भारत में मस्जिदों पर छा रहे है संकट के बादल जिम्मेदार कौन

भारत में मस्जिदों पर छा रहे हैं संकट के बादल, तो अरब देशों में भी मंदिरों के खुल रहे है द्वार!

भारत में बाबरी मस्जिद की शहादत और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फ़ैसले पर एक पक्ष का कहना है कि साक्ष्यों की अनदेखी करके भावनाओं का सम्मान करते हुए हिन्दू पक्ष में फ़ैसला दिया गया है, अभी इस घटना को ज़्यादा समय नहीं गुजरा था कि एक बार फिर ज्ञयानवापी मस्जिद को लेकर स्थानीय अदालत ने हिन्दू पक्ष के हक़ में फैसल लिया है। दिलचस्प बात यह है कि वहीं संयुक्त अरब इमारात से पहले हिन्दू मंदिर के खुलने की सूचना भी सामने आई है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार
ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में नियमित दर्शन-पूजन की मांग को लेकर दायर याचिका को वाराणसी की कोर्ट ने सुनवाई के लायक माना है। वाराणसी की ज़िला अदालत ने हिन्दुओं के पक्ष में फ़ैसला दिया है। कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद में हर रोज़ पूजा करने की याचिका को जायज़ ठहराया है।

अदालत ने फ़ैसला सुनाया है कि याचिका सुनने योग्य है। मस्जिद पक्ष की तरफ़ से दायर याचिका में मेरिट नहीं। इससे साथ ही कोर्ट के आदेश के बाद अब इस मामले पर सुनवाई की जा सकती है। 20 मई को सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी ज़िला जज को याचिका की मेरिट पर निर्णय लेने का आदेश दिया था। बाबरी मस्जिद को भी मुस्लिम कमेटी,ट्रस्टियों के पास बरसों
पुराने समय के मस्जिद होने के कई दस्तावेज उपलब्ध होने के बावजूद भी बाबरी मस्जिद अवैध करार देते हुए सुप्रीम कोर्ट द्वारा मंदिर होने की घोषणा करते हुए हिंदुओं के आस्था का मामला बताकर मुसलमानों के साथ कथित तौर से विश्वासघात किया और हिंदुओं के हित में फैसला सुनाकर मामला रफा दफा कर दिया।इस बात को मुस्लिम समुदाय अबतक भूले नहीं है।

वहीं संयुक्त अरब इमारात बसे हज़ारों लोगों को नए हिंदू मंदिर की पहली झलक मिली और इसे देखते ही वह इसकी ख़ूबसूरती में खो गए। यह मंदिर इसी महीने खुला है।
हालांकि अभी आधिकारिक तौर पर इसकी ओपनिंग होनी बाकी है लेकिन उससे पहले ही यह ख़बरों में आ गया है। इस मंदिर में सभी धर्मों में आस्‍था रखने वाले लोग जा सकते हैं।
मंदिर में 16 हिन्दू भगवानों की मूर्तियां हैं और पूजा करने वालों के अलावा दूसरे लोगों को भी मंदिर में आने की अनुमति रहेगी। मंदिर में नौ दिनों तक विशेष प्रार्थना सभा का आयोजन किया।

इस दौरान हर ईश्‍वर की पूजा हुई है। अगस्‍त महीने के अंत में मंदिर में सिखों के पवित्र ग्रुरु ग्रंथ साहिब को भी यहां रखा गया है।

ज्ञानवापी मस्जिद को भी बाबरी मस्जिद की तरह हिंदुओं के लिए मंदिर साबित कर हिंदू पक्ष के हित में फैसला सुना दिया जायेगा इसमें कोई दो राय नहीं है।मोदी सरकार के रहते मुसलमानों को महज टारगेट कर उन्हे मस्जिदों से वंचित किया जाता रहा है।
मुसलमानों के विरुद्ध

कथित छड़यंत्र रचाया जा रहा है।मुसलमानों पर ये घोर अन्याय नहीं तो और क्या है।

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