पहले की जनसंख्या गणना में अछूत हिंदू नही कहलाते थे,जानिए अछूत कब और क्यों बने हिंदू?

अछूत कब और क्यों बने हिन्दू इसके कारण की जानकारी

क्या आपको पता है की अछूतो” को सबसे पहले 1911 की जनसँख्या गणना में हिन्दू धर्म में शामिल किया गया था ?
उससे पहले की जनसँख्या गणना में अछूत हिन्दू नहीं कहलाते थे बल्कि अवर्ण थे , यानी की चारो वर्णों से बाहर थे जो हिन्दू नहीं थे और हिन्दू धर्म के लोग उन्हें हिन्दू नहीं बल्कि सिर्फ अछूत मानते थे !
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ऐसे में सवाल है कि ऐसे अछूतो को हिन्दू धर्म में शामिल” करने की हिन्दुओ की मज़बूरी क्या थी” ?
क्या ऐसा कारण था कि जो हिन्दू पहले अछूतो को हिन्दू ही नहीं मानते थे अचानक उन्हें हिन्दू मानने लगे और जनसँख्या गणना में उन्हें हिन्दू कहलवाने लगे ?
~इसके दो कारण थे ,
पहला कारण था जनसँख्या के आधार पर मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान की मांग रख दी थी , अब यदि अछूतो को हिन्दुओ से अलग कर दिया जाए तो कितनी संख्या कम हो जायेगी हिन्दुओ की ?

अत: अपनी जनसँख्या अधिक दिखाने के लिए मजबूरन हिन्दू धर्म के ठेकेदारो ने अछूतो को सरकारी आंकड़ो में हिन्दू लिखवाना शुरू कर दिया , पर उनका व्यवहार अछूतो के साथ पूर्व जैसा बना रहा।तो दूसरी तरफ इस बाबत
दूसरा कारण था कि मुस्लिम लीग को देख कर अछूतो में भी पृथक निर्वाचन की मांग जोर पकड़ रही थी। ऐसे माहोल में
यदि अंग्रेज “अछूतो” की बात मान लेते और पृथक निर्वाचन मताधिकार अछूतो को मिल जाता तो संभव था कि पाकिस्तान की तरह अछूतो को भी देश का कोई अलग हिस्सा मिल गया होता , तब उस समय देश के दो नहीं बल्कि तीन हिस्से होते।
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जानकी हिन्दु ठेकेदारो ने दोहरी चाल चली, अछूतो को हिन्दू भी बना लिया और उनका हक़ भी नहीं ” दिया !
आरक्षण का विरोध करने वाले ये नहीं जानते कि यदि आरक्षण नहीं दिया गया होता तो अछूतो को पकिस्तान की तरह अलग हिस्सा मिल गया होता।
आरक्षण एक बहुत नगण्य कीमत है हिन्दुओ के लिए।

संवाद: मो अफजल इलाहाबाद

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