बीते 31जुलाई को मेवात के नूह में हिंसा की घटना महज एक प्लानिंग थी ,किसने की थी ये अमानुश हरकत?
एमडी डिजिटल न्यूज चैनल और प्रिंट मीडिया
ब्यूरो
मो अरशद यूपी
मेवात हिंसा की साजिश बेनकाब
मेवात के नूंह में 31 जुलाई को अचानक जो हिंसा हुई तो हरियाणा के वजीर-ए-आला मनोहर लाल खट्टर समेत सभी लोगों ने कहा कि वहां साजिश हुई है, बात सही थी क्योंकि अब साजिश बेनकाब हो चुकी है। जो सबूत सामने आए हैं उनसे साबित होता है कि यह साजिश किसी और ने नहीं खुद बीजेपी, बजरंग दल और विश्व हिन्दू परिषद ने रची थी।
मकसद साफ है कि पहले हंगामा कराया जाए फिर यह कहकर मुसलमानों के मकान और दुकानों पर बुलडोजर चला दिया जाए कि उन इमारतों से फायरिंग और पथराव किया गया। नूंह में जो कुछ हुआ उसकी रिपोर्ट भी ठीक से दर्ज नहीं हुई। लेकिन मुसलमानों के मकानों और दुकानों पर बुलडोजर चल गया, सैकड़ों मकान और दुकानें जमींदोज कर दी गईं। इन्हें तोड़े जाने की वही एक घिसी पिटी वजह बताई गई कि यह सभी तामीर गैरकानूनी थीं।
इस घटना को लेकर
लोगों ने सवाल उठाया कि अगर गैर कानूनी इमारते बनी थीं तो इनके खिलाफ कार्रवाई हिंसा के फौरन बाद ही क्यों हुई, पहले क्यों नहीं हुई? हरियाणा और पंजाब हाई कोर्ट के जस्टिस जी एस संधावालिया और जस्टिस हरप्रीत कौर जीवन की बेंच ने इस सरकारी ज्यादती का खुद ही नोटिस लिया, आर्डर दिया कि अब मकानों और दुकानों को तोड़ने की कार्रवाई नहीं होगी।
अब तक जितनी इमारतों को तोड़ा गया है उनकी तफसील और तोड़े जाने की वजह हरियाणा गवर्नमेंट हाई कोर्ट को बताए। जब तक हाई कोर्ट नोटिस लेता तब तक खटटर की मुस्लिम दुश्मन सरकार सैकड़ों मकान और दुकानें तोड़ चुकी थी। सरकार दरअस्ल अपने कटटर हिन्दू वोटरों को इस कार्रवाई के जरिए यह मैसेज देना चाहती थी कि सर उठाने वाले मुसलमानोें का आशियाना भी हम बर्बाद करके उन्हें सड़क पर ला सकते हैं।
सबूत बताते हैं किएक कथित रूप से साजिश रची गई खटटर सरकार की सतह पर लेकिन उसे अमली जामा पहनाने की जिम्मेदारी विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल समेत गौरक्षा के बहाने गुण्डई करने वालों को सौंपी गई थी। 31 जुलाई को जिस ब्रजमंडल यात्रा के दौरान नूंह में हिंसा हुई यह यात्रा तीन साल से निकल रही थी, न कभी कोई कशीदगी पैदा हुई और न ही कोई हंगामा। लोग नलहड़ महादेव मंदिर पर इकट्ठा होते थे, वहां से जुलूस की शक्ल में दूसरे तीन-चार मंदिरों में जाकर जल चढाते थे। लेकिन इस बार चूंकि एक बड़ी साजिश को अमली जामा पहनाना था इसलिए मोनू मानेसर नाम के बदनाम तरीन गौगुण्डे ने दो दिन पहले से वीडियो अपील जारी करनी शुरू की जिसमें वह हिन्दुओं से कह रहा था कि 31 जुलाई की यात्रा में ज्यादा से ज्यादा तादाद में इकट्ठा होकर शिरकत कीजिए मैं भी वहां पहुंचूंगा।
आखिर इस अपील की क्या जरूरत थी जबकि हर साल वहां पर हिन्दू समाज के हजारों लोग खुद ही इकट्ठा होते थे। मोनू मानेसर के दूसरे साथी बिटटू बजरंगी ने अपना एक वीडियो वायरल किया जिसमें वह कह रहा है कि मैं नूंह के मुसलमानों का दामाद हूं 31 जुलाई को सुसराल आऊंगा नूंह वालो हार-फूल लेकर इस्तकबाल के लिए तैयार रहना, तुम्हारा जीजा (बहनोई) आएगा। उसका इस्तकबाल करना। इकत्तीस (31) जुलाई को वह नूंह के लिए रवाना होता है तो हर दो-चार किलोमीटर चलने के बाद ‘लाइव वीडियो’ डालता रहा कि तुम्हारा जीजा फंला जगह तक पहुंच गया है फूल मालाएं लेकर तैयार रहना। गौर तलब है कि इन दोनों वीडियोज ने नूंह के नौजवानों को भड़काने का काम किया।
विश्व हिन्दू परिषद की साजिश इसलिए लगती है कि यात्रा शुरू होने पर कभी भी पंडाल लगाकर कोई शख्स तकरीर नहीं करता था लोग आते थे दर्शन करते थे जलाभिषेक करके दूसरे मंदिरों के लिए निकल पड़ते थे। इस बार नलहड़ मंदिर के कैम्पस में एक लम्बा-चौड़ा पंडाल बनाया गया। डायस बना जिसपर खड़े होकर विश्व हिन्दू परिषद के लीडर सुरेन्द्र जैन ने तकरीर की। तकरीर के जरिए उन्होेंने आम श्रद्धालुओं को भड़काने का ही काम किया। उन्होने कहा कि अब हिन्दू ‘विजय’ (फतेह) के रास्ते पर निकल चुका है। हिन्दुओं को अब फतह की आदत पड़ चुकी है। इसलिए हम हिन्दू अब हर शोबे में फतह हासिल करके ही रहेंगे।
उन्होने कहा कि हमे मेवात का चरित्र (किरदार) बदलना है। जिसके लिए हम कुछ भी करेंगे। क्योंकि मेवात की धरती आईएसआई एजेण्टों, जेहादियों, रोहिग्यों और मुसलमानों की नहीं है। हमने यह भी देखा है कि मेवात के डेढ सौ गांव से पूरी तरह हिंदुओं का सफाया कर दिया गया था। हर जगह गायें काटी जाती थी। हमने इन हरकतों को बंद कराया, आने वाले दिनों में हम मेवात में हिन्दुओं की आबादी मुसलमानों से ज्यादा करने की कोशिश करेंगे। उन्होने कहा कि हम काशी भी लेंगे और मथुरा भी, मुसलमानों ने ज्ञानवापी के सर्वे को रोकने की कोशिश की थी लेकिन रोक नहीं पाए। जल्द ही वह पूरी जगह हम हिन्दुओं के कब्जे में होगी इसके बाद हम मथुरा पहुंचेगे। मतलब यह कि जितना मुमकिन था उतना भड़काने का काम सुरेन्द्र जैन ने किया। जो कभी नहीं होता था।
अशोक बाबा नाम का बजरंग दल का एक लीडर नलहड़ मंदिर से बाकायदा रायफल से फायरिंग कर रहा था। उसकी वीडियो वायरल हुई तो कई यू-ट्यूब चैनलों के नुमाइंदों ने उससे फायरिंग करने की वजह मालूम की।उसने बताया कि 2014 से उसके पास लाइंसेंसी रायफल है जिसे उसने खुद की हिफाजत करने के लिए खरीदा है। इस सवाल पर कि मंदिर आने में रायफल की क्या जरूरत? उसने कहा कि अपनी हिफाजत के लिए वह जहां भी जाता है रायफल अपने साथ ही रखता है। अशोक बाबा वकील भी है। किसी ने उससे यह नहीं पूछा कि जब तुम अदालत में जाते हो क्या तब भी रायफल हाथ में रखते हो? अब तो अदालतों में में भी खतरा हो गया है कई लोगों के कत्ल भी अदालत में हो चुके हैं। फिर तो उसे अदालत में रायफल लेकर जरूर जाना चाहिए। उसने हर सवाल के जवाब में यह बात जरूर कही कि उसने सैकड़ों बहन-बेटियों और बच्चों की जान बचाने के लिए फायरिंग की थी। मुसलमानों को भड़काने के लिए उसने बार-बार उन्हें ‘विधर्मी’ कहकर खिताब किया। ‘विधर्मी’ अगर भड़काने वाली गाली नहीं तो क्या है।
बजरंग दल और विश्व हिन्दूू परिषद अबतक जहां कहीं भी मुजाहिरा और हुल्लड़ हंगामा करने के लिए जाया करते थे तकरीबन हर जगह यह लोग मुसलमानों को मारने-पीटने या उनकी जायदादों को लूटने और इसको नुक्सान पहुंचाने का काम किया करते थे। पहली बार ऐसा हुआ है कि नूंह में यह लोग पिटे हैं। छः बेगुनाहों, दो होम गार्ड नीरज और गुरसेवक के अलावा शक्ति सिंह सैनी प्रदीप शर्मा और अभिषेक की जान चली गई। इक्कीस साल का अभिषेक पानीपत का एक होनहार मैकेनिक था उसके वालिद मजदूरी करते हैं वह छः महीने पहले ही बजरंग दल में शामिल हुए थे।
मेवात के अलावा दंगाइयों ने गुड़गांव में भी हर तरफ खूब हंगामा मचाया। मुसलमानों की रेहड़ियां और दुकानें तोड़ी गई। सेक्टर-57 की अंजुमन मस्जिद में तोड़-फोड़ करके उसमें आग लगा दी। मस्जिद के नायब इमाम मोहम्मद साद को बुरी तरह पीटकर गर्दन काटकर उनको कत्ल कर दिया गया। इस तरह कुल मिलाकर छः लोगों की जानें चली गईं। नूंह और गुड़गांव में सौ से ज्यादा एफआईआर दर्ज हु
ई हैं। जो सभी मुसलमानों के खिलाफ हैं। वजीर-ए-आला मनोहर लाल खटटर की सरकार ने अगले साल होने वाले लोक सभा चुनाव और असम्बली चुनाव में कटटर हिन्दुओें के वोट हासिल करने के लिए जो साजिश रची थी वह अब आइने की तरफ साफ दिखती है।