टीकमगढ़ में भ्रष्टाचार का खेल, कई मान्यवर जा सकते है जेल

बुंदेलखंड में मुर्दों को प्रधानमंत्री आवास टीकमगढ़ जिले में भ्रष्टाचार का खेल, नगर परिषद बल्देवगढ़, पलेरा, लिधौराखास व बड़ागांव धसान के सीएमओ और अध्यक्ष पर होगी एफआईआर: सीएम डॉ. मोहन यादव ने दिए जांच के आदेश, करोड़ों रुपए का फर्जी भुगतान, कागजों में बने हजारों आवास.

नगर परिषद बल्देवगढ़, पलेरा, लिधौराखास बड़गांव धसान में पहले कमीशन बाद में सिग्नेचर, भ्रष्टाचार में दोषी कई उपयंत्री व सीएमओ जा सकते जेल

पंकज पाराशर छतरपुर✍️

मध्य प्रदेश में लगातार एक से एक बड़े घोटाले निकलकर सामने आ रहे, घोटालों का दाग लगने के कारण सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने लगे हैं। मध्य प्रदेश के कई अलग अलग जिलों में करोड़ों रुपए के घोटाले अभी तक उजागर हो चुके हैं।

सागर संभाग में अभी तक का सबसे बड़ा घोटाला

टीकमगढ़ जिले से नगर परिषद बल्देवगढ़, पलेरा, लिधौराखास व बड़ागांव धसान में निकलकर सामने आया है। यहां पर मुर्दों को प्रधानमंत्री आवास दिए गए हैं । प्रधानमंत्री आवास सूची में मृत व्यक्तियों का नाम दर्शाकर जबरदस्त भ्रष्टाचार किया गया है । कई उच्च स्तरीय जांचों में पाया गया है कि नगर परिषद बल्देवगढ़, पलेरा, लिधौराखास व बड़ागांव धसान में कई सैकड़ा आवास के नाम पर करोड़ों रुपए का फर्जी भुगतान किया गया है यहां पर पहले कमिशन और बाद में सिग्नेचर होते है।

नगर परिषद बल्देवगढ़, पलेरा, लिधौराखास व बड़ागांव धसान में आवास घोटाले को लेकर मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव बेहद नाराज हैं, उन्होंने दोषियों पर कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं ।
प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत हितग्राहियों के नाम पर अधिकारियों ने राशि निकाल ली, जब इसकी जांच हुई तो अधिकारियों को मौके पर ना तो कोई भवन बना मिला और ना ही किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य मिल रहा है l आखिर इतनी बड़ी संख्या में प्रधानमंत्री आवास कहां चोरी हो गए।

करोड़ों रुपए के फर्जी भुगतान की शिकायत की गई थी, मध्य प्रदेश शासन ने शिकायतों पर संज्ञान लेकर उच्च स्तरीय जांच कमेटी गठित की और जांच कमेटी ने पाया कि टीकमगढ़ जिले में नगर परिषद बल्देवगढ़, नगर परिषद पलेरा, नगर परिषद लिधौराखास व नगर परिषद बड़ागांव धसान के अंतर्गत कई सैकड़ा प्रधानमंत्री आवास बनाए गए यह ना तो जमीन पर मिल रहे हैं व उनके नाम पर भुगतान कर लिया गया l बहुतसा भुगतान अधिकारियों के द्वारा निकाल लिया गया, जिस कारण सरकार को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है। जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट नगरीय प्रशासन व विकास विभाग मध्य प्रदेश शासन भोपाल को भेजी प्रमुख सचिव व आयुक्त के द्वारा आदेश जारी किए गए कि सीएमओ और संबंधित उपयंत्री जिन्होंने डीपीआर तैयार की, उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करें एवं उनसे शासन की राशि की वसूली की जाएगी।

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