इनकी वजह से भारत की हालत खस्ता है, लेकिन मोदी भक्त तो किसी और ही नशे में है

विशेष
संवाददाता

क्या 50 प्रतिशत टैरिफ के लिए नेहरू जिम्मेदार हैं?

पिछली पोस्ट में मैंने लिखा था कि वैश्विक मंच पर मोदी सरकार की वजह
से भारत की स्थिति इस समय उस बंदर की तरह है जो कभी इस डाल पर (अमरीका+यूरोप) तो कभी उस डाल (रूस+चीन) पर बैठना चाहता है. इस उधेड़बुन और अनिश्चय की वजह से वह कहीं नहीं बैठ पा रहा।

ट्रंप जो अमरीका का राष्ट्रपति भी है उसने एक डाल काट दी. किसी भी देश पर अमरीका द्वारा 50 प्रतिशत टैरिफ लगाना मायने रखता है।.

बहुत कुछ तबाह होगा. बहुत घर उजड़ेंगे। लेकिन मोदी भक्त अलग ही नशे में हैं।. वो बस इस बात से खुश हैं कि मोदी ने ट्रंप का फोन न उठाकर उसे उसकी औकात बता दी. उनके मुताबिक यह मोदी का एक और मास्टरस्ट्रोक है. आज नहीं तो कल अमरीका झुकेगा ही और ट्रंप टैरिफ कम कर देगा।

लेकिन ऐसा होगा नहीं. आने वाला समय भारत के लिए कठिन है. यह हम सबको याद रखना चाहिए. विश्व मंच पर भारत को कभी इतना अकेला और अलग-थलग नहीं देखा. 1998 में नहीं जब परमाणु परीक्षण की वजह से अमरीका ने प्रतिबंध लगाए थे।.

कई वजहें हैं लेकिन एक बड़ी वजह है व्यक्तित्व. अटल और मोदी के बीच जो अंतर है वही अंतर है 1998 और 2025 के भारत में. जो देश अपने लोगों को साथ लेकर नहीं चलता उसका आत्मविश्वास एक दिन टूट जाता है।

मोदी भक्त लोगों का मानना है कि नेहरू और उनकी गुट निरपेक्षता की नीति की वजह से भारत अमरीका की गोद में नहीं बैठ पाया। हालांकि मोदी को 11 साल का पर्याप्त टाइम मिला. अब मोदी भक्त क्या कहेंगे? क्या 50 प्रतिशत टैरिफ के लिए भी नेहरू जिम्मेदार हैं।
संवाद;पिनाकी मोरे

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