मीडिया डीटेक्शन के दमुआ पत्रकार पर हुआ जानलेवा हमला ,गंभीर हालत , किया गया आईसीयू में एडमिट

आज बतारिख 26.03.2023
दमुआ पाल पेट्रोल पंप के बाजू होटल के सामने तीन लोगों ने हमारे पत्रकार तकीम अहमद( संवाददाता) पर जानलेवा हमला किया और जान से मारने की पूरी कोशिश कर उन्हे घायल किया गया।

बताया जाता है कि मीडिया डीटेक्शन समाचार और डेली न्यूज़ चैनल दमुआ स्थित के संवादाता को हमलावर गुंडे दस से पंद्रह मिनट तक लगातार
बुरी तरह मारते,पीटते रहे पाइप और लात घुसो से से पिटाई की। परंतु उक्त मंजर देख एक किसी भी राहगीर ने उन्हे बचाने की कोशिश नही की। जबकि पत्रकार चीखते चिल्लाते रहे । हमलावर गुंडों द्वारा तकिम अहमद के सीने पर लगातार लात घुसो से मारा जा रहा था। उन्हे बुरी तरह पीटा जा रहा था।

बताते है कि
हमलावरों में भोला बिहारे, विक्रम बिहारे मारपीट करते रहे और उसकी औरत मुंह पर लगातार चप्पल मार मार कर कह रही थीं कि क्या अब और करेगा पत्रकारीता?, तेरी सारी पत्रकारीता आज निकाल कर ही रहूंगी।ये चेतावनी ,धमकी भरी आवाज में चीख कर कहा अब तेरे पे झूठा रिपोर्ट भी डालूगी कि तुने मेरे सीने दबाया है ! मेरी इज्जत पर हाथ डाला है।

बे कसूर पत्रकार के साथ जैसी धमकी दी गई थी
ठीक वही मामला घटित हुआ, उल्टी रिपोर्ट काउंटर केस पत्रकार पर ही बनाया गया है। यह सब पुलिस और हमलावरों की मिलीभगत से घटित हुआ है ।क्या खाक करे पत्रकारिता?क्या सच्चाई लोगों तक पहुंचाना कोई जुर्म है, क्या पत्रकारीता करना कोई गुनाह या कोई जुर्म बन गया है? ऐसे में आए दिन पत्रकारों पर
कथित रूप से हो रहे मुकदमे, कथित हमले और उनके साथ हो रही
ना इंसाफी के लिए राज्य प्रशासन ही को जिम्मेदार ठहराया जाना जरूरी नहीं है क्या।?अगर बे कसूर पत्रकारों की कोई दाद फिरयाद नही ली गई तो हिंदुस्तान में सच्चे पत्रकारों का जीना दुश्वार हो ने में देर नहीं लगेगी।झूठे इल्जाम देकर पत्रकारों को हमेशा फंसाया जा रहा है।ऐसे में तो हिंदुस्तान के सारे पत्रकार अपनी अपनी कलम चलाना बंद कर देने पर भविष्य में मजबूर होंगे। अगर यू ही सब पत्रकारों पर झूठे इल्जाम के तहत केस बनता रहा तो आगे और भी क्या क्या हो सकता है इसकी कल्पना कर पाना मुश्किल है।

हमारे पत्रकार के साथ इस वक्त जो कुछ मामला गुजरा है यहां की जनता जनार्दन ने अपनी आंखो देखी सारा दृश्य देखा है। फिर भी स्थानीय जनता या स्थानीय पुलिस अगर पत्रकार की क्या गलती है इसे देखना या जानना चाहे तो पेट्रोल पंप की सी सी टी वी फुटेज चेक करवाई जाए। जिससे दूध का दूध और पानी का पानी साबित हो जाएगा। सही जानकारी मिल जाएगी। कि क्या सही मे पत्रकार ने गलत किया है या पूर्व नियोजित प्लानिंग बनाकर पत्रकार को कथित तौर से मारा गया है। खतरनाक जानलेवा हमला किया गया है।जो एक तरह से
सुनयोजित हमला किया गया है। जबकि पत्रकार की जान खतरेमे बताई जा रही है।
सीने पर और घुटने में गहरी चोट लगी है। सीने पर ताबड़ तोड़ हमला किया गया। जिसमे पत्रकार काफी जख्मी और चोटिल हो गए है।
बहुत ही बड़े साजिश के तहत जान लेवा जबरन हमला किया गया है।पत्रकार की हालत गंभीर बताई जा रही है। आई सी यू में भर्ती करवाया गया है।

जान लेवा हमला क्यों किया गया है?

हमारे
पत्रकार तकिम अहमद द्वारा दमुआ क्षेत्रीय कुछ रेत चोर माफिया के खिलाफ पीला सोना रेत चोरी के खिलाफ

मामला उजागर किया गया था। समाचार लिखे गए थे। यहीं के लोकल समाचार लगा दिए गए थे जिस की खुन्नस के कारण गुंडों ने
जान लेवा हमला किया है। पता चला है कि पत्रकार की जान बड़े जोखिम में

और खतरे से खाली नहीं है। अगर उनकी जान को कुछ खतरा हुआ तो इसके लिए स्थानीय प्रशासन,पुलिस प्रशासन और उक्त हमलावर गुंडे जिम्मेदार होंगे।
मध्य प्रदेश के सीएम , गृहमंत्री और पुलिस प्रशासन से हमारी अपील है कि घटित मामले की संज्ञा ले और दोषियों को तुरंत गिरफ्तार कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई को अंजाम दे।

SHARE THIS

RELATED ARTICLES

LEAVE COMMENT