राष्ट्र पिता महत्मा गांधी जी के खुद हाथ से लिखे गए वो दो खत जो उर्दू में थे, किसके नाम क्या लिखा था खत में?जाने

परम पूज्य राष्ट्र पिता महत्मा गांधी जी अच्छे खासे उर्दू पढ़े लिखे थे
गांधी जी के हाथ के लिखे हुए दो ख़त जो उर्दू में हैं।

ख़त नंबर 1:

इस ख़त में गांधी जी अल्लामा इक़बाल की वफ़ात पर इज़हार ए अफ़सोस कर रहे है जो ख़त 9 जून 1938 को अपने दोस्त मुहम्मद हुसैन को लिखा था. उस वक़्त गांधी जी यरवदा जेल में थे। ख़त की इबारत ये है।

भाई मुहम्मद हुसैन!
आपका ख़त मिला. डॉक्टर इक़बाल मरहूम के बारे में मैं क्या लिखूं?

लेकिन इतना तो मैं कह सकता हूं कि जब उनकी मशहूर नज़्म “हिन्दोस्तां हमारा” पढ़ी तो मेरा दिल उभर आया और यारवदा जेल में तो सैकड़ों बार मैंने इस नज़्म को गाया होगा. इस नज़्म के अल्फाज़ मुझे बहुत मीठे लगे और ख़त लिखता हूँ तो तब भी वो नज़्म मेरे कानों में गूँज रही है.

आपका
मीम. काफ़. गांधी।

इसी तरह उनके हाथ से उर्दू में लिखा गया
ख़त नंबर 2

ये ख़त बाबा ए उर्दू मौलवी अब्दुल हक़ के नाम है। दिसंबर 1939 में अंजुमन तरक़्क़ी उर्दू की कॉन्फ्रेंस हुई थी। इसमें शिरकत के लिए गांधी जी को भी बुलाया गया था ये ख़त उसी बुलावे का जवाब है। ख़त की इबारत ये है..

भाई साहब!

आपका तार मिला था मुझे दुख है कि आपके जलसे में शामिल नहीं हो सकता हूं। मेरी उम्मीद है कि जलसा हर तरह कामयाब होगा। आप जानते हैं कि मैं उर्दू ज़बान की तरक़्क़ी चाहता हूं. मेरा ख्याल है कि सब हिन्दू जो मुल्क की खिदमत करना चाहते हैं उर्दू लिखें और मुस्लिम हिन्दी सीखें.
सेवा गांव वर्धा.
आपका..

गांधी
26/12/1920

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