मणिपुर में अबतक हालात बेहद ही खराब हो चले है, हिंसा का दौर रुकने का नाम नही ले रहा, गृह मंत्री वहां जलती हुई आग बुझाने गए थे या आग में केरोसिन छिड़कने?

मणिपुर में जारी है हिंसा का तांडव, हालात बेहद खराब हो चले हैं। हिंसा का दौर खत्म नहीं होता। समझ नहीं आता कि गृहमंत्री शाह वहां की आग बुझाने गये थे या फिर जलती आग में केरोसिन छिड़कने। ताजा हिंसक घटनाओं में 9 लोग और मारे गए हैं। कर्फ्यू दोबारा लगाया गया है। अभी तक 60 हजार लोग दर-बदर हैं।

सूत्र बताते कि प्रख्यात प्रधानमंत्री मोदी को चुनावी रैलियों में गप्पें हांकने और फोटो शूट करवाने से फुर्सत नहीं है। मणिपुर में दुखी लोग उनको ढूंढ रहे हैं, उन्होंने कई जगहों पर उनकी गुमशुदगी के पोस्टर चिपका दिये हैं। जिनमें उनकी पहचान अंधा, गूंगा और 56 इंच छाती लिखी गई है।

पुतिन और जेलंस्की से बात कर युद्ध रुकवा देने की गप्प के हीरो को अपने ही देश में आग से झुलसते राज्य की जनता की सुध नहीं लेता, यह कितना बड़ा दुर्भाग्य है।? सिरीमान जी अमेरिका जाकर किराये की भीड़ और दुनिया भर से ढोकर लाये गये अंधभक्तों से हाउडी मोदी का शोर सुनकर आह्लादित होंगे मगर मणिपुर की रोती-बिलखती जनता का दुखड़ा नहीं सुनेंगे।

फिलहाल जातीय हिंसा की आग में झुलस रहे मणिपुर के लिए पड़ोसी राज्य असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा एक विचित्र शांति प्रस्ताव लेकर सामने आये हैं कि मैदानों में मेतेई और पहाड़ों में कुकी आदिवासियों के बीच एक बफर जोन बनाया जाये। यानी राज्य को दो हिस्सों में बांटकर बीच में सेना तैनात रहेगी।

सम्भवतः टुकड़े-टुकड़े गैंग के सरगना ने ही यह विभाजनकारी मंत्र विवादास्पद बयानवीर के कानों में फूंका हो।
इधर पश्चिमी सीमा पर लद्दाख में भी 1000 वर्ग किमी क्षेत्र ऐसे ही बांटकर चीन को दे दिया जिसे दलाल देश की गद्दार मीडिया मास्टरस्ट्रोक बताता रहा। भक्तों को आनंदित करते दुमदार चैनलों को मणिपुर से अधिक बंगाल की हिंसा दिखाई दे रही है।

संवाद:पिनाकी मोरे

SHARE THIS

RELATED ARTICLES

LEAVE COMMENT