नैनीताल में मुस्लिम युवक पर बलात्कार का आरोप लगते ही पूरा शहर जल उठा मगर सहारनपुर में दस साल की मुस्लिम बच्ची के साथ बलात्कार कर उसको जिंदा मौत के घाट उतारने वाले दरिंदगी करनेवाले के खिलाफ खामोश क्यों है प्रशासन?

नैनीताल में सिर्फ़ एक मुस्लिम व्यक्ति पर बलात्कार का आरोप लगते ही पूरे शहर को बंद कर दिया गया,मुसलमानों की दुकानों को तोड़ा गया, घरों पर हमले हुए, और सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक आग बरसाई गई।

“बेटी के नाम पर इंसाफ” के नारे गूंजे !

मगर अब सहारनपुर में…

एक 10 साल की मासूम मुस्लिम बच्ची के साथ दरिंदगी की हदें पार कर दी गईं। आरोपी वेदप्रकाश ने उस बच्ची का बलात्कार किया,फिर उसकी हत्या कर दी और पूरी रात लाश को चादर में लपेटकर छिपाए रखा, अगली सुबह जंगल में फेंक दिया।

बच्ची के सिर और शरीर पर चोट के गहरे निशान थे। उसके जननागों से खून टपक रहा था और यह दृश्य सिर्फ़ जुर्म नहीं,बल्कि इंसानियत की खुलेआम लाश था।
अब कहाँ है वो बहुसंख्यक समाज? कहाँ गए वो लोग जो “बेटी बचाओ” के नाम पर तोड़फोड़ कर रहे थे?

यहाँ तो एक बच्ची के साथ बर्बरता की पुष्टि हो चुकी है।यहाँ आरोपी का नाम भी सामने है। यहाँ दर्द भी असली है।
मगर चुप्पी? उससे भी ज़्यादा असली और शर्मनाक।
इसलिए आज मुझे कहना पड़ रहा है:

जब आरोपी मुस्लिम हो, तो पूरा शहर जलाओ मगर जब पीड़िता मुस्लिम हो, तो सबकी ज़ुबान पर ताला पड़ता है ज़बान ही सिल जाए?
क्या इंसाफ अब धर्म देखकर मांगा जाएगा?
क्या मासूमियत भी अब पहचानि जाएगी या नहीं
संवाद; वाहिद

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