अच्छे दिन ले आने के बजाय, जनता को कहीं का भी नहीं छोड़ा, मोदी की दें
विशेष
संवाददाता
“पीएम केयर्स फंड”
मोदी ने “नोटबंदी” की तरह अचानक ही “ताला बंदी” या पूरे भारत में “लाॅक डाॅऊन” लगा दिया। दोनों से किसको क्या फायदा हुआ यह मोदी सरकार ही जाने। लेकिन आम जनता का जीवन अथाह मुसीबत में फंस गया।
इन अचानक और जल्द बाज़ी में लिए गए फैसलों के दुष्परिणाम आज भी लोग भुगत रहें हैं।
खैर जाने दीजिए, क्यों कि मोदी सरकार की निगाह में चुनावी नतीजे मोदी सरकार की नीतियों का जनता द्वारा अनुमोदन है। मोदी सरकार ने 24-03-2020 को लाॅक डाऊन कर दिया और 27-03-2020 PM मोदी ने टीवी पर आकर “पीएम केयर्स फंड” की घोषणा कर दी। इसे कहतें “आपदा में अवसर” आपदा तो जनता के लिए थी पर गुजरात के व्यापारी मोदी (डीएनए) ने उसमें मौका तलाश कर लिया। लोगों ने समझा कि शायद यह PM मोदी का जनता की केयर करने के लिए सरकारी फंड है। जबकि प्रधानमंत्री आपदा फंड और प्रधानमंत्री रीलीफ़ फंड पहले से ही मौजूद था।
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“पीएम केयर फंड” का औचित्य समझ से बाहर था। लेकिन कहा गया है कि आपातकाल में लोगों की सोचने की शक्ति क्षीण हो जाती है। लोगों ने मोदी सरकार के कहने पर अपने वेतन का भी अंशदान किया। बहुत से लोगों ने अपनी पेट काट कर की बचत भी इस “पीएम केयर फंड” में डाल दी ताकि प्रधान सेवक मोदी ग़रीब जनता के लिए फंड से मदद मुहैय्या करवा सकें।
लेकिन जब इस “पीएम केयर फंड” के एकाउंट के बारे में पूछताछ की तो मोदी सरकार ने कहा,” यह सूचना के अधिकार-2005 के दायरे से बाहर है। इसलिए कोई जानकारी देने की ज़रूरत नहीं है।
लेकिन लोग कहां मानते है वह सुप्रीम कोर्ट चले गए। अब मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा,”यह कोई सरकारी फंड है ही नहीं। यह तो प्राइवेट फंड है।” हम तो समझ रहे थे कि जिस फंड के ट्रस्टी प्रधान मंत्री, गृह मंत्री, रक्षा मंत्री वित्त मंत्री और पीएमओ है और वह सरकारी चिन्ह इस्तेमाल कर रहें हैं वो प्राइवेट कैसे हो सकता है। लेकिन सरकार तो भी सरकार है, वो भी विश्व गुरू मोदी की वो कहां जवाब देती है।
पता लगा कि वर्ष 2021 के बाद इस फंड का ऑडिट तक नहीं हुआ। जो थोड़ा-बहुत एक-डेढ़ पेज के ऑडिट से पता लगा कि इस फंड से वेंटिलेटर खरीदे गए थे। कहां से, किस के लिए और कैसे खरीदे गए यह गोपनीय सूचना है। यह भी पक्के तौर पर पता नहीं है कि इस फंड में कितना पैसा है और किसने जमा किया है। यह भी किसी को नहीं पता। खबर है कि इसमें 20 हजार करोड़ से ज्यादा रुपए जमा हैं।
खैर साधारण आदमी होता तो सारी जांच एजेंसियाँ लग गई होती पीछे टीवी कैमरों समेत, सूत्रों से जानकारियां टीवी पर मिलती और गिरफ्तारियां हो जाती लेकिन मोदी सरकार के कामकाज पर कौन सवाल उठा सकता है। प्रधान मंत्री मोदी की केयर देखभाल करने के लिए यह प्राइवेट फंड है।
वैसे बदले हालात में जब विपक्ष मजबूत है और मोदी सरकार बहुमत के आंकड़े से दूर तो इस “पीएम केयर फंड” की भी कुछ सुधि यानी केयर होनी चाहिए। पता तो लगे पीएम की कौन-कौन केयर कर रहा था और फंड किसकी केयर में लगा था।
संवाद;पिनाकी मोरे