ऐसे भी कई सवाल है, इस रिपोर्ट्स पर क्यों लगी मोदीजी की रोक ऐसे कुछ सवाल है जिसकी वजह से मोदी जी की हो रही फजीहत लेकिन इसका जवाब कौन देगा?

विशेष संवाददाता

कैग की फ़ील्ड रिपोर्ट्स पर MODI की रोक

ये तो सबको ज्ञात है कि बीते 11 अगस्त को समाप्त हुए मानसून सत्र के दौरान कैग द्वारा संसद में प्रस्तुत 12 प्रमुख ऑडिट रिपोर्टों में मोदी सरकार के कई मंत्रालयों और विभागों के कामकाज में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं का भंडाफोड़ किया गया था। जिससे मोदी सरकार की बड़ी फजीहत हुई है।

इसी के मद्देनजर मोदी सरकार द्वारा अब अपने घपले-घोटालों की निगरानी और उनके सार्वजनिक होने से रोकने के इंतजाम किये गये हैं। इसके लिए देश की सर्वोच्च ऑडिट संस्था नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) को बाकायदा एक चिट्ठी भेजी गई है।
द वायर के मुताबिक मुंबई स्थित महाराष्ट्र महालेखाकार (लेखा और हकदारी)-I में प्रधान महालेखाकार के कार्यालय (लेखापरीक्षा)-1 द्वारा इसी माह दिनांक 9 अक्टूबर को एक आदेश जारी किया गया है कि सभी फील्ड ऑडिट कार्य अगले आदेश तक तत्काल प्रभाव से रोका जाए।

हालांकि द वायर के सवालों का जवाब देते हुए कैग कार्यालय ने मुख्यालय से राज्यों को दिए गए ऐसे किसी भी आदेश से इनकार करते हुए कहा गया है कि कैग कार्यालय द्वारा फील्ड ऑडिट कार्य को रोकने के लिए कोई आदेश जारी नहीं किया गया है।
मलयालम दैनिक मातृभूमि ने मुंबई डेटलाइन से अभी हाल ही में यानी 18 अक्टूबर को एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट में बताया है कि कैग ने केंद्र की मोदी सरकार के तहत विभिन्न मंत्रालयों और विभागों से सम्बंधित ऑडिट को रोकने के प्रस्ताव को वापस ले लिया है। इस सम्बंध में 17 अक्टूबर को वरिष्ठ अधिकारियों की एक ऑनलाइन बैठक में यह निर्णय लिया गया।

बहरहाल जिस तरह आरटीआइ को कमजोर करने, देश के मुख्यधारा के मीडिया को गुलाम बनाने, संसद के भीतर और बाहर सवाल उठाने को हतोत्साहित करने, पत्रकारों व सामाजिक कार्यकर्ताओं को जेल भेजने, विपक्षी नेताओं पर तरह-तरह की छापेमारी आदि के जरिए देश भर मे डर और आतंक का माहौल बनाया गया है, उसे देखते हुए कैग पर भी दबाव डालकर सच को सामने आने से रोकना कोई बड़ी बात नहीं है।

गौर तलब कीजिए कि दो नंबरी अडानी सेठ की कंपनियों में 32 हजार करोड़ रुपए की रकम कहां से आ गई? ये भी एक यक्ष प्रश्न है कि छापेख़ाने से रिजर्व बैंक भेजे गए 88 हजार करोड़ रुपए के 500 रुपए के नोट कहां गए? नोटबंदी के दौरान बैंक में 14,860 करोड़ रुपए नकद जमा करने वाले गुजराती व्यापारी महेश शाह का क्या हुआ? सरकारी अर्द्धसरकारी कर्मचारियों के वेतन से जबरन कटौती कर पीएमकेअर फंड में जमा अकूत धनराशि का हिसाब-किताब क्या है?

गौर तलब है कि
ऐसे कई बहुत सारे सवालों का जवाब जनता चाहती है मगर इन सारे सवालों के पुख्ता जवाब कौन देगा? और इसके जवाबदेही आखिर है कौन?
संवाद;पिनाकी

The Lieutenant Governor of Jammu and Kashmir, Shri G.C. Murmu addressing at the inauguration of the two-day Conference on ?Ek Bharat Shreshta Bharat? with focus on ?Jal Shakti? and ?Disaster Management?, organised by the Department of Administrative Reforms and Public Grievances (DARPG), Government of India, in collaboration with Governments of Tamil Nadu and Union Territory of Jammu & Kashmir, in Jammu on November 30, 2019.

मोरे

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