भारत ही नहीं विदेश में भी बच चुका है ब्राम्हणवाद का बिगुल

संवाददाता
निर्मल कुमार

ब्राह्मणवाद” के खिलाफ विदेशों में बजा बिगुल

आरएसएस और ब्राह्मणवादी” विचारों का पराभव अंबेडकरवाद ने कर दिया
वह भी जब संघ के शताब्दी वर्ष सालगिरह में संघ के विचारों का पराभव है।

“ब्राह्मणवाद” के खिलाफ अब भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बिगुल बज चुका है। वैश्विक स्तर पर ब्राह्मणवाद के खिलाफ बहस ने साबित कर दिया है कि बामसेफ ने ब्राह्मणवाद के खिलाफ जो बिगुल भारत में बजाई थी उसकी गूंज अब विदेशों में भी सुनाई देने लगी है।

अब दुनिया वालों को पता चल गया है कि *”भारत के मूलनिवासियों के सभी समस्याओं की मूल जड़ क्या है। बामसेफ 45 सालों से बता रहा है कि भारत के मूलनिवासियों की मूल समस्या ब्राह्माणताद है।”
भारत वर्ण व्यवस्था, जाति व्यवस्था, क्रमिक असमानता, अस्पृष्यता, महिला
दासता, आदिवासियों का सेग्रीगेशन, गैर-बराबरी, छुआछूत का निर्माण हुआ। इन्हीं व्यवस्थाओं के कारण भारत के मूलनिवासियों को अछूत और शूद्र घोषित किया और रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा से अधिकार विहिन बनाकर पूर्णरूप से गुलाम बना दिया और उनको उनके ही देश में गुलाम बनाकर जानवरों से बदतर जीवन जीने के लिए मजबूर कर दिया।

अब यह बात पूरी दुनिया जान चुकी है। इसलिए वैश्विक स्तर पर ब्राह्मणवाद पर न केवल बहस हो रही है बल्कि अब तो अमेरिका ने खुलकर ब्राह्मणों के विरोध में अभियान भी शुरू कर दिया है। भारत अमेरिका के बीच रोज

तल्खी बढ़ती जा रही है।

व्हाइट हाउस के व्यापार सलाहकार पीटरो ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया है कि “ब्राह्मण” “भारतीय लोगों की कीमत पर मुनाफाखोरी कर रहे हैं।

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