एहसान है शेख फरीद बख्शी का,अगर वह नहीं होते तो सारा उजड़ जाता इलाहाबाद
बख्शी बांध:-
इलाहाबाद पर एहसान है शेख फरीद बख्शी का, शेख फरीद बख्शी नहीं होते तो इलाहाबाद नहीं होता और होता तो हर साल उजड़ चुका होता बह चुका होता।
दरअसल इलाहाबाद तीन तरफ़ से गंगा और जमुना नदियों से घिरा हुआ शहर है। इस शहर से इन तीन तरफ़ से बाहर जाने के लिए आपको तीन पुल के माध्यम से इन नदियों को पार करना पड़ता है।
जुलाई खत्म होते होते गंगा और जमुना में इतना पानी आ जाता है कि वह इलाहाबाद जैसे 10-15 शहर बहा ले जाए , जैसे कोसी नदी बिहार के सीमांचल को बहा ले जाती है।
मगर हम सुरक्षित रहते हैं, इलाहाबाद सुरक्षित रहता है, तो शेख फरीद बख्शी जी की वजह से।
दरअसल आप इलाहाबाद को देखेंगे तो यह दो हिस्सों में बंटा दिखाई देगा , एक पुराना हिस्सा, जो शहर के उत्तर पश्चिम में स्थित है वह नये शहर के मुकाबले बहुत उंचाई पर स्थित है।
दरअसल इस पूरे क्षेत्र को ही “प्रयाग” कहा जाता है जो गंगा के तट पर बसा हुआ है , इसमें दारागंज, कटरा , तेलियरगंज जैसे पुराने मुहल्ले आते हैं, हिन्दू धर्म का शब्द “प्रयाग” इसी क्षेत्र को कहते हैं और काफ़ी उंचाई पर गंगा किनारे बसे इन क्षेत्रों के आसपास गंगा के किनारे तमाम शमशान घाट हमेशा से रहें हैं जैसे रसूलाबाद घाट , शंकर घाट , फाफामऊ घाट , दारागंज घाट इत्यादि इत्यादि।
गंगा के किनारे 2-3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इन सभी घाटों पर आज भी अंतिम संस्कार होता है.. क्योंकि प्रयाग में बहती इसी गंगा को धार्मिक पुस्तकों में महत्वपूर्ण बताया गया है.
प्रयाग बस इतना ही है , बाकी नया शहर अकबर का बनाया हुआ है जब उन्होंने 1583 में इलाहाबाद में एक गंगा जमुना संगम नोज़ पर विशाल किला बनवाया।
यह किला सैन्य और प्रशासनिक गतिविधियों का केंद्र था और मुगल शक्ति का प्रतीक था। इस किले से अकबर और उनके उत्तराधिकारी उत्तर भारत में क्षेत्रीय नियंत्रण को मजबूत करते थे और तब यहां के मुख्यालय के मीर बख्शी थे शेख फरीद बख्शी।
मुगल प्रशासन में मीर बख्शी अर्थात मुख्य बख्शी का पद सैन्य और प्रशासनिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण था जो सैन्य प्रशासन और मनसबदारी प्रणाली का प्रबंधन ,सैनिकों की भर्ती और उनके वेतन का प्रबंधन, मनसबदारों अर्थात सैन्य अधिकारियों के रैंक का निर्धारण और उनकी नियुक्ति के साथ साथ सैन्य अभियानों की योजना और समन्वय के साथ साथ अपने क्षेत्र के मामलों में
बादशाह को सलाह देना।
मीर बख्शी का कार्यालय सम्राट और सेना के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी था, जो सैन्य संगठन को सुचारु रूप से चलाने में मदद करता था।
शेख फरीद बख्शी अकबर के सैन्य और प्रशासन के मीर थे जो इलाहाबाद के किले को केंद्र बनाकर उत्तर भारत पर अकबर का नियंत्रण रखते थे।
इन्होंने ही इलाहाबाद बसाया और गंगा और जमुना के तुफान को बख्शी बांध बना कर दिया.. गंगा और जमुना के पश्चीमी किनारे से दक्षिणी किनारे तक 20 मीटर ऊंचा और 5 किमी लंबा बांध , किले से लेकर शहर के अंतिम मुहल्ले तेलियरगंज तक बनवा कर जुलाई अगस्त में आने वाले गंगा जमुना के सैलाब से बचा लिया…इसे ही “बख्शी बांध” कहा जाता है।
आज इसे इलाहाबाद का “मरीन ड्राइव” कहा जाता है….
बख्शी बांध के कारण पानी रुका और फिर नीचे की इस सूखी और सुरक्षित ज़मीन पर बसाया इलाहाबाद जिसमें सबसे पहले कीडगंज, मुट्ठीगंज और बहादुरगंज बसाए गए , यही अकबर के साम्राज्य के सारे अधिकारी और सैन्य अधिकारियों का आरामगाह था।
बाद में ब्रिटिश सरकार ने इलाहाबाद को सजाया खूबसूरत और विशाल “सिविल लाइंस” को बनाया और सुव्यवस्थित रूप दिया।
बाकी इसके बाद तो बस लीपापोती करके बस स्मार्ट सिटी का टैग दिया गया, जो शैख फरीद बख्शी के बनाए बांध ना होते तो सब हर साल बह गए होते।
बरसात में हम इलाहाबादी इन्हीं शेख फरीद बख्शी के कारण अपने घरों में सुरक्षित रहते हैं