जानिए क्रीमिया मुसलमानों की हकीकत के बारे में
विशेष संवाददाता
क्रीमिया के मुसलमान
कल की न्यूज है कि रूस से क्रीमिया को जोडने वाला पुल उड़ा दिया गया है।
क्रीमिया प्रायद्वीप पूर्वी यूरोप का एक देश है जो काला सागर में स्थित है। इस के एक ओर अज़ोफ ( Azov ) सागर है इस का बार्डर युक्रेन से मिला हुआ है और दूसरी ओर रूस ने समुद्र में एक पुल क्रीमियन ब्रिज बना कर इसे अपने से जोड़ रखा है।
क्रीमिया का असल नाम क्रिम है जो तातारी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ क़िला होता है। इसकी राजधानी Sevastopol है जो क्रीमिया का सबसे बड़ा शहर जाना जाता है। सिवासटोपोल का पुराना नाम अक़मस्जिद था जिसका अर्थ सफेद मस्जिद होता है।
सिफासटोपोल शहर के आबाद होने से पहले इस की राजधानी ” बख्श सराय ” नगर में थी। क्रीमिया का एक मशहूर व इतिहासिक नगर याल्टा है यहां सन् 1945 में स्टालिन , चर्चिल और रोज़ विल्ट की मशहूर कांफ्रेंस हुई थी।
सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होने के कारण क्रीमिया हमेशा बड़ी ताकतों के कब्जे में रहा। रोमन साम्राज्य , बेजिंटाइन सम्राज्य , युनान सब यहां पर हुकूमत कर चुके हैं। लगभग सन 1400 ईस्वी में यहां इस्लाम फैला और क्रीमिया के बहुसंख्यक तातारी कौम के लोग मुसलमान हो गए। कुछ वर्षों बाद अल्पसंख्यक युनानी व इटालियन लोग भी मुसलमान हो गए। मुसलमान होने के बाद सब एक हो गए कोई बहुसंख्यक अल्पसंख्यक बाकी न रहा सब तातारी कहे जाने लगे।
तातारियों ने इस देश को काफी तरक्की दी। सन 1427 ईस्वी में मोहम्मद किराई यहां के खाकान ( सुल्तान ) बने। वह बहुत महान योद्धा थे उनके समय में मास्को के शासक तक वार्षिक लगान दिया करते थे।
1680 में रूस ने क्रीमिया के एक भाग पर कब्ज़ा कर लिया। तातारियों ने ख़िलाफत ए उस्मानिया से मदद मांगी उस्मानी सेना गई और रूस को मार भगाया। फिर एक समझौते के अंतर्गत क्रीमिया उस्मानी ख़िलाफत के अंदर आ गया।
1783 में छह वर्ष युद्ध लड़ने के बाद रूस ने क्रीमिया पर कब्ज़ा कर लिया। मस्जिद और कुरान पर पाबंदी लगा दी। पांच लाख ततारी मुसलमानों को देश छोड़ने पर मजबूर कर दिया। जो लोग बचे उन पर बहुत ज़ुल्म सितम ढहाए गए। 120 वर्षों तक ज़ुल्म व अत्याचार का सिलसिला चलता रहा।
1905 में रूस में मजहबी आजादी का कानून पास हुआ जिस के कारण ततारी मुसलमानों को भी काफ़ी छूट हासिल हुई। लेकिन यह सिलसिला लंबा नहीं चला। 1917 में रूस पर कम्युनिस्टों का कब्जा हुआ और एक बार फिर ततारी मुसलमानों पर मुसीबतें शुरू हो गई। 1917 से 1922 तक सोवियत यूनियन ने इन्हें भूख की सज़ा दी और लगभग 60 हज़ार मुस्लिम भूख से मर गए।
1922 में रूस ने आंतरिक आजादी दी और यहां सोवियत यूनियन के अंतर्गत तातारियों की अपनी हुकूमत कायम हुई लेकिन रूस यहां यहुदियों को लाकर आबाद करने लगा। स्थानीय सरकार ने विरोध किया जिस के कारण 1928 में यहां के राष्ट्रपति को रूसियों ने फांसी दे दी।
बताया जाता है कि तातारी कौम ने बहुत ज़ुल्म सहे हैं। 1948 में सोवियत यूनियन के राष्ट्रपति जोज़फ स्टालिन ने तातारियों पर यह आरोप लगाया कि इन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध में जर्मनी का साथ दिया है। उसके बाद मुसीबतों का नया सिलसिला शुरू हुआ। ततारियों को उन्हीं के देश से निकाल दिया गया। वहां रूस व यूक्रेन से लोग ले जा कर बसा दिए गए। ततारियों की बड़ी संख्या मध्य एशिया के देशों और तुर्की चली गई।
1954 में रूस ने क्रीमिया प्रायद्वीप युक्रेन को गिफ्ट कर दिया। सोवियत यूनियन के टूट जाने के बाद ततारी अपने देश वापस होने शुरू हुए। लेकिन बहुत कम लोग वापस हुए और आज भी वहां उनकी संख्या 12 से 15 प्रतिशत ही है।
क्रीमियाई ततारी विश्व की सबसे मजलूम कौम है। रूस युक्रेन के विवाद में दोनों देश उन्हें अपनी ओर मिलाना चाहते हैं। लेकिन शताब्दियों के तजुर्बे के कारण रूस से उनके दिल साफ़ नहीं हैं इस समय युक्रेन के रक्षा मंत्री रुस्तम उमरोफ भी क्रीमियाई तातारी हैं।
साभार;
खुर्शीद
अहमद