भारत को छोड़ दुनिया के हर देश में यहूदियों पर अत्याचार हुआ जानिए इनकी खास दास्तान
संवाददाता
इजराइल के यहूदी इतिहासकार और लेखक प्रचारित करते हैं भारत को छोड़कर दुनिया के हर देश में यहूदियों पर अत्याचार हुआ, केवल भारत में यहूदियों का नरसंहार नही हुआ।
सवाल है भारत में यहूदियों का शोषण करता कौन, और किस आधार पर करता. उनसे नफरत की कोई वजह ही नजर नही आती. भारत के शासक वर्ग क्षत्रिय, वैश्य और ब्राह्मण थे। भारतीय शासक वर्ग और यहूदियों में कई समानताएं है।
1) दोनों धर्मांतरण नही करते,
2) दोनों अंतरजातीय विवाह नही करते,
3) दोनों रक्त शुद्धता में यकीन करते हैं,
4) ब्राह्मण और यहूदी दोनों का मानना था उनके पूर्वज बाहरी हैं,
5) दोनों के धर्म स्थलों में अन्य वर्गों का प्रवेश वर्जित था।
माना जाता है 175 BC में ग्रीक शासक Antoniochus Epiphanes के जुल्मों से बचने के लिए कुछ यहूदी इजराइल से पलायन कर महाराष्ट्र के कोंकण इलाके में बस गए।
महाराष्ट्र के कोंकण इलाके में बसने वाले यहूदी बाद में बेने इजरायली यहूदी कहलाए गए। बेने इजराइल यहूदी सब्बाथ यानि विश्राम के दिन का सख्ती से पालन करते थे। वे मुख्यत किराना दुकान और तेल का धंधा करते थे। इसलिए स्थानीय लोग उन्हें सनवाड़ तेली (शनिवार तेली) कहा करते थे।
ब्रिटिश साम्राज्य में बेने इजराइल यहूदियों ने नौकरी, व्यापार और शिक्षा जगत में तरक्की करनी शुरू की. 18वीं शताब्दी में इराक से भागकर ताकतवर व्यापारी समूह बगदादी यहूदी का बंबई (मुंबई) में आगमन होता है।
बताते है कि
बगदादी यहूदी बेने इजराइल यहूदियों को असली यहूदी मानने से इंकार कर देते हैं। उनके अनुसार सांवले और काले रंग के यहूदी कैसे हो सकते हैं? बेने इजराइल समुदाय के इतिहासकार हाइम सैमुएल केहिमकर यहूदित्व साबित करने का बीड़ा उठाते हैं।
कोहिमकर अपने राइटिंग्स में बेने इजराइल यहूदियों को दो हिस्से में विभाजित कर देते हैं। एक गोरा और दूसरा काला समुदाय।
उनके अनुसार असली शुद्ध यहूदी गोरी चमड़ी वाले यहूदी हैं। और काले चमड़ी वाले यहूदी अशुद्ध हैं। कारण उनके खून में भारतीय महिलाओं का खून है।
हाइम सैमुएल कोहिमकर बेने इजराइल यहूदियों को विदेशी बताने में सफल रहे। इसके बाद अंग्रेजों के समक्ष कई जातियों में खुद को विदेशी बताने में ओढ़ सी लग गई।
बाल गंगाधर तिलक ने भी ब्राह्मणों को आर्यन्स बताया जो आर्कटिक से पलायन कर भारत में बसे थे।
तो दूसरी तरफ
जवाहरलाल नेहरू भी विदेशी वाली लाइन पर चलते हुए बड़े गर्व से आर्यन्स को विदेशी यानी बाहरी बता चुके हैं। जबकि तिलक चितपावन ब्राह्मण थे, कई देसी विदेशी इतिहासकारों का मानना है चितपावन ब्राह्मणों के पूर्वज बेने इजराइल यहूदी थे।
सन 1948 में इजराइल की स्थापना के बाद बम्बई और कोंकण के अधिकतर बेने इजराइल यहूदी इजराइल चले गए।
कुछ यहूदी धर्म बदलकर चितपावन ब्राह्मण बन गए।. इससे पहले सिकंदर के कई सिपाहियों को पंजाब क्षेत्र में ब्राह्मण बनाया जा चुका था। पिछले वर्ष एक शिया मुसलमान वसीम रिज़वी का धर्मांतरण कराकर उसे त्यागी ब्राह्मण का दर्जा दिया गया।
किसी बेने इजराइली यहूदी को जानना है तो इंडियन एक्टर डेविड अब्राहम चेउल्कार को जान सकते हैं। फ़िल्म बूट पोलिश का वो गाना याद होगा, नन्हे मुन्ने बच्चे तेरी मुट्ठी में क्या है।
अमोल पालेकर की सुपरहिट फिल्म गोलमाल में उनके चाचा का किरदार भी याद होगा ?
संवाद:मोहमद अफजल इलाहाबाद