जन्नत में जन्नती को 72हूर यानी सेक्स स्लेव देने का लालच दिया जाता है,लेकिन इस्लाम के मुताबिक जन्नती औरतों को इस के बदले क्या मिलेगा,वो 72हूरों के साथ क्या करेगी तथा इन जन्नती औरतों के लिए जन्नत में तगड़े पुरुषों का वादा क्यों नही किया जाता? इसका जवाब यहां ढूंढे

आपत्ति : इस्लाम में व्यक्ति को जन्नत में 72 हूर अर्थात “सेक्स स्लेव” देने का लालच दिया जाता है, परन्तु इस्लाम के अनुसार जन्नत में जाने वाली स्त्रियों को क्या मिलेगा वो 72 हूरों के साथ क्या करेंगी ?? इस्लाम में स्त्रियों के लिये जन्नत में बहत्तर तगड़े पुरुषों का वादा क्यों नही किया जाता?

उत्तर : हूर का मतलब सेक्स स्लेव बिलकुल नहीं होता बल्कि हूर से विवाह होगा, हूर पवित्र और सम्मानित जीवनसाथी का नाम है, दुनिया की कई धार्मिक किताबों में हूर या अप्सरा का वर्णन है, और इस तरह वर्णन है जैसे दुनिया में वेश्याएं होती हैं पर इस्लाम जन्नत में हूर या अप्सरा के साथ एक पवित्र वैवाहिक संबंध की बात कहता है, जन्नत में हूरों की अदला बदली कतई न होगी, बल्कि जिस तरह दुनिया में सम्मानित स्त्रियां अपने पति के साथ आजीवन रहती हैं उसी तरह जन्नत में हूरें केवल अपने पति के साथ ही रहेंगी।

कटाक्ष करने वाले लोगों को ये भी बता दूं कि 72 हूरों का ज़िक्र क़ुरान में कहीं भी नही है, ये एक आधारहीन बात है जिसके सच होने का भरोसा नहीं है, पर इस्लाम विरोधियों ने इस बात को अधिक तूल दिया है। क़ुरआन के बाद सही बुख़ारी, व सही मुस्लिम में भी 72 हूरों वाली कोई हदीस नही, इसके अतिरिक्त जहाँ कुछ रिवायतों में 72 हूर का ज़िक्र है, विद्वानों के अनुसार वे रिवायतें ज़ईफ़ हैं, अर्थात उनकी प्रमाणिकता संदेहास्पद है।

इस्लाम के अनुसार सही बात ये है कि नेक व्यक्तिओं जिनकी मौत विवाह से पहले हो गई थी जन्नत में उनका विवाह जन्नती स्त्रियों से करवा दिया जाएगा, (क़ुरआन 42:54 और 52:20 में आया है कि अल्लाह जन्नतियों का विवाह हूरों से करवा देंगे, यहाँ शब्द “ज़व्वजन्नहुम” आया है जो वैवाहिक संबंध के लिये प्रयुक्त होता है, “ज़ौजा” अरबी में पत्नी के लिये प्रयुक्त शब्द है और “ज़ौज” पति के लिए)।

दुनिया में जिन नेक व्यक्तियों के विवाह हो गए थे, तो उन प्रेमी पति पत्नियों को जन्नत में एक दूसरे से मिला दिया जाएगा, ऐसा क़ुरआन की सूरह रा’द की 23वीं आयत में लिखा मिलता है कि
सदैव रहने के बाग़ है जिनमें वे प्रवेश करेंगे और उनके बाप-दादा और उनकी पत्नियों और उनकी सन्तानों में से जो नेक होंगे वे भी और हर दरवाज़े से फ़रिश्ते उनके पास पहुँचेंगे (13:23)।

तो देखिये जिस तरह विवाहित पुरुषों को हूर के रूप में उनकी प्रिय पत्नी मिल जाएंगी, उसी तरह विवाहिता स्त्रियों को हूर के रूप में उनके सांसारिक जीवन के प्रेमी पति मिल जाएंगे,
रही कुँवारेपन में देह त्याग कर चुकी नेक लड़कियां तो उनके विवाह भी जन्नती पुरुषों से कर दिए जाएंगे।क्योंकि क़ुरान में वर्णित शब्द हूर का अर्थ है सुन्दर आँखों वाला साथी, हूर शब्द का कोई स्पेसिफिक जेंडर नही है, पुरुषों के परिप्रेक्ष्य में हूर शब्द स्त्रियों के लिए प्रयुक्त होगा और स्त्रियों के परिप्रेक्ष्य में हूर शब्द पुरुषों के लिए प्रयुक्त होगा।

दूसरी ओर आप लोग इस सम्बन्ध में सबसे ऊपर सम्भोग की बात को रखते हैं जबकि सोचिये कि यदि आपके विवाह को दो तीन वर्ष हो चुके हैं, तो क्या आज भी आप अपनी पत्नी को सेक्स डॉल के ही रूप में देखते हैं ? आप अपनी पत्नी को बिलकुल इस शक्ल में नही देखते होंगे, क्योंकि विवाह के कुछ ही समय बाद सम्भोग दम्पति के लिये गौड़ विषय हो जाता है। उसकी जगह उनके लिए भावनात्मक सम्बन्ध ज़्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है। साथ रहकर जीवन के उतार चढ़ाव को पार करने का आनन्द महत्वपूर्ण हो जाता है। साथी द्वारा दूसरे साथी के लिए बढ़ती जाती सहानुभूति की भावना का सुख महत्वपूर्ण हो जाता है, एक दूसरे से कह सुनकर दिल हल्का करने की सुविधा महत्वपूर्ण हो जाती है।

कहीं आप ये तो नही सोचते कि वृद्ध दम्पति में से एक के मरने पर दूसरा इसलिये रोता है कि अब वो सम्भोग किससे करेगा/करेगी.? ऐसा नहीं है क्योंकि वृद्धावस्था में अधिकांश लोगों की सेक्स क्षमता क्षीण हो जाती है और, वे सेक्स की ज़रूरत भी कभी महसूस नही करते, तब एक साथी के मरने पर दूसरा इसलिये रोता है कि उसके सुख दुःख का साथी बिछड़ गया है।

ये है दुनिया में वैवाहिक संबंध का सही रूप जहाँ जीवन बहुत थोड़ा है, और इस थोड़े से समय में सेक्स को लेकर उत्तेजना और उत्साह का समय उससे भी बहुत बहुत छोटा। अब इसके बाद सोचिये ऐसे जीवन और ऐसे सम्बन्ध के बारे में, जो कि अन्त हो, क्या ऐसे सम्बन्ध में व्यक्ति को केवल सेक्स का ही लालच दिखेगा ? तब, जब सांसारिक जीवन में उनमे से अधिकांश व्यक्तियों के लिए सेक्स गौड़ विषय हो चुका हो?

माफ़ कीजिये पर यदि जन्नती विवाह के नाम पर केवल सेक्स ही सेक्स आपके मस्तिष्क में घूमने लगता है तो खुद आप ही यौन कुंठा के शिकार हैं।
क्योंकि क़ुरआन कहीं जन्नत में सेक्स करने का वर्णन नहीं करता। क़ुरआन और अहादीस स्पष्ट करती हैं कि सांसारिक जीवन की तमाम गंदी और घृणित चीज़ों का अस्तित्व जन्नत में नही होगा। जन्नत में जो कुछ होगा उसका स्वरूप पवित्र होगा ऐसे में कल्पना की जा सकती है कि जन्नत में पति पत्नी के बीच शारीरिक सम्बन्धों का स्वरूप सांसारिक जीवन के स्वरूप जैसा नही कतई होगा, बल्कि कुछ अलग ही अकल्पनीय ढंग का होगा, जो स्वरूप पूरी तरह पवित्रता से भरा होगा। इन बिंदुओं पर गौर करने के बाद आपको जन्नती दाम्पत्य में शुद्ध भावनात्मक प्रेम ही दिखेगा कोई अशोभनीय बात न दिखेगी । पूर्वाग्रहों को परे रख, सोचकर तो देखिये !

(जन्नत में स्त्रियों को भी सुंदर पति मिलेंगे जो स्त्रियां दुनिया में शादी कर चुकी थीं उन्हें उनके प्रेमी पति का स्वरूप सुंदरतम बनाकर उनसे मिला दिया जाएगा, ये जवाब मिलने के बाद एक सवाल आता है कि जिन औरतों ने दुनिया में अलग अलग वक्त में एक से ज़्यादा शादियां की थीं, जन्नत में वो किस नम्बर के पति के साथ रहेंगी? क्योंकि मर्द तो एक साथ ज़्यादा औरतें रख सकता है लेकिन औरत की हया के लिये उसका एक शौहर के साथ रहना ही दुरुस्त है।,

तो आलिमों ने इस पर वैसे तो अलग अलग ख्याल ज़ाहिर किये हैं, लेकिन दो ख्याल ऐसे ज़ाहिर किये हैं, जो ज़्यादा तर्कपूर्ण लगते हैं उन में से एक ख्याल ये है कि औरत की शादी सबसे आख़ीर में जिस मर्द से हुई थी जन्नत में वो उसके साथ रहेगी, और दूसरा ख्याल ये है कि दुनिया में जिस शौहर के साथ उसे सबसे ज़्यादा मोहब्बत होगी, वो जन्नत में उसके साथ रहेगी। हमें ये दूसरा ख्याल ज़्यादा बेहतर मालूम होता है !

संवाद:मो अफजल इलाहाबाद

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