जानिये, कबिलाए कुरेश तीन तरह के होते है अरब ,अल्लाह के गजब से कौन कौम हुई तबाह? पूरी तफसील?

क़बीला ए क़ुरैश

अरब तीन तरह के होते हैं
1- अरब ए बाएदा
2- अरब ए आरेबा
3-अरब ए मुस्तारेबा

बाएदा , अरब के सब पुराने लोग या क़बीले जिन के बारे कहा जाता है कि ये ख़त्म हो गए. कहा जाता है कि आद और समूद की कौमें अरब ए बाएदा थीं जो अल्लाह के अज़ाब से तबाह हो गईं।

आरेबा के बारे में उलेमा का ख्याल है कि ये हज़रत नूह के पोते क़हतान बिन साम की औलाद में से हैं इसलिए इन्हें क़हतानी अरब भी कहा जाता है। इनका ताल्लुक़ अस्ल में यमन से है मदीने के मशहूर क़बीले औस और ख़ज़रज अरब ए आरेबा हैं। यमन की मलिका बिलक़ीस भी अरब ए आरेबा से ताल्लुक रखती हैं।

अरब ए मुस्तारेबा हज़रत इस्माईल की औलाद को कहते हैं।
मुस्तारेबा के मानी हैं अरब बनी हुई क़ौम यानी अस्ल अरब नहीं हैं बल्कि अरब बन गए हैं। क्योंकि हज़रत इस्माईल का ताल्लुक फिलस्तीन से था और उनकी ज़बान अरबी नहीं थी इसलिए मुस्तारेबा कहलाते हैं। हज़रत इस्माईल के 12 बेटे हुए नाबित या नयाबूत, क़ीदार, औबाईल, मुबशाम, मुबशा, दूमा, मीशा, हदद, तीमा, यतूर, नुफ़ैस, क़ीदमान।

इन में सिर्फ दो बेटे नयाबूत और क़ीदार की औलाद अरब में रही बाक़ी सब इधर उधर फैल गए या गुमनाम हो गए।
क़ीदार बिन इस्माईल की औलाद में ही अदनान हुए जो नबी करीम सल्ललाहू अलैहि व सल्लम के इक्कीसवें दादा हैं। मक्के के तमाम लोग इन्हीं अदनान की औलाद हैं और इसी निस्बत से अदनानी कहलाते हैं। अदनान के बेटे माद हुए, माद के बेटे नज़ार, नज़ार के बेटे मुज़िर उनके बाद इलियास और इलियास के बेटे ख़ुज़ैमा और ख़ुज़ैमा के बेटे कनाना हुए।

इन्हीं कनाना के पोते फ़हर बिन मालिक हैं जिन्हें क़ुरैश का लक़ब मिला था। क़ुरैश लक़ब मिलने की उलेमा ने कई वजह बयान की हैं जिन में सब से मशहूर ये है क़ुरैश शार्क को कहते हैं। इसलिए बहादुरी की बिना पर ये लक़ब दिया गया। क़ुरैश के कई क़बीले हुए जिन में कुछ मशहूर ये हैं

1-बनू हाशिम – नबी करीम सल्ललाहू अलैहि व सल्लम, हज़रत अली का क़बीला
2-बनू तैम – हज़रत अबू बक्र सिद्दिक़ का क़बीला
3-बनू अदी =हज़रत उमर का क़बीला ।

4बनू उमैय्या – हज़रत उस्मान हज़रत अमीर मुआविया, नबी करीम सल्ललाहू अलैहि व सल्लम की बीवी उम्मुल मोमीनीन उम्मे हबीबा का क़बीला
5- बनू मख़ज़ूम – हज़रत ख़ालिद बिन वलीद, अबू जहल वग़ैरह का क़बीला
6-बनू सहम – हज़रत अब्दुर्रहमान इब्न औफ़
7-बनू असद – नबी करीम सल्ललाहू अलैहि व सल्लम की बीवी ज़ैनब बिन्त जहश का क़बीला।

इन तमाम क़बीलो के लोगों को क़ुरैशी कहा जाता था. यानी , सिद्दिक़ी,फ़ारूक़ी, उस्मानी, अल्वी (सैयद), ये सब हक़ीक़ी तौर पर क़ुरैशी हैं. हिन्दुस्तान में आबाद क़ुरैशी (क़साई) बिरादरी का अरब से कोई ताल्लुक़ नहीं है। इन लोगों ने ग़ालिबन 1930 में नाम के साथ क़ुरैशी लगाना शुरू किया। अब बहुत से लोगों का ये दावा है कि हम अरबी हैं। हालांकि ये महज़ एक ग़लत दावा है। आप जो हैं वही बताएं। नबी करीम सल्ललाहू अलैहि व सल्लम ने इर्शाद फ़रमाया,

لَيْسَ مِنْ رَجُلٍ ادَّعَی لِغَيْرِ أَبِيهِ وَهُوَ يَعْلَمُهُ إِلَّا کَفَرَ وَمَنِ ادَّعَی قَوْمًا لَيْسَ لَهُ فِيهِمْ فَلْيَتَبَوَّأْ مَقْعَدَهُ مِنَ النَّارِ
जिस शख्स ने अपने बाप के अलावा किसी और की तरफ दावा किया उसने कुफ्र किया और जो उस क़ौम में होने का दावा करे जो उन में से नहीं है वो अपना ठिकाना जहन्नुम जान ले
(बुखारी – 3317)।

संवाद
मो अफजल इलाहाबाद

SHARE THIS

RELATED ARTICLES

LEAVE COMMENT