देश की जड़ों को खोदने वाले नरेंद्र मोदीजी क्या अब बीजेपी की कब्र खोद रहे है?

विशेष संवाददाता

राष्ट्रीय स्तर पर देश की जड़ों को खोदने वाले नरेंद्र मोदी भाजपा की कब्र खोद रहे हैं जिनके बाद प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठ पाना भाजपा के लिए आसमान के तारे तोड़ लाने जैसा ही हो जायेगा।

हो सकता है अभी यह बात लोगों को हजम न हो लेकिन आसार तो ऐसे ही दिखाई दे रहे हैं। प्रकृति ने जीवन के साथ ही मृत्यु का बीज भी रख दिया है। सभी जीव-जंतु जीते हुए क्रमशः मौत की ओर बढ़ते चले जाते हैं; यह शाश्वत सत्य है।

मोदी भक्त में अंधभक्ति के दौरे पड़ने कम हो गये हैं, देश का माहोल देखने से साफ पता चलता है। लोग समझने लगे हैं कि उन्हें दो-तीन चुनींदा देश को लूटने वाले पूंजीपतियों के साथ सांठगांठ कर प्रोपेगैंडा-तंत्र के जरिए झूठ परोसकर रामनाम और हिन्दुत्व के नाम पर अंधकार में धकेला जा रहा है।

वे देख रहे हैं कि सत्तालोलुप मोदी – शाह देश को गृहयुद्ध की आग में झोंकने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं। भाजपा पूरी तरह गुंडे-मवालियों, फ्रॉड , बलात्कारीओ और अपराधियों की शरणस्थली बन चुकी है। वहां अब एक भी भला आदमी नहीं है। एक से बढ़कर एक भ्रष्ट, लफंगे, फ्रौड़ अनैतिक, कभी भी अनाप-शनाप बक देने वालों से यह पार्टी भरी हुई है। जनता को खुलेआम धमकाया जा रहा है कि यदि उसे वोट नहीं दिया तो राज्य को दंगों की आग में झोंक दिया जाएगा। ये कैसी मानसिकता है?

आम आदमी देख रहा है कि विकास तो जैसे भाजपा के एजेंडे में कहीं है ही नहीं खाली विकास के नाम पर प्रोपेगंडा हो रहा है। ऊपर से देश में लोकतंत्र को लगातार कमजोर किया जा रहा है। शिक्षा, चिकित्सा, रोजगार, न्याय, सामाजिक समरसता को लगातार कमजोर किया जा रहा है। जनसरोकारों को भुलाकर भाजपा अपनी मातृसंस्था RSS का एजेंडा लागू करने के एकसूत्री अभियान में जुटी हुई है।

यदि भाजपा जनता के एक भी मुद्दे पर संसद, मीडिया और उसके बाहर कोई बात नहीं करती और बड़ी चालाकी से दूसरों को भी विषय से भटका देती है तो फिर दो-तीन भ्रष्ट धनपशुओं के अलावा इसकी जरूरत किसे है?

कुछ लोगों का मानना है कि RSS – भाजपा अगले वर्ष ठीक लोकसभा चुनाव से पहले अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन कर हिंदुओं के वोट बटोरने में कामयाब हो जायेगी तो यह सिर्फ एक कल्पना है। क्योंकि आम हिंदू वर्ष में एकाध बार ही खास मौकों पर मंदिर जाता है, अन्य दिनों में वह अपनी रोजी-रोटी तथा अन्य कामों में ही व्यस्त रहता है। उसे अयोध्या या किसी भी अन्य मंदिर से कोई लेना-देना नहीं होता।

बताते चलें कि उसकी जिंदगी जिन बातों से प्रभावित होती है उसमें मंदिर का कोई स्थान नहीं है। आधुनिक समाज आस्था के बहाने सत्ता पर कब्जा करने की चालबाजी को समझता है तो वह अपनी रोजी-रोटी और अमन-चैन को प्राथमिकता देता है। वर्तमान मनुष्य के आगे भूख मिटाने और शांति से जीवनयापन करने से बड़ा सवाल या लक्ष्य कुछ भी नहीं है।

आखिरकार बिना भोजन भूखे पेट कोई कब तक भजन कर सकता है? इस सवाल का कोई जवाब RSS -भाजपा के पास नहीं है। और यही इनकी असफलता का कारण है।
जो यही साबित करता है कि तथाकथित धर्म की हांडी बार-बार चूल्हे पर नहीं चढ़ती। धर्म की कोरी लफ्फाजी सुनते-सुनते लोगों के कान पक गये हैं। उन्होंने अब इस तरह के प्रोपेगैंडा पर ध्यान देना उसी तरह बंद कर दिया है।

साभार;पिनाकी मोरे

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