हरियाणा में उस वक्त कोर्ट का फैसला आने से पहले सभी इंटरनेट सेवाएं बंद कराई गई थी, ऐसे में C.M खट्टर ट्वीट करके शांति की अपील किन लोगों से कर रहे थे बात कुछ समझ से परे है, ये तो वैसे हुआ जैसे किसी अंधे को टोर्च जलाकर राह दिखाना !

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रिपोर्टर.

राम रहीम को दोषी ठहराए जाने के बाद हुई हिंसा में पंचकूला और सिरसा में कम से कम 31 लोगों की मौत हो गई है !

पूरे मामले में कई पॉइंट्स समझ से परे है, कौन सी सियासत छिपी है लोगों को मरते हुए देखने के लिए ?
कोर्ट का फैसला आने से पहले ही डेरा सच्चा सौदा के समर्थकों ने पंचकूला में डेरा डालना शुरू कर दिया था !

कोर्ट ने हरियाणा सरकार को कहा था कि वो समर्थकों को वापस भेजे और पंचकूला का डेरा खाली कराए. लेकिन खट्टर सरकार ने झूठ बोला की हालात काबू में हैं।
इलाका खाली कराया जा रह है. अगर सब कुछ काबू में था, डेरा को खाली कराया जा रहा था तो फिर कहां से इतनी भीड़ आ गई ?

क्यों सेना से गुंडे भिड़ पड़े. क्यों 31 लोगों की मौत हो गई ? शायद इन सवालों का जवाब कभी नहीं मिल पाए ?
खट्टर सरकार पहली बार नाकाम नही हुई है. इससे पुर भीे जाट आंदोलन के वक्त हुई हिंसा और बाबा रामपाल की गिरफ्तारी के बाद हुए संघर्ष के वक्त भी राज्य प्रशासन की खामियां सामने आई थीं।

इस बार खामियों को देखते हुए पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने लगातार दूसरे दिन हरियाणा सरकार को जमकर फटकार लगाई है ।

कोर्ट का कहना है कि राजनीतिक फायदे के लिए यह हिंसा होने दी गई. कोई भी संगठन अगर लॉ एंड ऑर्डर के खिलाफ जाएगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी ?

हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा कि : जब डेरा प्रमुख के साथ आने वाली गाड़ियों की संख्या तय थी तो 100 से ज्यादा कारें उनके काफिले में कैसे पहुंच गईं ?

इंटेलिजेंस इनपुट्स होने के बावजूद सरकार ने भीड़ को काबू करने के लिए पर्याप्त कदम क्यों नहीं उठाए ?
धारा 144 लागू होने के बावजूद इतनी बड़ी तादाद में लोग पंचकूला कैसे पहुंच गए ?

फ़ैसला आने से पहले हरियाणा और पंजाब में इंटरनेट सेवाओं पर 72 घंटों के लिए रोक लगा दी गई थी ।

लेकिन हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ट्वीट करके शांति की अपील किन लोगों से कर रहे थे, ये बात तो कतई समझ नहीं आई. ये तो वैसे ही हुआ जैसे किसी अंधे को टॉर्च जलाकर रास्ता दिखाना ?
खट्टर ने ट्वीट किया, ”मैं सभी प्रदेश वासियों से शांति बनाये रखने एवं प्रशासन का सहयोग करने की अपील करता हूं, धन्यवाद!”

शायद दूसरे राज्यों के लोगों से कह रहे होंगे कि शांति बनाए रखिए. या फिर मीडिया में अपनी इमेज बनाए रखने के लिए कह रहे होंगे. कुछ समझ नहीं आया किससे अपील कर रहे थे!

कोर्ट का फैसला आने से पहले डेरा समर्थक हथियार लाए थे. लेकिन अपने गुरु के निर्दोष साबित होने पर बांटने के लिए मिठाई लेकर कोई भी नहीं आया था !

यानी सब जानते थे कि सच्चाई क्या है? तभी तो न फूल की माला लिए खड़े दिखे और न मिठाई के डिब्बे, दिखे तो सिर्फ पत्थर, डंडे और आग!

कोर्ट में बाबा को समझ ही नहीं आया कि फैसला क्या हुआ है? जबकि बाबा तो भक्तों के भगवान थे, फिर क्यों समझ नहीं पाए. जब जज ने दोषी ठहराया तो राम रहीम बिना किसी रिएक्शन के खड़े रहे. फिर उनके वकील को समझाना पड़ा बाबा आप तो नप गए. सज़ा मिलेगी अब ?

साक्षी महाराज ने राम रहीम के बचाव में ऐसी ऊलजलूल बात कहीं कि समझ ही नहीं आईं !
अक्सर ऐसी बाते करने वालों के बारे में लोगों को ये कहते हुए सुना है कि चोर की दाढ़ी में तिनका ।

राम रहीम के जेल जाने पर साक्षी महाराज ने कहा,
”मैं न्यायपालिका का बेहद सम्मान करता हूं, पर मैं एक बात ज़रूर कहना चाहूंगा. यौन शोषण की शिकायत सिर्फ एक आदमी ने की है. करोड़ों लोग बाबा को सच्चा मान रहे हैं, भगवान मान रहे हैं. ऐसे में एक की बात तो सुनी जा रही है, लेकिन करोड़ों लोगों की कोर्ट क्यों नहीं सुन रही है?”
क्या मतलब हुआ इस बात का, कोई साक्षी महाराज से पूछे?

ये चुनाव नहीं बल्कि कोर्ट का फैसला है, जहां लोगों को बहकाकर इलेक्शन नहीं जीता जाता महाराज!
सबूत के आधार पर फैसला सुनाया जाता. प्रवचन काम नहीं आते!

उन्नाव लोकसभा सीट से भाजपा के सांसद हैं. इनपर भी साल 2000 में रेप और हत्या का आरोप लगा था!

तिहाड़ जेल में भी रह चुके हैं. शायद मोदी सरकार को साक्षी महाराज की बात समझ में आ गई होगी, कि आखिर वो राम रहीम के बारे में क्या कहना चाहते हैं ?
हरियाणा में आर्मी ने फ्लैग मार्च किया. साधारण लोगों के मन में आर्मी के लिए प्यार होता है ।

देशभक्ति होती है और जब आर्मी फ्लैग मार्च करे तो लोगों के मन में खौफ आ जाए।
मगर राम रहीम को जैसे ही रेप करने का दोषी ठहराया गया, उसके गुंडों ने हिंसा शुरू कर दी।

आर्मी पर पत्थरबाज़ी की हथियार लेकर मुकाबला करने खड़े हो गए! तो फिर कौन लोग थे ये कहां से आए थे , जिनके मन में देशभक्ति नहीं थी ?
आर्मी से प्रेम नहीं था , आतंक मचाने वाले साधारण लोग तो हो नहीं सकते ?
एक रेपिस्ट बाबा को बचाने के लिए आर्मी पर हमला समझ नहीं आया ?

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