उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड का निजाम बदलते ही रिश्वतखोरों को मिली लूट की छूट
यूपी लखनऊ
संवाददाता
वाह रे उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन
उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन लिमिटेड का निजाम बदलते ही भ्रष्टाचारियो को मिली लूट की खुली छूट
लखनऊ 20 सितम्बर, उत्तर प्रदेश सरकार ने कुम्भ के लिए विभिन्न भदो मे 9500 करोड रूपया जारी किया है। इसमे कुम्भ के लिए 2500 करोड ₹ की बडी राशी जारी करने की घोषणा की जा चुकी है और दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन लिमिटेड के अन्तर्गत आने वाले पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम मे भी भ्रष्टाचारियो ने भी लूट के लिए ट्रान्सफर पोस्टिग कराके लूट का खेल शुरू कर दिया है।
पुराने भ्रष्टाचारी को फिर से मैदान मे उतारा जा चुका है और कुम्भ के कार्यो कि जिम्मेदारी सौप दी गयी है। जिम्मेदारी मिलते ही महाभ्रष्टाचारी अधिशासी अभियन्ता ने अपनी ख्याती के अनुरूप कार्य करना भी शुरू कर दिया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने किसी भी छोटे बडे सरकारी / विभागीय कार्य कराने के लिए ई निविदा प्रकाशित करने का आदेश पारित किया था। उस आदेश की धज्जिया कैसे उडाई जाती है उसकी आड मे कैसे घोटाला करके अपने चहेतो को निविदा कैसे दी जाती है? कैसे उनको प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से लाभ दिया जाता है और साथ ही साथ अपना मुँह चादी के जूते से कैसे सुजाया जाता है? तो पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के जानपद (सिविल ) प्रयागराज मे फिर से तैनाती पाए अधिषाशी अभियन्ता से सीखा जा सकता है।
ई निविदा संख्य 47/2023-24 /ECD(D) / PRAYAGRAJ/s मे देखी जा सकती है। महोदय ने निविदा का तकनीकी हिस्सा सुबह 6 सितम्बर 8:23 को खोलते है और इसी निविदा का दूसरा हिस्सा 6 सितम्बर को ही सुबह 10:05 बजे खोल देते है। मामला यह नही है कि कैसे मात्र कुछ घण्टो के अन्तराल पर पूरी निविदा खोल कर उसका परिणम सुबह 10:11 मिनट पर प्रबन्धनिदेशक पूर्वांचल को भेज दिया जाता है। बल्की यक्ष प्रश्न यह है कि उसी दिन सुबह सुबह 10:40 पर जनाब राज्य सूचना आयोग कैसे पहुच जाते है? ऐसी कौन सी तकनीक है जिसके सहारे प्रयागराज से लखनऊ के गोमती नगर स्थित राज्य सूचना आयोग के कार्यलय मात्र 29 मिनट मे पहुच जा सकता है? कृपया अभियन्ता महोदय से उस तकनीक को पेटेंट कराने के बाद भारत सरकार को देने के लिए कहा जाए। जिससे देश की आर्थिक उन्नति हो और लम्बी लम्बी दूरियो को पलक झपकते ही नापा जा सकता है।
वैसे तो पूरे पावर कार्पोरेशन के सभी डिस्कॉमो मे जहाँ निविदाऐ अधीक्षण अभियन्ताओ के स्तर पर निकाली जाती है वही पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के जानपद ( सिविल) मे यह जिम्मेदारी विशेष तौर पर अधिशाषी अभियन्ता को सौपी गयी है और वो भी उस महान अभियन्ता को जिसने पलक झपकते ही मात्र 29 मिनट मे प्रयागराज से लखनऊ का अपनी गुप्त विद्या से आ कर सबको अचम्भित किया था! उस महान अभियन्ता को जिसके भ्रष्टाचार की चर्चा पूर्वांचल से चल कर लखनऊ तक फैली हुई है। जिसका सिद्धांत चादी के जूते खा कर अपना पेट भरो और जो बोले उसका भी चांदी का जूता मार कर पेट भरो जो ना माने उस पर संविधान द्वारा प्रदान की गयी विशेष रक्षापाये कानून की शक्ति का डर दिखा कर व आयोग व विभाग को पत्र लिखकर कार्यवाही और जेल भेजने का डर दिखा कर मुहँ बन्द कराने की कोशिश करते है।
इस विशेष रक्षापायो कानून के हथकन्डो को अपना कर या चांदी के जूते के जोर से इन महोदय ने अपनी सारी विभागीय जांच या तो दबवा दी है या फिर उनकी फाईल नही मिलती है जिसके प्रमाण भी संस्थान के पास मौजूद है ।
वित्तीय वर्ष 2018 – 19 के दौरान स्थानीय निधि लेखा परिषद (Local Law Audit Department Uttar Pradesh) जिसे आम भाष मे आडिट विभाग कहा जाता है कि उप निदेशक नीरज कुमार गुप्ता ने अपनी रिपोर्ट मे कहा कि विचलन का दोषी पाया था । जब आडिट विभाग अपनी लिखित रिपोर्ट मे यह आरोप लगा रहा है तो फिर कैसे इस महाभ्रष्ट कि नियुक्ति कुम्भ जैसे अति महत्वपूर्ण कार्य मे फिर से लगाई गयी? इससे पूर्णताः प्रमाणित हो रहा है कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम मे उच्चतम स्तर पर किस हद तक भ्रष्टाचार व्याप्त है । खैर
युद्ध अभी शेष है
साभार
अविजित आनन्द