कितनी भ्रष्ट है इनकी सरकार

सौ सौ चूहे खाकर मोदी सरकार हज़ को चली!

हर रोज़ मोदी सरकार के जिस तरह अपराधों, चोरी,लूट के प्रकरण सामने आते जा रहे हैं उससे ध्यान भटकाने और साफ़ पाक दिखने की कशिश बढ़ती जा रही है। इसीलिए संविधान का130वां बिल सदन में लाया गया है। पहली बात तो ये है कि उपराष्ट्रपति चुनाव सिर पर है और चंद्राबाबू नायडू के तेवर बदले नज़र आ रहे हैं। कहा जा रहा है इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार पूर्व न्यायाधीश
बी.सुदर्शन रेड्डी का नाम उनके द्वारा ही सुझाया गया है। यानि उनके सांसद तो सबोटोज़ करेंगे ही तब यह बिल आनन फानन में लाया गया जिससे उनको पिछले भ्रष्टाचार प्रकरण में सजा की धमकी देकर मोदी सरकार को सहयोग देने बाध्य किया जाए। ताकि उपराष्ट्रपति चुनाव में कोई गड़बड़ी ना होने पाए और मोदी की सरकार भी बची रहे।

दूसरी बात यह भी है कि मोदी सरकार में ऐसे बहुत से भ्रष्टाचार में लिप्त भाजपा सांसद हैं जिनके दाग छुपाकर उन्हें अपना बनाया हुआ है। सबकी फाईलें हैं हीं उनके पास । डराकर यह बिल , जेल भेजने की धमकी देकर उनका समर्थन लेता रह सकता है।

तीसरी बात है जो कि बड़ी महत्वपूर्ण है विपक्ष के तमाम बड़े नेताओं पर कोई झूठा इल्ज़ाम लगाकर जेल भेज देना।यह मोदी सरकार का पुराना शगल रहा है।

AAP पार्टी के सतेन्द्र जैन, केजरीवाल, मनीष सिसोदिया , झारखंड के हेमन्त सोरेन को हम देख ही चुके हैं। अब राहुल, प्रियंका उनकी नज़र में सबसे ज्यादा खटक रहे हैं । इसलिए आपराधिक तज़ुर्बे वाली मोदी सरकार कुछ भी कर सकती है। जस्टिस लोया, गोपीनाथ मुंडे की मौत की सुई भी अभी तक मोदी – शाह के इर्द-गिर्द घूमती नज़र आती है। गुजरात नरसंहार की जिम्मेदार ये जुगल जोड़ी किस तरह न्यायपालिका को खरीदकर बेदाग बनी बैठी है इन सबकी हकीकत दफ़न है किंतु खुलेगी देर सबेर।

राम जेठमलानी के प्रायश्चित में बहुत से रहस्य छिपे हुए हैं इसलिए सत्ता में रहना इनकी मज़बूरी है।अपने को बेदाग होने का सुप्रीम कोर्ट से खरीदा हुआ सर्टिफिकेट मिलने के बाद आज ये इस बिल के ज़रिए राजनीति को ईमानदार बताने की जद्दोजहद में लगे हैं।

यानि उनके सांसद तो सबोटोज़ करेंगे ही तब यह बिल आनन फानन में लाया गया जिससे उनको पिछले भ्रष्टाचार प्रकरण में सजा की धमकी देकर मोदी सरकार को सहयोग देने बाध्य किया जाए। ताकि उपराष्ट्रपति चुनाव में कोई गड़बड़ी ना होने पाए और मोदी की सरकार भी बची रहे।

AAP पार्टी के सतेन्द्र जैन, केजरीवाल, मनीष सिसोदिया , झारखंड के हेमन्त सोरेन को हम देख ही चुके हैं। अब राहुल, प्रियंका उनकी नज़र में सबसे ज्यादा खटक रहे हैं । इसलिए आपराधिक तज़ुर्बे वाली मोदी सरकार कुछ भी कर सकती है। जस्टिस लोया, गोपीनाथ मुंडे की मौत की सुई भी अभी तक मोदी – शाह के इर्द-गिर्द घूमती नज़र आती है। गुजरात नरसंहार की जिम्मेदार ये जुगल जोड़ी किस तरह न्यायपालिका को खरीदकर बेदाग बनी बैठी है इन सबकी हकीकत दफ़न है किंतु खुलेगी देर सबेर। राम जेठमलानी के प्रायश्चित में बहुत से रहस्य छिपे हुए हैं इसलिए सत्ता में रहना इनकी मज़बूरी है।अपने को बेदाग होने का सुप्रीम कोर्ट से खरीदा हुआ सर्टिफिकेट मिलने के बाद आज ये इस बिल के ज़रिए राजनीति को ईमानदार बताने की जद्दोजहद में लगे हैं।

अपने पावर का इस्तेमाल वे मरता क्या नहीं करता की तर्ज़ पर करने बैचेन है। इसलिए इस बिल को पास कराने बेताब है। यदि यह बिल पास हो जाता है तो इन दोनों शैतानों से शायद ही कोई विपक्षी बच पाए। यानि कुल मिलाकर प्रजातंत्र की जगह मोदोशाही की तानाशाही ही चलेगी।

बहरहाल मोदी सरकार की ओर से सदन में पेश तीन विधेयकों पर अब संग्राम छिड़ गया है। विपक्ष ने प्रस्तावित विधेयक पर कड़ा ऐतराज जताते हुए कहा कि मोदी सरकार राज्यों में गैर बीजेपी सरकार को अस्थिर करने के लिए कानून लाने की कोशिश कर रही है। विपक्षी दलों का कहना है कि 130 वां संविधान संशोधन विधेयक भारत में लोकतंत्र को हमेशा के लिए खत्म कर देगा।

विपक्षी दलों के नेताओं का कहना है कि इसके तहत केंद्रीय एजेंसियां राज्यों के मुख्यमंत्रियों को गिरफ्तार करवाएगी और उनकी मनमाने ढंग से गिरफ्तारी के तुरंत बाद उन्हें पद से हटा दिया जाएगा।

विपक्ष की ओर से एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस के मनीष तिवारी और केसी वेणुगोपाल, आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन और समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव ने विधेयकों को पेश किए जाने का विरोध किया। उन्होंने यह भी कहा कि नियमों के अनुसार सात दिन पहले विधेयक पेश करने का नोटिस सदस्यों को नहीं दिया गया और इसकी प्रतियां भी समय पर नहीं वितरित की गईं।

संवैधानिक कानूनों के उल्लंघन में माहिर मोदी सरकार का जवाब नहीं।अब यदि किसी भी तरह की हीला हवाली विपक्ष और जागरूक जनता की ओर से होती है तो बड़ी भूल होगी। सुप्रीम कोर्ट भी अब स्वत: संज्ञान लेने की ज़रुरत है कि क्या कोई चुना हुआ विपक्ष का सांसद नेता व्यक्ति साजिश के तहत जेल में पहुंच जाता है अपराध सिद्ध भी नहीं होता है तो क्या उसे 31वें दिन पदमुक्त कर देना युक्तिसंगत होगा।

कुल मिलाकर मोदी सरकार सौ सौ चूहे खाकर है हज करने की चेष्टा में लगी है। जिसे नाकाम कर ही देश की प्रजातांत्रिक व्यवस्था को ख़त्म होने से बचाया जा सकता है।
अपने पावर का इस्तेमाल वे मरता क्या नहीं करता की तर्ज़ पर करने बैचेन है। इसलिए इस बिल को पास कराने बेताब है। यदि यह बिल पास हो जाता है तो इन दोनों शैतानों से शायद ही कोई विपक्षी बच पाए। यानि कुल मिलाकर प्रजातंत्र की जगह मोदोशाही की तानाशाही ही चलेगी।

बहरहाल मोदी सरकार की ओर से सदन में पेश तीन विधेयकों पर अब संग्राम छिड़ गया है। विपक्ष ने प्रस्तावित विधेयक पर कड़ा ऐतराज जताते हुए कहा कि मोदी सरकार राज्यों में गैर बीजेपी सरकार को अस्थिर करने के लिए कानून लाने की कोशिश कर रही है। विपक्षी दलों का कहना है कि 130 वां संविधान संशोधन विधेयक भारत में लोकतंत्र को हमेशा के लिए खत्म कर देगा।
विपक्षी दलों के नेताओं का कहना है कि इसके तहत केंद्रीय एजेंसियां राज्यों के मुख्यमंत्रियों को गिरफ्तार करवाएगी और उनकी मनमाने ढंग से गिरफ्तारी के तुरंत बाद उन्हें पद से हटा दिया जाएगा।

विपक्ष की ओर से एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस के मनीष तिवारी और केसी वेणुगोपाल, आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन और समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव ने विधेयकों को पेश किए जाने का विरोध किया। उन्होंने यह भी कहा कि नियमों के अनुसार सात दिन पहले विधेयक पेश करने का नोटिस सदस्यों को नहीं दिया गया और इसकी प्रतियां भी समय पर नहीं वितरित की गईं।

संवैधानिक कानूनों के उल्लंघन में माहिर मोदी सरकार का जवाब नहीं।अब यदि किसी भी तरह की हीला हवाली विपक्ष और जागरूक जनता की ओर से होती है तो बड़ी भूल होगी। सुप्रीम कोर्ट भी अब स्वत: संज्ञान लेने की ज़रुरत है कि क्या कोई चुना हुआ विपक्ष का सांसद नेता व्यक्ति साजिश के तहत जेल में पहुंच जाता है अपराध सिद्ध भी नहीं होता है तो क्या उसे 31वें दिन पदमुक्त कर देना युक्तिसंगत होगा।

कुल मिलाकर मोदी सरकार सौ सौ चूहे खाकर है हज करने की चेष्टा में लगी है। जिसे नाकाम कर ही देश की प्रजातांत्रिक व्यवस्था को ख़त्म होने से बचाया जा सकता है।

संवाद;पिनाकी मोरे

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