,आगामी दस सितंबर की निकलने वाली कांग्रेसी रैली चाहे कितनी भी विशाल हो लेकिन इनके बगैर सब कुछ है अधूरी

राजस्थान कोटा
संवाददाता

10 सितम्बर की कोंग्रेस रैली कितनी ही विशाल हो लेकिन शांति धारीवाल के बगैर अधूरी।

कोटा जिला कांग्रेस के आह्वान पर कोटा बूंदी लोकसभा कांग्रेस प्रत्याक्षी रहे प्रह्लाद गुंजल के नेतृत्व में सरकार की नीतियों नियमों , जन विरोधी व्यवस्थाओं के खिलाफ एक बड़ी हुंकार रैली का आयोजन 10 सितम्बर को कोटा में होना है। इसकी तैयारियाँ अंतिम चरणों में है। लेकिन यह रैली जिला कांग्रेस कमेटी की तरफ से है या व्यक्तिवाद की तरफ से, इस बात को लेकर कांग्रेस से जुड़े कार्यकर्ता ओरिजनल कार्यकर्ता जो भाई साहबों की गुलामी से आज़ाद हैं स्वतंत्र है , उन्हें भाईसाहब नहीं , उन्हें भाई साहबों से पहले कांग्रेस सिर्फ कोंग्रेस चाहिए।

कांग्रेस की निति नियम कांग्रेस की अटूट एकता पहले चाहिए । उनकी चाहत इस रैली में कोंग्रेस की अटूट एकता भी है। वैसे तो अब कांग्रेस कार्यालय तो कांग्रेस कार्यालय रहा ही नहीं , महर्षि दधीचि छात्रावास आकशवाणी कॉलोनी लगभग कांग्रेस कार्यालय सा बन गया है ।

यहीं पर अधिकतम बैठके होती है , नहीं तो सर्किट हाउस के कुछ कमरे , कुछ हॉल , और नहीं तो कुछ रिसोर्ट , होटलें ही कांग्रेस कार्यालय के तोर पर कार्यक्रम आयोजित करवाने के लिए रह गये है। वोह बात अलग है। कि एक चाय की होटल अब घांस नहीं डाल रही हैं , सवाल यह है कि यह प्रदर्शन रैली , जिला कांग्रेस कमेटी की तरफ से कांग्रेस नेताओं के नेतृत्व में कांग्रेस कार्यर्कताओं की है। समर्थित वोटर्स की है। जिस रैली को लीड करने का साहस जाँबाज़ मुखर वक्ता , कार्यर्कताओं की आवाज़ बने प्रह्लाद गुजंल को दिया गया है। वोह इसके लायक भी हैं। वोह इस ज़िम्मेदारी को ज़िंदाबाद तरीके से निभा भी रहे हैं। निभा भी लेंगे।

इस मौका पर आगामी 10 सितम्बर को कोटा की सड़कों पर हज़ारों हज़ार कार्यर्कता और कांग्रेस समर्थक जमा होंगे। प्रदेश के बड़े बड़े नेता भी मंच पर मौजूद रहेंगे। , लेकिन ज़रा सोचो आपके घर में बेहतरीन खाना हो और उसमे गरचे नमक ही नहीं रहे या कोई एक भी चीज़ जो स्वादिष्टता बनाने के लिए ज़रूरी है ओ नहीं रहे तो फिर वो खाना खाना नहीं बदमज़ा हो जाता है। ऐसे ही कांग्रेस की रैली , विरोध प्रदर्शन अगर इस रैली में पूर्व मंत्री पूर्व कांग्रेस के जिला कांग्रेस अध्यक्ष , प्रदेश कांग्रेस कमेटी सदस्य , प्रदेश महासचिव अमित धारीवाल के वालिद शांति कुमार धारीवाल और संबंधित पदाधिकारी इस रैली से एबसेंट रहते हैं रैली में नहीं रहते है तो फिर इस रैली को नमक कम बिना मसाले की रैली से ज़्यादा कुछ नहीं कहा जाएगा। कोशिश होना चाहिए कि यह रैली शांति कुमार धारीवाल की मौजूदगी तय करे। ,, घर के बड़े बुज़ुर्ग , बच्चे हो जाते है गुस्सा भी होते हैं गलतियां भी करते हैं।बेंत से भी मारते हैं , तोड़फोड़ भी करते हैं , चिल्ल पों से अड़ोस पड़ोस के मोहल्लेदारांन तमाशबीन भी बनते है , लेकिन बुज़ुर्ग तो बुज़ुर्ग ही रहते हैं। उन्हें कंधे पर बिठाना चाहिए। नाराज़ हों तो मनाना चाहिए। ऐसे में जिला कांग्रेस अध्यक्ष रविंद्र जी त्यागी और रैली के हीरो मुर्दा , निराश , हताश कांग्रेस में जान फूंककर कांग्रेस को अपने पैरों पर खड़ा करके दिखाने वाले प्रह्लाद गुंजल को एक कोशिश और , पूर्व मंत्री शांति कुमार धारीवाल को मनाने की , उन्हें रैली में बुलाने की करना ही पड़ेगी।

, ऐसे करना ही चाहिए, अगर शांति धारीवाल कहीं बाहर भी हों तो उनके उन कार्यक्रमों को निरस्त करवाने की गुज़ारिश कर रैली में बुलाने और फिर उनके भाषण की कोशिश ज़रूर करना चाहिए। क्योंकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तो मुर्गे लड़ाने की कोशिशों में रहते हैं। में मज़बूत कैसे रहूँ? मेरे समर्थक मज़बूत कैसे रहे? , गुटबाज़ी में जो मेरा नहीं वो कमज़ोर कैसे हो? उसको अलग थलग कैसे करें?, इन ही कोशिशों में नेता लोग सदा जुटे रहते है। जबकि कांग्रेस का हाथ सभी के साथ , के नारे की तरह सभी हैं साथ , हम हैं साथ साथ। का नारा होना चाहिए।तो जिला कांग्रेस अध्यक्ष रविंद्र त्यागी जी और प्रह्लाद गुंजल जी इस रैली को ऐतिहासिक से भी ज़्यादा ऐतिहासिक, कोटा लोकसभा क्षेत्र के लिए इस रैली को ज़िंदाबाद। भाजपा के सफाये का आगाज़ बनाना चाहते हैं तो फिर शांति कुमार धारीवाल साहब की मौजूदगी इस रैली में लाने का सफलतम प्रयास करें।

फिर अगर वो नहीं आएं , तो यह जनता है , यह कार्यकर्ता है , सब जानते हैं । वोह अपना काम खुद कर लेते है।, इस विरोध प्रदर्शन रैली में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत , पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलेट ,प्रभारी सुखजिंदर सिंह जी रंधावा सहित सभी लोग अगर मौजूद रहे तो हाड़ौती से भाजपा के सफाये के संकल्प की शुरुआत प्रह्लाद गुजंल की इस कोशिश इस बड़ी रैली के साथ होना तय है।

लेकिन , लेकिन ,, लेकिन ?
कांग्रेस और कांग्रेस के नेता ऐसा कुछ चाहें तो सही , ऐसा कुछ करके दिखाएं तो सहीं , साबित करें उन्हें व्यक्ति नहीं उन्हें कांग्रेस चाहिए। वो व्यक्ति के साथ नहीं वो कांग्रेस के चुनाव चिन्ह के साथ हैं। राहुल गांधी ऐसी कोशिश कामयाब बनाएं तो सही जो कोंग्रेसी है उसे कोंग्रेसी बनायें तो सही , जो भाईसाहब हैं जो भाईसाहब के चमचे हैं।

कांग्रेस उनके लिए कुछ भी नहीं ,भाईसाहब अव्वल है तो ऐसे लोगों को बाहर का रास्ता दिखाएं तो सहीं ,ओर जो लोकसभा, विधानसभा चुनावों के वक़्त कोटा छोड़कर अपने अपने भाई साहबों की गुलामी में चले जाते हैं वोह कोटा में वोट तक नहीं डालते हैं। फिर कोंग्रेस के लीडर बनने की चाहत रखते हैं ऐसे लोगों को भी बेनकाब किया जाए। बाहर के रास्ता दिखाया जाय।

साभार; अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339

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