इनके तादाद ना बढ़ाएं आप इन भिखारियों को भीक समझकर नही बल्कि उनकी माली मदद समझकर इमदाद कीजिए

भीखारी की तादाद ना बढाए इसलिएभीख मत दो

रमज़ानुल मुबारक ‘ का महीना आ रहा है… दुकानों पर घरों पर बाजा़रों में, गलियों – चौराहो पर भिखारियों का सैलाब आ जाएगा, बच्चें – औरतें अल्लाह के नाम पर भीख मांगते – फिरते मिलेंगे… और “भोले भाले मुसलमान सवाब समझ कर इनको भीख देते रहेंगे तो ज़रा इस पर तवज्जो फरमाये।

नबी ए करीम (ﷺ) ने सवाल करने वाले (या’नी, भीख मांगने वाले) को कमा कर खाने की अनोखी रहनुमाई फ़रमायी
एक बार रसूल (ﷺ) की ख़िदमत में किसी भिखारी ने सवाल किया तो अल्लाह के नबी ने फ़रमाया : क्या तेरे घर कुछ है.?

अर्ज़ किया : *सिर्फ़ एक कम्बल है, जिसको आधा बिछाता हूँ आधा ओढ़ता हूँ और एक प्याला है, जिससे पानी पीता हूँ।
*फ़रमाया: वो दोनों ले आओ।
रसूल ﷺ ने मजमे से ख़िताब करके फ़रमाया : इसे कौन ख़रीदता है.?

एक ने अर्ज़ किया कि, मैं 1 दिरहम से लेता हूँ, फ़िर दो तीन बार फ़रमाया कि दिरहम से ज़्यादा कौन देता है?
दूसरे ने अर्ज़ किया : मैं 2 दिरहम में ख़रीदता हूँ ,रसूल (ﷺ) ने वह दोनों चीज़े उन्ही को अता फ़रमा दीं।
और वह 2 दिरहम उस भिखारी को देकर फ़रमाया कि. एक का ग़ल्ला (अनाज) ख़रीद कर घर में डालो, दूसरे दिरहम की कुल्हाड़ी ⛏ ख़रीद कर मेरे पास लाओ।

*फ़िर उस कुल्हाड़ी में अपने मुबारक हाथ से दस्ता डाला और फ़रमाया : जाओ लकड़ियां काटो और बेचो और 15 रोज़ तक मेरे पास न आना*…

वो भिखारी 15 रोज़ तक लकड़ियां काटता और बेचता रहा, 15 रोज़ के बाद जब बारगाहे नबवी में हाज़िर हुआ तो उसके पास _खाने पीने के बाद 10 दिरहम बचे थे। उसमें से कुछ का कपड़ा ख़रीदा कुछ का ग़ल्ला।

रसूल (ﷺ) ने फ़रमाया, यह मेहनत तुम्हारे लिए मांगने से बेहतर है।

इब्ने माजाह, हदीस 2198,

ग़ौर फ़रमाइए

रसूल (ﷺ) ने तो जिसके पास सिर्फ़ 2 चीज़ें (कम्बल और प्याला) था उसे भी भीख मांगने के बजाए कमा कर खाने की तरग़ीब दिलायी।
जबकि हमने भीख दे दे कर इनकी तादाद बढ़ा दी है और उनकी आदत को भी खराब किया ।

जिसकी वजह से भिखाारियों की सबसे ज़्यादा तादाद मुसलमानो में है। ये लोग बाज़ारों, गलियों-मुहल्लों और आम जगहों पर मुसलमानी हुलियों में भीख मांग कर हमारे प्यारे मज़हब दीने इस्लाम को बदनाम कर रहे हैं।
इनका सबसे ज़्यादा शिकार हमारी भोलीभाली माँ बहनें होती हैंलिहाज़ा, बेदारी लाइये।

अपने दोस्तो, अहबाब ख़ासकर
अपने घरों की ख़्वातीन को समझाइयें, इन्हे भीख देकर मुसलमानो में भिखारियों की तादाद बढ़ाने का ज़रिया न बने।
ज़कात, फ़ित्र और सदक़ें से अपने कमज़ोर पडोसी अपने रिश्तेदार या फिर आप जिसे जानते हो उसे भीख समझकर नहीं बल्कि उसकी माली मदद_ करके उसे मज़बूत बनाने में लगाए और अल्लाह से दुआ भी करे।

बराये करम इस पैग़ाम को आम करे और बेदारी लाए,

संवाद: मो अफजल इलाहाबाद

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