राहुल गांधी में जो कुछ है कतई वो तुम में नहीं है मोदी जी

विशेष
संवाददाता

मोदी तुम चाहकर भी राहुल जैसा बेटा नहीं बन सकते।

माँ बूढ़ी हो… बीमार हो तो बेटा उसके पास बैठकर उसकी सेवा करता है।

लेकिन तुम ने क्या किया? नोटबंदी में अपनी बूढ़ी, बीमार माँ को लाइन में खड़ा किया, दूसरों के घर बर्तन मांजने की बातें बार-बार दोहराईं।

मां के अंतिम समय तक तुम उन्हें अपने घर नहीं लाए और न सेवा की और अब जब माँ इस दुनिया में नहीं हैं।
तब भी उनका नाम लेकर कांग्रेस को कोसने का मंच बना रहे हैं।

माँ की याद का मतलब पूजा करना होता है, वोट मांगने का हथियार बनाना नहीं।
राहुल गाँधी से सीखिए।
बीमार माँ के पास रहना, सेवा करना, न कोई दिखावा करना।
ED में 17–18 घंटे सवालों का सामना करना, सुबह अस्पताल में माँ के पास जाना, रात को देश के सवालों का सामना करना।
जन्मदिन मनाना छोड़ देना, तस्वीरें वायरल न करना, और देशवासियों से शांति और सत्याग्रह का संदेश देना।
यही है सच्चा बेटा, वही है सच्चा इंसान।

मोदी, तुम ने माँ को जीते-जी राजनीति में घसीटा, और अब उनके निधन के बाद भी वही कर रहे हैं।
ये कोई इमोशनल कार्ड नहीं है।
ये सिर्फ विक्टिम कार्ड है। दिखावा है। केवल कुर्सी पर चिपक कर बैठने का मंशा है आम जन के लिए फायदे का बाकी कुछ भी नहीं। तुम्हारे इरादों और मंसूबों में राहुल गांधी के भीतर जैसी बातें है उन में से एक कौड़ी की भी अच्छी बात बची नहीं है। तुम्हारी कथनी और करनी में आसमान जमीन का अंतर जैसा फर्क है।

साभार; पिनाकी मोरे

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