मोदी ना तो कोई जात होती है,ना मजहब ना तबका ये सरनेम तो व्यापार करनेवाले अपने नाम के साथ इस्तेमाल किया करते है मोदीजी?

चोरों की हिमायत में बीजेपी का बैकवर्ड कार्ड

हिसाम सिद्दीकी

नई दिल्ली! हजारों करोड़ लेकर भागने वाले नीरव मोदी, ललित मोदी जैसे चोरों और गौतम अडानी जैसे वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी के नजदीकियों को बचाने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने बैकवर्ड कार्ड खेला है जो इंतेहाई अफसोसनाक है। हकीकत यह है कि मोदी न तो कोई जात होती है न मजहब और न तबका, यह सरनेम तो व्यापार करने वाले अपने नाम के साथ लगा लेेते हैं।
देश के जाने माने सनअतकार थे रूसी मोदी, सियासतदां थे पीलू मोदी, वह दोनों पारसी थे।

याद रहे कि लखनऊ में बैडमिंटन के होनहार खिलाड़ी सैय्यद मोदी को उनकी बीवी की वजह से कत्ल करा दिया गया था। वह तो गोरखपुर के रहने वाले सैय्यद घराने से थे। ललित मोदी देश के जाने माने सनअतकार गूजरमल मोदी के पोते और डाक्टर बी के मोदी के बेटे हैं। राजस्थान के मारवाड़ी हैं।तो फिर मारवाड़ी बैकवर्ड कैसे हो गए? खुद पीएम नरेन्द्र मोदी के लिए कहा जाता है कि गुजरात का चीफ मिनिस्टर बनने के बाद उन्होने खुद को बैकवर्ड होना बताया था।

अगर यह मान भी लिया जाए कि मोदी बैकवर्ड होते हैं तो क्या बैकवर्ड होने की वजह से बीजेपी नीरव मोदी और ललित मोदी जैसे चोरों की मदद में पूरे देश में मुहिम चलाएगी? लोक सभा में राहुल गांधी ने गौतम अडानी के घपलों-घोटालों और उनकी कम्पनी में बीस हजार करोड़ का काला धन आने और पीएम मोदी के साथ आडानी के रिश्तों पर सवाल उठा दिया तो आनन-फानन सूरत के जुडीशियल मजिस्ट्रेट एचएच वर्मा ने डिफेमेशन के मामले में उन्हें ज्यादा से ज्यादा दो साल की सजा देकर उन्हें पार्लियामेंट से बाहर किए जाने का रास्ता साफ कर दिया।

स्पीकर ओम बिड़ला ने उनकी मेम्बरशिप खत्म कर दी, दो दिनों के अंदर ही उन्हें सरकारी बंगलो खाली करने का नोटिस भी मिल गया। पूरे देश की निगाह में
जनाबे आला मोदी राज में क्या कुछ नहीं हो रहा है बल्कि सब कुछ हो रहा है लेकिन पीएम मोदी की आंखे बंद है, अपने नजदीकी गौतम अडानी पर मुंह तक नहीं खोल रहे हैं? एक शब्द तक उसके खिलाफ बोलना पसंद नही करते आखिर ऐसा क्यों? अब बीजेपी ने मोदी सरनेम पर राहुल के बयान को बैकवर्ड तबके की तौहीन का मुद्दा बनाकर होहल्ला मचा रखा है। जबकि लोक तंत्र नई सबको बोलने का अधिकार है मगर ऐसी तानाशाही कहीं देखी नही जो मोदी सरकार में देखी जा रही है।

राहुल गांधी के मामले पर भारतीय जनता पार्टी की बौखलाहट से सूरत के जुडीशियल मजिस्ट्रेट हरीश हंसमुख भाई वर्मा का राहुल पर दिया गया फैसला सवालात और शक के दायरे में आ गया है। अब तो ऐसा लगने लगा है कि जज एचएच वर्मा ने जाने-अनजाने एक बड़ी साजिश का शिकार होकर राहुल गांधी को दो साल की सजा सुना दी। अब बैकवर्ड तबके के साथ मुबय्यना (कथित) हमदर्दी के नाम पर बीजेपी नीरव मोदी और ललित मोदी को बचाने के लिए खुल कर मैदान में कूद पड़ी है। इन चोरों के नाम देश के बैकवर्ड तबके से जोड़कर बीजेपी पूरे बैकवर्ड तबके की तौहीन कर रही है।

पीएम मोदी की सरकार और भारतीय जनता पार्टी पार्लियामेंट के अंदर और बाहर की अपनी सरगर्मियों से साबित कर रही है कि मोदी के करीबी दोस्त गौतम अडानी देश, सरकार और पार्लियामेंट सबसे ऊपर हो गए हैं। उन्हें इस हैसियत तक किसने पहुंचाया है जाहिर है पीएम नरेन्द्र मोदी ने ही पहुंचाया है। इस सपोर्ट के बावजूद आज नहीं तो कल सरकार बीजेपी और गौतम अडानी को यह तो बताना ही पड़ेगा कि आखिर उनकी कम्पनियों में जो बीस हजार करोड़ का मुबय्यना (कथित) काला धन आया वह किस का पैसा है?

राहुल गांधी बार-बार यही सवाल पूछ रहे हैं अब तो कई अपोजीशन लीडरान भी यह सवाल पूछने लगेे हैं कि यह बीस हजार करोड़ रूपए किसके हैं और अडानी की कम्पनियों में कहां से आए? कांगे्रस अब यह भी साबित करने की कोशिश कर रही है कि राहुल गांधी ने लोक सभा में जबसे पीएम मोदी और गौतम अडानी के रिश्तों और मोदी सरकार से अडानी को मिले मआशी (आर्थिक) फायदों पर सवाल खड़े किए तभी से राहुल को लोक सभा से बाहर करने की साजिशें शुरू हो गई आखिर सूरत के जुडीशियल माजीस्ट्रेट एचएच वर्मा के फैसले के सहारे बीजेपी राहुल गांधी को लोक सभा से बाहर कराने में कामयाब हो ही गई।

वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी खुद तो पंडित जवाहर लाल नेहरू से मनमोहन सिंह तक कांगे्रस के तमाम प्राइम मिनिस्टर्स पर कीचड़ उछालने का काम करते रहते हैं अब जब उनके और गौतम अडानी के रिश्ते और अडानी को हजारों करोड़ का फायदा पहुंचाए जाने पर सवाल खड़ा हुआ तो पूरी तरह खामोश हैं। उन्हें देश केा बताना चाहिए कि आखिर गौतम अडानी को उनकी सरकार ने कितना माली फायदा पहुंचाया?

हिंडनबर्ग की रिसर्च रिपोर्ट सामने आने के बाद से लाइफ इनश्योरेंस कारपोरेशन आफ इंडिया और स्टेट बैंक आफ इंडिया का कितना पैसा अडानी के साथ डूब गया यह पैसा न सरकार का था न किसी कारपोरेट

घराने का यह सारा पैसा देश के आम लोगों का था। बीजेपी के जो लोग राहुल की लोक सभा मेम्बरशिप खत्म होने से खुशी से झूमते बगले बजाते फिर रहे हैं उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि सबसे निचली अदालत का कोई जज ही इंसाफ की आखिरी मंजिल नहीं है अभी सेशन कोर्ट, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी बाकी है और ऊपरी अदालतों खुसूसन सुप्रीम कोर्ट के जज साहबान को न तो मैनेज किया जा सकता है और न ही दबाव डालकर उनसे कोई फैसला कराया जा सकता है।

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