मोदी जी द्वारा लोकसभा मे जो महिला आरक्षण विधेयक पारित किया गया है यह कोई नया मामला नही है बल्कि इस से पहले भी ऐसा हो चुका है, यह तो राजीव गांधी जी का एक सपना था, इस बारे में जाने और भी कुछ खास

संवाददाता

मोदी ने फेंका महिला आरक्षण विधेयक” का जुमला!

ये अब एक स्वाभाविक प्रक्रिया बन चुकी है कि जितनी भी पॉलिसी कांग्रेस के शासन में पार्टी के बुद्धिमान लीडर्स बनाते थे, मोदी महज ही उन्हीं पॉलिसीज़ को उठा कर डायरेक्ट कॉपी पेस्ट कर रहे हैं। पहले तो फिर भी बाहरी पैकेजिंग बदल दिया करते थे, किंतु अब तो वह भी नहीं बदलते।

महिला आरक्षण बिल कोई मोदी का दिया तोहफा नहीं, बल्कि यह राजीव गांधी जी का सपना था, जिसे पॉलिसी बनाकर सर्वप्रथम देवेगौड़ा सरकार द्वारा लाया गया। तब समर्थन नहीं मिलने की वजह से यह टल गया, किंतु 2010 में इसे कांग्रेस द्वारा राज्यसभा में पारित करवा लिया गया।

अपितु इसी भाजपा ने संसद सदस्यों की जरूरी तादाद पूरी नहीं होने के चलते इसे लोकसभा से पारित नहीं होने दिया। गौर तलब हो कि 2014 में चुनाव से पहले मोदी ने वायदा किया था कि बहुमत हासिल होने पर वे इसे जरूर पारित करेंगे। पर नहीं किया, 2019 में एक बार पुनः उन्होंने बहुमत का हवाला देकर यही वचन दोहराया कि महिला आरक्षण बिल वे लाएंगे।

अब जाकर, विशेष सत्र बुलाकर, उन्होंने यह जुमला पुनः फेंका है। कानून मंत्री ने कह तो दिया कि वे इसे पारित करेंगे और पूरे देश में इस पर वाहवाही लूटी जा रही है। किंतु मैं इसे जुमला इसलिए कह रहा हूं क्योंकि असलियत कुछ और ही है। असल में यह विधेयक लागू कब होगा कोई गारंटी नहीं, यह कोई नहीं बता सकता।

उसका कारण यह है कि तकनीकी रूप से यह तब ही लागू हो सकता है जब तक सभी निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन नहीं हो जाते। जबकि परिसीमन करने के लिए जनगणना करनी होगी, जो कि 2021 में ही हो जानी थी लेकिन हुई नहीं। तो जनगणना कब होगी यह किसी को नहीं पता।

तो ले देकर मोदी ने देशवासियों को एक बार फिर मोर
बना ही डाला। वाह मोदी वाह।

संवाद
हितेश सिंह

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