वह जब सेना में कर्नल साहब का ड्राइवर था,रिटायर होते ही बॉस के नाम का करने लगा दुरुपयोग खुद बना फर्जी कर्नल और शुरू किया ठगी का गोरख धंधा

यूपी
संवाददाता

सेना में जिस कर्नल का ड्राइवर था, रिटायर होते ही उनके नाम का बना फर्जी कर्नल और करने लगा ठगी

यूपी एसटीएफ ने सेना में भर्ती कराने के नाम पर बेरोजगारों से ठगी करने वाले फर्जी कर्नल को गिरफ्तार किया गया है।दर असल में ये आरोपी सेना में नायक ड्राइवर रहा है। जिस कर्नल का ये ड्राइवर रहा रिटायरमेंट के बाद उन्हीं के नाम की वर्दी और नेम प्लेट बनवा ली। इसके बाद खुद को उन्हीं कर्नल का नाम डीएस चौहान बताते हुए लोगों पर रौब झाड़ने लगा और नौकरी दिलाने के नाम पर लाखों रुपये ठगने लगा।

बताया जाता है कि धोखाधड़ी की मंशा से उसने एक लड़की और उसके भाई से पहले ही सेना में क्लर्क की नौकरी दिलाने के नाम पर 16 लाख रुपये ऐठ लिए थे। इसके बदले दोनों को ज्वाइनिंग लेटर भी दे दिया गया।इसके बाद दोनों जब सेना के असली ऑफिस में पहुंचे तो उन्हें ठगी का अहसास हुआ। इसके बाद सेना अफसरों से शिकायत की गई।

इस मामले को लेकर सेना के अफसरों ने यूपी पुलिस को इस की जानकारी दी। जिसके बाद यूपी एसटीएफ ने जांच शुरू की तो आरोपी फर्जी कर्नल बना सत्यपाल की पोल खुल गई और वह पुलिस के हाथों पकड़ा गया। जब पुलिस इसके पास पहुंची तो वो कर्नल की वर्दी में ही कुछ लोगों से नौकरी दिलाने की बात कर रहा था। पूछताछ में पता चला कि आरोपी दसवीं पास है, और सेना में चालक था। चूंकि कर्नल डीएस चौहान का ड्राइवर था इसलिए उनके बोलचाल की स्टाइल और हावभाव को कॉपी कर लिया था और उसे ही यहां पर आजमाते हुए लोगों को ठगी का शिकार बनाता था। आखिर ये क्या है पूरा मामला. आइए जानते हैं।

मेरठ का सत्यपाल यादव कैसे बना था फर्जी कर्नल डीएस चौहान?

PTI की रिपोर्ट के अनुसार, उत्‍तर प्रदेश पुलिस के विशेष कार्यबल (एसटीएफ) ने कथित तौर पर खुद को सेना में भर्ती बोर्ड का कर्नल बताकर युवाओं से रकम ऐंठने वाले एक पूर्व सैनिक को गिरफ्तार किया है। एक पुलिस अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी। पुलिस के अनुसार, कथित रूप से नाम बदलकर और खुद को भर्ती बोर्ड का कर्नल डीएस चौहान बताकर कई राज्यों के कई जरूरतमंद बेरोजगार युवाओं से मोटी रकम ठगने वाले सत्यपाल सिंह यादव को गिरफ्तार कर मंगलवार को अदालत में पेश किया गया। जहां से उसे जेल भेज दिया गया। आरोपी के खिलाफ गंगा नगर थाने में भारतीय दंड संहिता की धोखाधड़ी, दस्तावेजों में हेराफेरी, साजिश समेत संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।

कर्नल की वर्दी समेत ज्वाइनिंग लेटरऔर प्रिंटर भी बरामद

पुलिस के अनुसार, आरोपी के पास से पांच नियुक्ति पत्र, पांच स्टांप, एक प्रिंटर, कर्नल की वर्दी और एक फर्जी पहचान पत्र बरामद किया गया है। पुलिस ने बताया कि कर्नल बनकर पढ़े-लिखे बेरोजगार युवाओं को ठगने वाला सत्‍यपाल सिंह सिर्फ दसवीं पास है और 2003 में सेना में नायक (चालक) के पद से सेवानिवृत्त हुआ था। वह 1985 में सेना में भर्ती हुआ था। एसटीएफ के अपर पुलिस अधीक्षक (ASP) बृजेश सिंह ने बताया कि सैन्य खुफिया ईकाई और एसटीएफ, मेरठ की संयुक्त टीम द्वारा सोमवार को मेरठ के कसेरु बक्सर निवासी सत्यपाल को गिरफ्तार कर लिया गया।
उनके मुताबिक, जिस समय उसकी गिरफ्तारी हुई, उस समय वह अपने घर पर कुछ लोगों को सेना में भर्ती कराने की बात कर रहा था।

ऐसे अलर्ट हुए थे असली आर्मी अफसर

एएसपी ने बताया कि सत्‍यपाल के घर से मौके पर मिले सुनील कुमार ने अपनी बहन पूनम कुमारी को सेना में एलडीसी क्लर्क के पद पर भर्ती कराने के लिए 16 लाख रुपये दो साल पहले दिए थे। यह रकम लेकर सत्यपाल ने सुनील और उसकी बहन पूनम दोनों के नाम मई में नियुक्ति पत्र दिए थे, लेकिन भाई-बहन नियुक्ति पत्र लेकर सात मई को भर्ती मुख्यालय, लखनऊ पहुंचे तो उन्हें अपने साथ की गई धोखाधड़ी का पता चला तो उनके होश उड़ गए। उन्होंने बताया कि इसके बाद सेना के अधिकारी सतर्क हुए।जांच टीम के अधिकारियों ने बताया कि 2003 में सेना से सेवानिवृत्त होने के तीन साल बाद सत्यपाल लकवाग्रस्त हो गया और फिर उसने पैसा कमाने के लिए जालसाजी शुरू की।

अधिकारियों ने बताया कि सत्यपाल लोगों को झांसे में लेने के लिए कर्नल की वर्दी पहनता था और अपने साथ सैन्य वर्दी पहने कुछ लड़कों को रखता था, ताकि किसी को शक न हो। उन्होंने बताया कि सत्यपाल पुणे में तैनात कर्नल डीएस चौहान की गाड़ी चलाता था, इसलिए कर्नल की तरह बात करने के तरीके से वह भली-भांति परिचित हो गया था। अधिकारियों के मुताबिक, सत्यपाल ने कर्नल डीएस चौहान के नाम की ही नेम प्लेट बनवाई और कर्नल की वर्दी पहनकर धोखाधड़ी का गोरख धंधा शुरू कर दीया।

संवाद; डी आलम शेख

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