क्या देश के बैंकों को लूटने वाली कंपनिया इन्हे फंड करने की प्लान में है, इस मुद्दे पर बिकाऊ मीडिया क्यों है खामोश ?
एक अहम विषय
भारतीय इतिहास की सबसे बड़ी बैंक लूट पर चर्चा क्यों नहीं हो रही है? बिकाऊ मीडिया खामोश क्यों है? क्या ये खामोशी इसलिए है क्योंकि देश के बैंकों को लूटने वाली कंपनियाँ भाजपा को फंड कर रही थीं?
जबकि हाल ये है कि सिर्फ 2020-21 में भारत में 83 हजार से ज्यादा बैंकिंग फ्रॉड हुए, जिसके तहत 1.38 लाख करोड़ रुपये का फ्रॉड हुआ। पिछले 8 सालों में भारत में 6 से 7 लाख करोड़ का बैंक फ्रॉड हो चुका है। कई बैंक डूब गए, कई को आपस मे मर्ज कर दिया गया। तो
दूसरी तरफ धड़ल्ले से बैंकों की लूट जारी है। हाल ही में गुजरात की एक कंपनी एबीजी शिपयार्ड का 23 हजार करोड़ का बैंक फ्रॉड सामने आया था। अब यह नया मामला सामने आया है जो 34,615 करोड़ का है। इस लूट को अंजाम देने वाली बधावन ब्रदर्स की कंपनियां भाजपा को चंदा दे रही थीं। बैंक लूटने वालों से भाजपा ने 28 करोड़ रुपये चंदा लिया।
इतिहास का सबसे बड़ा बैंक फ्रॉड करने वालों ने प्रधानमंत्री आवास योजना के नाम पर भी फ्रॉड किया। यह घोटाला योजना के आडिट में सामने नहीं आया। यस बैंक के आडिट में सामने आया।
भारत में यह किसकी शह पर हो रहा है? इसे रोका क्यों नहीं जा रहा है? मोदी की सरकार ऐसा क्यों होने दे रही है?
जो कंपनी देश के बैंकों को हजारों करोड़ का चूना लगा रही है, वह भाजपा को चंदा क्यों दे रही है? उसकी लूट पर लगाम क्यों नहीं लगी? क्या मोदी सरकार को इस लूट की जानकारी नहीं थी?
वाधवन ब्रदर्स की जो कंपनियां देश के बैंकों के साथ लगातार फ्रॉड कर रही थीं, भाजपा उससे लगातार चंदा ले रही थी और कंपनी की लूट पकड़ में नहीं आ रही थी। यह कोई संयोग है या प्रयोग है?
बैंकों को 34,615 करोड़ का चूना लगाने वाली कंपनियों से भाजपा ने चंदा क्यों लिया होगा? क्या 2015 से हो रही यह लूट इसीलिए रोकी नहीं गई क्योंकि भाजपा का वरदहस्त था? अगर नहीं तो आज इसे लेकर देश में कोई होहल्ला क्यों नहीं है? क्या 34,615 करोड़ का घोटाला बहुत छोटी बात है? गोदी मीडिया भी खामोश है इस मामले में
इतना सन्नाटा क्यों है भाई?