मध्यांचल के बड़का बाबू ने तो हद कर डाली, मां. सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को रखा अपने ठेंगे पर!जानिए क्या है प्रकरण?
लखनऊ
संवाददाता
वाह रे मध्यांचल विद्युत वितरण निगम!!
मध्यांचल के बडका बाबू ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को रखा अपने ठेगे पर
लखनऊ। 13 अक्टूबर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश, ऊर्जा मंत्री व अध्यक्ष पावर कार्पोरेशन की नाक के नीचे भ्रष्टाचारी बजा रहे है भ्रष्टाचार का घण्टा और हो भी क्यां ना जब बडकऊ ने ही मंत्री, विधायक और सासंद सभी को अपने ठेगे पर रख रखा है। जब महोदय जन प्रतिनिधियो के फोन नही उठाते तब तो पत्रकारो की बात ही क्या है ?
बता दे कि भ्रष्टाचारी के घण्टे की एक और आवाज फिर से सुनाई दी, आज तो अवैध रूप से नियुक्त बडका बाबू यानि प्रबंध निदेशक मध्यांचल विद्युत वितरण निगम की कुर्सी पर बैठे बडकऊ ने आज तो उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी स्थानांतरण नीति की भी धज्जियां उडा दी है।, वैसे पूरे मध्यांचल मे चर्चा है कि आज कल जनाब ने निदेशक मण्डल की कमेटी को भंग कर दिया है और मात्र प्रबंध निदेशक की कमेटी ही सारे निर्णय लेगी, यानि कमेटियां सिर्फ दिखावे के लिए ही है।
क्योकि सभी जानते है कि चलेगी तो बडकऊ की ही।
आज एक और फैसला संज्ञान मे आया है कि बडकऊ ने जनप्रतिनिधियों व सरकार के बाद आज सर्वोच्च न्यायालय के भी आदेश की धज्जियां उडा दी गयी है। आज दोपहर एक उपभोक्ता का विडियो वायरल होता है, जिसमे वह एक छोटी बच्ची को ले कर एक बिजलीघर पर हाफ पैट पहन कर पहुँच जाता है, जैसे वो अपने ननिहाल मे चहल कदमी कर रहे हो और पहुंच जाते है अधिशासी अभियंता से मिलने।. जहाँ पर बैठे सुरक्षा गार्ड उनके पहनावे को ले कर आपत्ति जताता है, जिससे यह जनाब बहस करते और फिर उस सब का एक वीडियो बनाकर सोशल नेटवर्किंग साइट पर ऊर्जा मंत्री को पोस्ट कर देते है,।
बताते चलें कि जब यह विडियो हमारे संज्ञान मे आया तो इस सम्बंध मे हमने अधिशासी अभियंता महोदय से उनका पक्ष जानने की कोशिश की तो अधिशासी अभियंता ने बताया कि कार्यालय के अन्दर उपभोक्ताओं के द्वारा जमा नगद धनराशि का मिलान व गिनती हो रही थी, तो इस समय किसी बाहरी व्यक्ति को कार्यालय के अन्दर कैसे जाने दिया जा सकता है?, लेकिन देर शाम होते होते उस अधिशासी अभियंता का स्थानांतरण आदेश आ जाता है!
क्या मध्यांचल विद्युत वितरण निगम में बैठे बडकऊ ने उस अभियन्ता को हटाने के लिए उच्चतम न्यायालय के आदेश अनुसार पहले से ही अनुमोदन ले कर रखा था? यदि हाँ तो उसे सार्वजनिक क्यो नही करते या फिर बिना अनुमोदन के ही स्थानांतरण कर के उच्चतम न्यायालय के आदेश को ठेंगा पर रख कर कर यह आदेश पारित किया गया है। या फिर इस के पीछे कोई बडी साजिश तो नही?
ऐसा तो नही है कि यह मामला मेसर्स अट्रैक्टिव निर्माण प्राइवेट लिमिटेड को मुंशी पुलिया खंड के अमराई बिजली घर से 3500 किलोवाट संयोजन से तो नहीं जुड़ा है? लेकिन इस संभावनाओ से इनकार नही किया जा सकता है । खैर जिस प्रकार से अधिशासी अभियंता का स्थानांतरण किया गया, यह तो तय है कि मध्यांचल विद्युत वितरण निगम में बैठे बडकऊ की मेसर्स अट्रैक्टिव निर्माण प्राइवेट लिमिटेड के प्रति सहानुभूति रखते प्रतीत होते है। क्यो कि यह दूसरा स्थानांतरण है बिना कारण। क्यो कि मध्यांचल विद्युत निगम लिमिटेड मे भ्रष्टाचार का घण्टा बहुत जोर से बजता सुनाई दे रहा है ।
खैरM युद्ध अभी शेष है।
साभार
अविजित आनन्द