जिस लड़की का नाम फातिमा बिन अब्दुल मलिक है , मगर क्या इसे आप जानते है कि वह कौन थी? नही ना , तो फिर जानिए इस खबर को पाकर
संवाददाता
अफजल इलाहाबाद
फातिमा बिंत अब्दुल मलिक एक ऐसी खातून जिसका कोई जवाब नही
क्या आप जानते हैं यह फातिमा कौन थीं यह खिलाफते बनु उमैया के संस्थापक मरवान की पोती व खलीफा अब्दुल मलिक की बेटी थीं इनके भाई वलीद बहुत बड़े शासक थे जिनकी सत्ता भारत में सिंध प्रांत से लेकर स्पेन तक फैली हुई थी ।
एक ऐसी लड़की जो शाही परिवार से हो जाहिर है कि कितने नाज़ व नखरे से पली होगी तकलीफ और परेशानी छू कर भी नहीं गई होगी बड़ी होती है शादी की उम्र होती है एक शहजादे का रिश्ता आता है वह शहजादा जो न सिर्फ खूबसूरत था बल्कि जिसे पहनने और फ़ैशन का शौक था सबसे महंगा पहनते और सबसे अच्छी खुशबू इस्तेमाल करते थे जिस रास्ते से गुजरते रास्ता महक उठता ऐसे पति को पा कर कोई भी युवती अपने किस्मत पर रश्क कर सकती है।
इस शान व शौकत से गुजर रही थी, बड़े भाई वलीद का इंतेकाल हो गया दूसरे नंबर के भाई सुलेमान खलीफा हुए इत्तेफाक ऐसा हुआ कि कुछ वर्षों बाद उनका भी इंतेकाल हो गया जब उनका आखिरी समय था उन्होंने अपने बहनोई यानी फातिमा के पति उमर बिन अब्दुल अजीज को खलीफा बनाने की वसीयत कर दी ।
आज फातिमा को अपनी किस्मत पर नाज़ हो रहा था अभी तक वह एक खलीफा की पोती दूसरे की बेटी और दो खलीफा की बहन रह चुकी थी। लेकिन अब वह खलीफा की पत्नी थीं खातूने अव्वल यानी फर्स्ट लेडी थीं वह बहुत शौक से पति के इंतजार में थीं कि वह हर रस्म पूरी करके उनके पास आएं।
आखिर पति आए बहुत थके हुए और परेशान लग रहे थे। खुशी का मौका था उस पर परेशानी फातिमा आगे बढ़ती हैं। परेशानी का कारण पूछती हैं पति जवाब देते हैं बहुत बड़ी जिम्मेदारी आ गई पता नहीं मैं संभाल पाऊंगा या नहीं फातिमा दिलासा देती हैं। हिम्मत बढ़ाती हैं पति कहते हैं कि तुम्हारे गहने कहां हैं फातिमा दूसरे कमरे में जाती हैं गहने लेकर आती हैं। पति उमर बिन अब्दुल अजीज कहते हैं कि गहने बहुत ज्यादा हैं और राज्य में ऐसे गरीब लोग भी हैं जिनके पास खाने को नहीं है ऐसा करो कि इसे सरकारी खजाने में जमा कर दो तुरंत तैयार हो जाती हैं गहने सरकारी खजाने में पहुंच जाते हैं।
नाज़ व नेमतों में पलने वाली शहजादी जब महारानी बनती है तो शुरुआत ज़ेवर की कुर्बानी से होती है लेकिन कमाल है कि पति का साथ देने से पीछे नहीं हटतीं।
हज़रत उमर बिन अब्दुल अजीज की सारी दुनिया तारीफ करती है कि किस तरह उन्होंने सादा जीवन गुजारते हुए हुकूमत की किस प्रकार उन्होंने समाजिक न्याय को स्थापित किया प्रजा के लिए वह काम किए कि इस्लामी इतिहास के छह सबसे अच्छे खलीफा में गिने गएं लेकिन इतिहास साक्षी है कि अगर उन्हें फातिमा जैसी पत्नी न मिलती तो शायद इतना कामयाब न हो पाते ।
हज़रत फातिमा ने पति का हर क़दम पर साथ दिया। लोगों ने देखा कि नेमतों में पलने वाली शहजादी अपने हाथ से कपड़े धो रही हैं खाना पका रही हैं, घर का काम कर रही हैं बच्चों को पालने और उनकी शिक्षा की जिम्मेदारी भी इनकी और क्या उनकी तरबियत की कि हर बच्चा अपनी मिसाल आप !
फातिमा बिंते अब्दुल मलिक इस्लामी इतिहास की सबसे नेक सबसे अधिक त्याग करने वाली महिलाओं में से एक हैं।
पति के इंतेकाल के बाद इनके दो भाई और बारी बारी खलीफा बने इस तरह यह इस्लामी तारीख़ की अकेली ऐसी महिला हैं जिनके दादा पिता पति और चार भाई खलीफा बनें लेकिन इनकी सादगी त्याग और पति से सहयोग करना अपनी मिसाल आप है
सलामती हो फातिमा बिंते अब्दुल मलिक पर
संवाद
खुर्शीद अहमद