इस कारण स्कूल प्राचार्य ने किया ग्रिश्म कालीन अवकाश में ग्राम पुस्तकालय का शुभारंभ

एक नवाचार- स्कूल प्राचार्य ने ग्रीष्म कालीन अवकाश में ग्राम पुस्तकालय का किया शुभारंभ

छिन्दवाड़ा – ग्रीष्म कालीन अवकाश होते ही सभी बच्चे घर में होते है, मोबाइल के चलन से बच्चों का काफी समय भी मोबाइल स्क्रीन के सामने घंटो गुजरने लगी है, यदि मोबाइल नहीं तो दूसरा मनोरंजन का साधन टीवी है जिसके सामने बच्चे घंटो गुजरने लगते है।

बच्चो को कैसे मोबाइल एवं टीवी से दूर रखा जाए, प्राचार्य आर.एस.बघेल शासकीय हाई स्कूल चारगांव प्रहलाद छिन्दवाड़ा के मन में एक दिन विचार आया;

इन्होंने अपनी निजी संग्रह की पुस्तके से ग्राम में अपने स्कूल में पढ़ने वाली छात्रा कशिश पटेल, स्नेहा पटेल के घर पर एक पुस्तकालय प्रारंभ किया। बच्चों को पढ़ने की आदत व इलेक्ट्रानिक गेजेट्स से दूरी बनाने के लिए पुस्तकालय एक अच्छा विकल्प के रूप में संचालित करने का मन बनाया।

प्राचार्य आर.एस.बघेल के प्रयास से पुस्तकालय में बालहंस, स्नेह, लक्ष्य, विज्ञान प्रगति, प्रतियोगिता आदि ज्ञानवर्धक पुस्तके का संग्रह छात्रों के लिए रखा गया है l छात्र-छात्रा यहाँ से पुस्तके प्राप्त कर पढ़ने के बाद वापस कर नई पुस्तके प्राप्त कर सकते है। कहानियों की किताब पाकर छात्र-छात्राएं बहुत खुश है, दोपहर में कहानियां पढने से समय अच्छा कट जाता है और ज्ञान भी मिलता है।

कहानी से हमे नैतिकता, ईमानदारी कर्तव्यनिष्ठा, व्यावहारिक शिक्षा मिलती हैl पुस्तकालय संग्रह की लक्ष्य पत्रिका भविष्य की शिक्षा और रोजगार से अवगत कराती है, विज्ञान, प्रगति, नई खोजों से परिचित कराती है। ग्रामवासी शेषराव लाडे, विनोद पटेल, चेनसिंग पटेल ने पुस्तकालय को बहुत उपयोगी बताया। इससे बच्चे भविष्य के लिए बहुत अच्छे से तैयार होंगे कहानी की पुस्तके बच्चो के घर के सभी सदस्य बहुत रुचि से पढ़ते है।

पुस्तकालय की पुस्तक पढने वाली एक बालिका ने बताया कि मेरे दादा जी बहुत बुजुर्ग है पंरतु उन्हे कहानी पढ़ने का बहुत शौक है मै जैसे ही पुस्तके ले जाती हू वे तुरंत पढ़ने लगते है और कौन सी कहानी बहुत अच्छी है जरूर बताते है। प्राचार्य आर.एस. बघेल ने सभी बच्चो को यहाँ की सभी पुस्तके जरूर पढ़ने के लिए सभी बच्चों को प्रेरित कर रहे है उनका कहना है यह ज्ञान आपको भविष्य में जरूर काम आयेगा।

स्कूल के पूर्व छात्र श्याम कोलारे ने इस पुस्तकालय की सराहना करते हुए कहा है कि पुस्तके ज्ञान एवं कौशल की कुंजी होती है। पुस्तक सभी की सच्ची मित्र है यह हमें सदैव सच्चा ज्ञान एवं जीवन कौशल सिखाती है। सभी विद्वान पुस्तके से ही विद्या पाकर ज्ञानवान एवं गुणवान हुए है। ग्राम में इस प्रकार का पुस्तकालय खुलना एक सराहनीय पहल है, इससे ग्राम के सभी बच्चों को बहुत लाभ होगा।

साभार
श्याम कुमार कोलारे
सामाजिक कार्यकर्त्ता, छिन्दवाड़ा
मो. 9893573770

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