हर वक्त पल पल142करोड़ देशवासियों की जपने वाला यह व्यक्ति सिर्फ अपने मुफात के लिए उनका नाम लेता है, ये विश्वासघात नही तो और क्या हो सकता है
विशेष संवाददाता
सिर्फ़ चुनाव ‘जीतने’ को ‘लोकतंत्र’ समझना,लोकतंत्र की हार है !
हर पल 142 करोड़ देशवासियों के नाम की माला ‘जपता’ मोदी अपने फायदे के लिए उनका नाम लेता है .
ये ‘मोदी ’ संवैधानिक पद का उपयोग अपने ‘व्यक्तिवाद’ को बढ़ाने ले लिए कर रहा है . देश की जनता ने मोदी पर ‘विश्वास’ किया. देश के ‘प्रधानमन्त्री’ पद पर बहुमत से बिठाया . पर इस ‘मोदी ’ ने तो उनको हर पल धोखा दिया और हर चुनाव में अपने ‘संवैधानिक’ पद का दुरूपयोग किया और कर रहा है। . हर पल ‘संवैधानिक’ पद की गरिमा की आड़ में अपनी कुंठा भरी संकीर्ण मानसिकता से एक विशेष समुदाय के प्रति अपनी घृणा का ज़हर फैला रहा है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं उनके बयान ‘बिजली , कब्रिस्तान , श्मशान और नारियल के जूस’ की झूठ है !
संवैधानिक’ पद की आड़ में एक पार्टी का एक ‘छिछोरा’ व्यक्तित्व मोदी ‘सत्ता’ के नशे में इतना चूर है कि ना उसे भाषा की मर्यादा रही ना भाषा का भान है , ना संसद की गरिमा का और ना ही जन सरोकारों का।बस उसे किसी भी तरह सत्त चाहिए और वो भी इस तरीके से कि बाजारू मीडिया ये प्रचारित करता रहे कि ये उसकी निजी जीत है।
सिर्फ़ चुनाव ‘जीतने’ को लोकतंत्र समझना,लोकतंत्र की हार है ! खैर मोदी के लिए ये विचार इसके चिंतन से परे हैं। जिन शाखाओं के विधालय में ये पढ़कर आये या जिस पार्टी के ये खेवन हार हैं उनके चिंतन से ये विचार बाहर है।.उनके लिए अब सिर्फ और सिर्फ चुनाव जीतना ही लोकतंत्र है।
एक पार्टी का देश से सफाया करने का अभियान लिए ये मोदी अब अपनी पार्टी का सफाया करने में जुट गया है। आप इस बात से हैरान हो रहे होंगें। पर आइये इस आयाम के तथ्यों और प्रक्रियाओं को समझें । जिस पार्टी का ये सफाया कर रहे हैं उसमें इनका तर्क है कि ये व्यक्ति विशेष की पार्टी है। एक परिवार की पार्टी है। बात भी सही है। पर इस व्यक्ति’ विशेष वाली पार्टी का सफाया करने के अभियान में इस शातिर सत्ता लोलुप मोदी ने अपने सगंठन पर विश्वास करने वाली पार्टी को बदल दिया है। अब इनकी पार्टी में नीति, चरित्र , चाल सब कुछ बदल गए और जो इनकी पैरवी करते थे उनको सन्यास देकर मार्गदर्शक मंडल में बिठा दिया गया और स्वयं पार्टी का आधार बनकर उभर रहे हैं और इतने से संतोष नहीं है वो नगर पालिका के चुनाव का तक प्रचार भी करना चाहते हैं ताकि पार्टी में ये संदेश जाए कि पार्टी सिर्फ उसकी वजह से ही चुनाव जीत रही है।
इसका परिणाम ये हो गया है कि देश की कैबिनट के किसी भी मंत्री का चेहरा जनता को याद नहीं रहा। दूसरा इस पार्टी के दिग्गज जन आधार वाले नेता खत्म। बस चुनाव’ जीतने की आड़ में एक ही व्यक्ति’ सब जगह दिख रहा है। यानि व्यक्तिवाद ,व्यक्तिवाद और व्यक्ति का एकाधिकार सरकार और पार्टी पर सिर्फ एक व्यक्ति का एकाधिकार।
दुखद बात है इस मोदी ने 10 साल में अपनी पार्टी में सरेआम सगंठन की हत्या करवा दी और उसे ‘व्यक्तिवाद’ में झोंक दिया और पार्टी मोदी की हो गयी।. लोकतंत्र के लिए ये दुखद घडी है और देश के लिए खतरे की घंटी भी। क्योंकि देश सिर्फ एक व्यक्ति के नाम से नहीं हो सकता .और जब एक व्यक्ति सिर्फ चुनाव जीत कर देश बन जाएगा तो देश का विध्वंस निश्चित है।
गौर तलब हो कि देश के युवाओं को भी एक दूसरे के साथ बड़ी कुशलता से लडवा रहा है ये शातिर शख्स। हमेशा सबका साथ , सबका विकास का नारा देने वाला अब पूंजीपतियों का विकास और बाकी सबका विनाश’ को अमल में ला रहा है। . विकास को भूलाने के लिए मोदी ने राष्ट्रवाद को मैदान में उतारा है। क्योंकि हर साल युवाओं को 2 करोड़ रोजगार देने की बात को कोई भी युवा याद न कर पाए इसलिए राष्ट्रवाद के जिन्न को पाला पोसा जा रहा है और बाजारू मीडिया उसको बढ़ चढ़कर उछाल रहा है।
142 करोड़ देशवासियों की माला जपने वाला किसी देशवासी पर विश्वास नहीं करता। अनजान व्यक्ति को जाने दीजिए ये अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं पर विश्वास नहीं करता। दिग्गज नेताओं पर तो रत्ती भर नहीं यानी जिस भी शख्स का अपना दिमाग या सोचने विचारने की ताक़त है उस हर देशवासी से डरता है ये सत्ता लोलुप। युवा सोचते हैं और ये खुद भी बोलता है कि मेरे तो आगे पीछे कोई नहीं , मेरे पास तो कार भी नहीं है! दस लाख का सूट तो आप सब ने देखा ही था. इसका सगा कौन है? इसके सगे हैं वो पूंजीपति जिसके लिए ये जिओ जिओ कर रहे हैं। , और जिनके विमानों में बैठकर लोकसभा में पहुंचे हैं।
ये मोदी इतना ‘डरा हुआ है हर धार्मिक स्थल पर घूम रहा है क्यों? हिंदुत्व का इकलौता ‘सिद्ध’ पुरुष बनना चाहता है। सत्ता का ये सबसे बड़ा संत, ‘व्यक्तिवाद’ को स्थापित करना चाहता ताकि देश संसद की बजाए इसके एकाधिकार से चले।
हर कीमत पर चुनाव जीतना और चुनाव ‘जीतना’ ही लोकतंत्र है . चुनाव मेरी वजह से जीता इसलिए में ही लोकतंत्र हूँ।, मैं लोकतंत्र हूँ , भारत में लोकतंत्र है इसलिए मैं ही भारत हूँ .भारत ‘हिन्दू’ है क्योंकि मैं हिन्दू हूँ।
इतिहास गवाह है कि 1920 के आसपास यूरोप के एक देश में इसी तरह के व्यक्तिवाद और राष्ट्रवाद का जन्म हुआ था और पूरी दुनिया तबाह हो गयी थी। . इसलिए सिर्फ़ चुनाव जीतने को ‘लोकतंत्र’ समझना,लोकतंत्र की हार है लोक तंत्र के लिए बड़ा खतरा है।
संवाद;पिनाकी मोरे