जब होंगे चुनाव तो उनसे ही गठबंधन करने के लिए फफड़ाएंगे

विशेष
संवाददाता

बिहार

ओवैसी 5 साल सेकुलर दलों को गालियां देंगे और जब चुनाव होगा तो उनसे ही गठबंधन करने के लिए फड़फड़ाएंगे.

बिहार में ओवैसी की पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को पत्र लिखा है कि वह महागठबंधन में एआईएमआईएम को शामिल करें.

बिहार में 20% मुसलमान हैं , 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में राजद‌ कांग्रेस वाले महागठबंधन को मुसलमानों के 70% वोट मिले थे और राजग को 7% , जिसमें 2% चिराग पासवान की पार्टी को मिले थे , इसके अतिरिक्त ओवैसी की पार्टी AIMIM को कुल 1.24% वोट मिले थे और वह 5 सीटें जीतने में कामयाब हुई थी।

ऐसा कहा जाता है कि 2020 में तेजस्वी यादव के मुख्यमंत्री बनने से रोकने में ओवैसी की पार्टी AIMIM का बहुत बड़ा रोल था क्योंकि तेजस्वी यादव को एनडीए से मात्र .75% वोट कम मिले थे और AIMIM को दर्जन भर सीटों पर मिले वोटों से कम वोट से महागठबंधन हार गयी थी।
2023 की बिहार जाति आधारित जनगणना के अनुसार, बिहार में यादव की आबादी कुल जनसंख्या का 14.26% है अर्थात तेजस्वी यादव के कोर वोटर 34.26% है।

इस बार वक्फ़ संसोधन कानून में नितीश कुमार के समर्थन के कारण उनको मिलने वाला 5% वोट भी राजद की तरफ़ चला जाएगा….और यह निश्चित है कि AIMIM को भी उतना वोट नहीं मिलने वाला… क्योंकि सीमांचल में मुसलमानों को पता चल गया है ये ओवैसी वोट कटवा है ।

2020 के चुनाव में राजग को 37.26% वोट मिले थे जिसमें भाजपा को 19.46% जेडीयू को 15.39% तथा मुकेश साहनी की वीआईपी को 2-3% मिले। इस बार मुकेश साहनी महागठबंधन के साथ हैं तो राजग के वोट हो गये 35% और महागठबंधन को 37.26%..यही गणित 2025 में रहा तो राजग इस बार महागठबंधन से 3% वोट आगे है।
कुल मिलाकर यदि 5-7% अन्य का वोट महागठबंधन ने प्राप्त कर लिया तो तेजस्वी यादव का 2025 में मुख्यमंत्री बनना तय है।

अब आते हैं AIMIM पर , तेजस्वी यादव ने यदि AIMIM से समझौता किया तो यह उनके लिए राजनीतिक आत्महत्या के समान होगा और भाजपा का इकोसिस्टम इतना शोर मचाएगा कि बिहार में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण तेज़ी से होगा।

बेहतर तो यह है कि AIMIM बिहार विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव को समर्थन करके बिहार के मुसलमानों के ऊपर एक ज़ालिम हुकूमत मुसल्लत करने से रोकने के लिए चुनाव से बाहर हो जाए।
नहीं तो अकेले लड़ने दें क्योंकि AIMIM महागठबंधन से बाहर होकर जितना नुकसान महागठबंधन का करेगी उससे अधिक गठबंधन शामिल होकर करेगी.

वैसे भी इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में तीसरा स्टेक प्रशांत किशोर है, उसे मुसलमानों और यादवों का वोट तो मिलने से रहा , किसका वोट वह काटेंगे समझा जा सकता है।

साभार;पिनाकी मोरे

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