही वसल्लम की उमर 40 साल थी, मक्का में आप सललल्लाहू अलैही वसल्लम ने 10 साल क़याम फरमाया और इस पूरे अरसे में आप पर वही नज़िल होती रही, और मदीना में भी आप सललल्लाहू अलैही वसल्लम ने 10 साल क़याम किया। आप सललल्लाहू अलैही वसल्लम के सिर और दाढ़ी मुबारक में 20 बाल भी सफेद नही हुए थे। आप सललल्लाहू अलैही वसल्लम का सीना बहुत कुशादा और खुला हुआ था , आप सललल्लाहू अलैही वसल्लम के
बाल कानो की लौ तक लटके रहते थे।

अनस रदी अल्लाहू अन्हु कहते हैं कि मैने आप सललल्लाहू अलैही वसल्लम से ज़्यादा हसीन वो जमाल, खूबसूरत किसी को नही देखा। रसूल-अल्लाहसललल्लाहू अलैही वसल्लम का चेहरा चाँद की तरह खूबसूरत था, जब भी रसूल-अल्लाहसललल्लाहू अलैही वसल्लम किसी बात पर खुश होते तो चेहरा ए मुबारक चमक उठता था ऐसा मालूम होता जैसे चाँद का टुकड़ा हो और हम आपके चहरे से आपकी खुशी को जान लेते। सुभानल्लाह।

अनस रदी अल्लाहू अन्हु ने फरमाया कि रसूल-अल्लाह सललल्लाहू अलैही वसल्लम की हथेली से ज़्यादा नरम और नाज़ुक कोई हरीर और देबाज़ (रेशम) मेरे हाथो ने नही छुआ और रसूल-अल्लाह सललल्लाहू अलैही वसल्लम की खुश्बू से बेहतर और पाकीज़ा खुश्बू या अतर मैने कभी नही सूँघा। रसूल-अल्लाह सललल्लाहू अलैही वसल्लम पर्दा नशीन कुवारि लड़कियों से भी ज़्यादा शर्मीले थे।
(सहीह बुखारी हदीस 3547, 3551, 3552, 3556, 3561, 3562 )

हुजूर S A S की वालिदा हजरत बीबी आमिना R A A फरमाती है कि हुजूर S A S की पैदाइश जो बादल आया था वो खुद ही छट गया तो मैंने देखा आप S A S. रेशम के हरे कपड़े में लिपटे हुए है। उस कपड़े के से पानी टपक रहा है। कोई ऐलान करने वाला है ऐलान कर रहा है कि वाह वाह क्या मुहम्मद S A S को तमाम कायनात पर रहमत बनकर कब्जा दिया गया और पूरी दुनिया की कोई चीज बाकी नही रही जिस पर आपका गलाबा और कब्जा ना हो। जब मैंने चेहरा ए अनवर को देखा तो चौदहवीं रात के चांद की तरह चमक रहा था।आप के बदन से पाकीजा मुश्क की खुशबू आ रही थी सारा घर ही नही पूरी दुनिया रोशनी वो खुशबू से मुआतर था।

ऐसे में मुझे तीन हजरात नजर आए एक के हाथ में चांदी का लोटा,दूसरे के हाथ में हरा जमुर्रद का तश्त, और तीसरे के हाथ में एक चमकदार अंगूठी थी। जिसे सात मर्तबा धोकर उस से आप S A S के दोनो कंधों के बीच मोहर ए नबूव्वत लगा दी। फिर हुजूर S S को रेशमी कपड़े में लपेट कर उठाया और मेरे सुपुर्द कर दिया। हो दुरूद तुझ पर भी आमिना R A A और तेरे चांद पर भी दुरूदो सलाम हो। तेरी गोद में कितनी अज़ीम है मिला तुझको तमाम है।सुभानल्लाह

संवाद
जैनुल आबेदीन,
मो अफजल इलाहाबाद,

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