मोदीजी की डिग्री असली है ,जब भारत में कोई कंप्यूटर ही नहीं था तो भला डिग्री की छपाई कंप्यूटर से कैसे हुई?
मैं हमेशा महान अर्थशास्त्री विश्वगुरु मोदी साहब की आलोचना करता था, लेकिन आज मैं उनके बारे में कुछ कम ज्ञात अच्छी बातें साझा करूंगा। क्या आपको पता था?
मोदी साहब ने दो बार जन्म लिया – पहला 29 अगस्त 1949 को ( उनकी डिग्री पर ) और दूसरा 17 सितंबर 1950 को (सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध)।
1950 में पैदा हुए मोदी साहब ने महज 6 साल की उम्र में वडनगर रेलवे स्टेशन पर चाय बेची थी, लेकिन उस समय वडनगर में सिर्फ पटरियां ही गुजरती थीं। वास्तविक रेलवे स्टेशन 1973 में बनाया गया था, जब मोदी 23 वर्ष के हो चुके थे।
आपातकाल के दौरान मोदी साहब भूमिगत रह चुके थे, लेकिन उन्होंने 1978 में दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई किया? यू ही नहीं
मोदी साहब ने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक प्रमाणपत्र के बिना 1983 में गुजरात विश्वविद्यालय से संपूर्ण राजनीति विज्ञान में परास्नातक किया।
मोदी साहब दुनिया के इकलौते ऐसे शख्स हैं, जिनके पास पूरे राजनीति विज्ञान में मास्टर्स डिग्री है। गुजरात विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों को भी पता नहीं था पर 2014 के बाद इस कोर्स के बारे में पता चला।
मोदी साहब ने मास्टर्स ऑफ एंटियर पॉलिटिकल साइंस की डिग्री में अकेले प्रवेश लिया, अकेले परीक्षा दी और अकेले डिग्री ली। अभी तक किसी भी छात्र या प्रोफेसर ने मोदी के साथ पढ़ाई करने का दावा नहीं किया है।
भारत में कंप्यूटर के आने से पहले भी मोदी साहब की डिग्री कंप्यूटर से छपती थी।
1978 में मोदी साहब की डिग्री से पहले और उसके 10 साल बाद भी, डिग्री विश्वविद्यालय के कर्मचारियों द्वारा हाथ से लिखी जाती थी।
1992 में माइक्रोसॉफ्ट द्वारा पेटेंट कराया गया फॉन्ट 1978 में मोदी साहब की डिग्री को प्रिंट करने के लिए स्पेशीयल इस्तेमाल किया गया था।
मोदी साहब की डिग्री रविवार को छपी थी, जब सब कार्यालय बंद थे। ये तो बड़े ही कमाल की बात है।
ऐसे कश्मीकश में
इसी में से समय निकालकर उन्होंने 1971 के बांग्लादेश मुक्ति आंदोलन में भी हिस्सा लिया था!
एक और सबसे ज़रूरी बात रह गई कि अपने पीएम
महान मोदी साहब ने तो हद कर दी जब 35 साल भिक्षा मांग कर पेट भरा था।
भिक्षाटन से समय निकाल कर वे अमेरिका भी चले जाते थे!
हॉलीवुड के यूनिवर्सल स्टूडियो और पेरिस में एफिल टावर के सामने कोट पहन कर फोटो भी खिंचाते थे।
अगर आप लोग अभी भी नहीं मानते कि मोदी साहब अलौकिक हैं, तो आप देशद्रोही हैं!
नशा शराब का हो या अंधभक्ति का एक ना एक दिन उतरता जरूर है !
लेकिन जितनी देर होगी , बर्बादी उतनी ही बड़ी होगी
साभार;पिनाकी मोरे