महज समझ से परे है, ऐसे बयानात, एक्सीडेंट को कोई रोक नहीं सकता!

विशेष
संवाददाता

ये एक्सीडेंट है, एक्सीडेंट को कोई रोक नहीं सकता .विमान हादसे के बाद यह अमित शाह का बयान आया है।

समझ नहीं आता ऐसे निष्ठुर बयान मुंह से निकल कैसे आते हैं?
अगर आप सांत्वना के दो शब्द नहीं बोल सकते तो कम से कम चुप ही रहना सीखिए। जिनके घर से कोई चला गया है, उनके दर्द का कोई अंत नहीं। जिनके परिवार उजड़े हैं, उन पर तो आपके कटु वचनों का कोई असर न होगा, क्योंकि वे तो इस महाविपदा से वैसे ही संज्ञाशून्य हैं, लेकिन भगवान के लिए बाकियों को तो छोड़ दें। उन्हें क्यों अपने घटिया वाणी दोष से मार रहे हैं?

इनको देखकर लगता तो ऐसे है, जैसे अगर ये भूल से भी मानवता, संवेदना और करुणा को अपना लेंगे तो लोग इनके शासक होने पर ही शक करने लगेंगे। अहंकार के चलते संवेदनशील होना इनको अपनी तौहीन लगती है।

स्तब्ध कर देने वाला हादसा और इधर एक्सीडेंट की अपरिहार्यता पर अनमोल ज्ञान दिया जा रहा है। प्रवचन संत महात्माओं के लिए ही छोड़ दिया जाना चाहिए।
जरूरत है जवाबदेही तय करने की, जरूरत है व्यवस्था के प्रति लोगों का भरोसा जीतने की, न कि इस तरह के गैर जिम्मेदार बयानों की। अमित जी देश के गृह मंत्री है आप।ऐसे बोलबचन, और बयानात किस काम के? जो आपको शोभा नहीं देते

संवाद;पिनाकी मोरे

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