सावधानी बरतें सोशल मीडिया पर लगेगा पहरा, हेट कॉमेंट लिखने पर होगी 3 साल तक की सजा ?
रिपोर्टर.
सावधान! सोशल मीडिया पर जल्द ही सरकारी पहरा लगने जा रहा है।
यदि किसी व्यक्ति के लिखे कॉमेंट या कंटेट से अन्य शख्स को ठेस पहुंचेगी, दंगा-अफवाह या प्रतिकूल हालात की आशंका होगी तो फिर उस कॉमेंट या कंटेट लिखने वाले को अधिकतम तीन साल की जेल हो सकती है।
साथ ही, ऐसे ऑनलाइन कंटेट या कॉमेंट को शेयर, फॉरवर्ड या रीट्वीट करने वालों को भी यही सजा मिलेगी।
केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया पर ऐसे कंटेंट के बढ़ते ट्रेंड पर काबू करने के लिए यह फैसला किया है।
इसके लिए अलग से कानून बनाने के बजाय मौजूदा इंडियन पीनल कोड (IPC) और आईटी ऐक्ट 2000 की धारा में ही बदलाव होगा।
कानून में किस तरह चेंज हो, इसकी रिपोर्ट 10 विशेषज्ञों की कमिटी सरकार को सौंप चुकी है।
सूत्रों के अनुसार सरकार कमिटी के प्रस्ताव से मूल रूप से सहमत है और जल्द ही इसे कैबिनेट में मंजूरी मिल सकती है।
यह होगा बदलाव आईपीसी 153सी के तहत ही ऑनलाइन हेट या अफवाह फैलाने वाले कंटेंट पर कार्रवाई होगी।
इस धारा के तहत जाति, धर्म, भाषा, लिंग के आधार पर किसी को धमकी या गलत संदेश दिया जाता है तो 3 साल तक जेल हो सकती है।
आईपीसी 505ए के तहत अगर किसी आधार पर हिंसा फैलाने वाला कॉमेंट करने या कंटेंट लिखने पर एक साल जेल या 5 हजार का आर्थिक दंड मिल सकता है।
आईजी करेंगे साइबर सेल की मॉनिटरिंग
हर राज्य में आईजी स्तर का एक अधिकारी साइबर पुलिस टीम का हेड होगा।
इनके ऊपर साइबर सेल की मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी होगी।
सब इंस्पेक्टर स्तर का अधिकारी हर जिले में इस धारा के तहत कार्रवाई करने को सक्षम होगा।
हर थाने में मॉनिटरिंग टीम होगी। आम लोग यहां शिकायत कर सकेंगे। सोशल मीडिया पर लिखा गया कंटेंट कार्रवाई लायक है या नहीं, यह पुलिस और प्रशासन के ही विवेक पर निर्भर होगा।
इसपर साइबर एक्सपर्ट निखिल पाहवा का कहना है कि 66ए को सुप्रीम कोर्ट असंवैधानिक करार दे चुकी है।
ऐसे में उसके प्रावधान को सीधे या बैक डोर से दोबारा लाना गलत होगा। बीजेपी तब विपक्ष में रहकर इसका विरोध कर चुकी है।
लिहाजा ऐसे कानून को लाने से पहले जनता की राय ली जाए!