जाने वह कौन है जो 1857 में भारत के पहले आजादी जंग में लखनऊ से विद्रोह का नेतृत्व करने वाली एक महान क्रांतिकारी महिला के बारे मे एक खास रिपोर्ट
एमडी डिजिटल न्यूज और प्रिंट मीडिया
संवाददाता
मोहमद दादा साहब पटेल की खास रिपोर्ट
बेगम हज़रत महल 1857 के भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में लखनऊ से विद्रोह का नेतृत्व करने वाली महान् क्रान्तिकारी महिला थी।
उनका असली नाम मुहम्मदी खानुम था। उनका जन्म 1820 ई• में अवध रियासत के फैज़ाबाद में हुआ था।वह अवध के नवाब वाजिद अली शाह की दूसरी पत्नी थी।
उस समय अंग्रेज अवध पर अपना अधिकार करना चाहते थे। अंग्रेजों द्वारा अवध के नवाब वाजिद अली शाह को नज़रबंद करके कलकत्ता भेज दिया। तब बेगम हज़रत महल ने अवध रियासत की बागडोर अपने हाथों में लेली। उन्होंने अपने नाबालिग पुत्र बिरजिस कद्र को राजगद्दी पर बैठाकर अंग्रेज़ी सेना का स्वयं मुंह तोड़ मुकाबला किया।
उनमें संगठन की अभूतपूर्व क्षमता थी और इसी कारण अवध के ज़मीदार, किसान, सैनिक उनके नेतृत्व में अंग्रेजों से संघर्ष करते रहे। आलमबाग की लड़ाई में उन्होंने व उनके साथियों ने अंग्रेज़ी सेना का डटकर मुकाबला किया परन्तु पराजय के बाद उन्हें भागकर नेपाल में शरण लेनी पड़ी।
नेपाल के प्रधानमंत्री महाराजा जंग बहादुर राणा द्वारा उन्हें शरण प्रदान की गई। उसके बाद बेगम हज़रत महल ने अपना पूरा जीवन नेपाल में ही व्यतीत किया और वहीं पर 7 अप्रैल 1879 ई• में उनका इंतकाल हो गया और वहीं काठमांडू की जामा मस्जिद के मैदान में उन्हे खाके सुपुर्द किया गया।
प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में उनके महत्वपूर्ण योगदान को सम्मानित करते हुए 15 अगस्त 1962 में लखनऊ हज़रतगंज के विक्टोरिया पार्क का नाम बदलकर उनके नाम पर रखा गया। 10 मार्च 1984 को भारत सरकार द्वारा उनके सम्मान में डाक टिकट भी जारी किया गया। आज की पीढ़ी ऐसी महान औरत को शायद ही जानती होगी।