आखिर किसने दी मोदीजी की छवि खराब करने की सुपारी,क्या खुद ही ली है खुद की सुपारी?जानिए इसके कारण
मोदी की छवि खराब करने की सुपारी किसने दी यह तो नहीं पता, लेकिन खुद की सुपारी खुद उन्होंने ही ली है और इसके सैकड़ों सबूत हैं।
उन्होंने नाली पर भगोना उलट कर गैस का उत्पादन कर लिया और चाय बना ली। इसमें किसी विपक्षी का कोई हाथ नहीं था।
उन्होंने दीदी ओ दीदी, जर्सी गाय, 50 करोड की गर्लफ्रेंड और वो नाली का कीड़ा, भूत पिशाच राक्षस वाला भाषण, जैसी सुपारी, कब्र, कब्रिस्तान, श्माशन वगैरह जिस जिस तरह के निकृष्ट और हिंसक भाषण दिए हैं, उसमें किसी विदेशी का कोई रोल नहीं है।
उन्होंने ‘बचपन’ में ऐसे स्टेशन पर भीख मांगी जो उनकी जवानी में बना। ये बात उन्होंने खुद बताई।
मोदी जी ने ईमेल का आविष्कार होने के कई बरस पहले ही ईमेल कर दिया। ग्लोबल वार्मिंग नहीं है, हमारी क्षमता कम हो गई है वाला ज्ञान उन्होंने ही दिया है युंही नही एक्स्ट्रा 2AB वाला महान फॉर्मूला दिया।140 करोड़ की जनसंख्या में 600 करोड़ वोट ले लिया। दयानंद सरस्वती, संत कबीर और गुरु नानक देव में चाय पर चर्चा करवा दी!
ऐसे बताया गया कि उनकी डिग्री एंटायर पॉलिटिकल साइंस की है जो देश में कहीं नहीं पढ़ाया जाता। उनकी डिग्री पर उनके विश्वविद्यालय का नाम जा तक कोई अता पता नहीं बल्कि फलाना “यूनिबर्सिटी” लिखा है। उनकी डिग्री कंप्यूटराइज्ड है। जबकि उस समय कंप्यूटर का कोई अविष्कार ही नही हुआ था। लेकिन कंप्यूटर डिग्री मिलने के दस बारह साल बाद आया।
उन्होंने बादलों के बीच से विमान उड़ा दिया और रडार पकड़ नहीं पाया, उससे भी ज्यादा दिलचस्प ये रहा कि उनके मुताबिक, भारत की आधुनिक सेना ने उनकी इस पांच साल के बच्चे वाली गप्पबाज रणनीति को अपनाते हुए उसपर अमल भी किया!
उन्होंने तक्षशिला को बिहार में रख दिया। पटना वालों को सिकंदर से लड़वा दिया। उनके मुताबिक, उन्होंने 35 साल भीख मांगी लेकिन बीए और एमए की पढ़ाई भी की और चलते फिरते भीख मांगते डिग्री भी हासिल किया। उनके कहने के मुताबिक, वे पढ़े लिखे नहीं हैं हाईस्कूल तक ही पढ़े है वो भी आठवी कक्षा तक फिर भी उनके पास आज बीए और एमए की डिग्री भी उपलब्ध है।छुट्टी के दिनो में उन्होंने एग्जाम दिया था।बड़े ही दिलचस्प खेल हुआ है।
वे बचपन में तालाब में जाकर मगरमच्छ पकड़ लाते थे, सूरज निगल लेते थे, पृथ्वी को जेब में रख लेते थे, चांद का कंचा खेलते थे।
अपने बारे में यह सब बकवास उन्होंने खुद की है। अब कह रहे हैं किसी ने सुपारी दी है। किसने दी है यह भी वे खुद जानते हैं क्योंकि सुपारी लेने वाला कोई और नहीं, वे खुद ही खुद के लिए एक ममेदार हैं। कोई विपक्षी पार्टी उनकी छवि उतनी खराब नहीं कर पाई, जितना उन्होंने खुद किया है। सवाल है कि उन्होंने अपनी छवि खराब करने की सुपारी खुद ली क्यों? जाहिर है, वे बेहद नीचे गिरकर अपने को पीडि़त दिखाकर सहानुभूति बटोरते हैं और वे यह काम तब से कर रहे हैं, जबसे सार्वजनिक जीवन में हैं।
साभार:
पिनाकी मोरे