साथ बैठकर सुख दुख की बातें करना अब हो गया मुहाल
संवाददाता
ये तो सभी जानते है कि हर किसी के पहले वाले दिन नही रहे जब
साथ बैठ कर दुख-सुख की बातें हुआ करती थी लेकिन अब हो रही हवा हवाई..!
जब से मोबाइल मोबाइल का दौर शुरू हुआ ,जिसकी लत सभी को ऐसी लगी है कि मोबाइल हाथों से कभी छूटने का नाम नहीं ले रहा है नहीं किसी खास लोगों से मिलने जुलने की किसी को फुर्सत रही है। मोबाइल के इस्तेमाल में पूरी दुनिया गुम हो गई है। चैन की नींद पर भी इसका प्रभाव देखा गया है अच्छी नींद के लिए जो समय होता है वह मोबाइल चलाने से प्रभावित हुआ है!
मोबाइल के चलने से छोटे बच्चे भी इसमें उलझ गए है। हमेशा समाहित गेम में उलझे रहते हैं। मोबाइल की वजह से बच्चों को वीडियो वगैरह पसंद आने से उसे देखने के आदि बच्चे खाना खाते समय भी उसे देखते रहते हैं।
महिलाओं द्वारा पहले के समय में साझा प्रयासों से काम करने, खाद्य सामग्री बनाने साथ बैठ कर दुख-सुख की बातें करने में भी अब काफी कमी आई है!वही लोगों का कार्यालयों में ज्यादा मोबाइल का उपयोग, वाहन चलाते समय कंधे और कान के मध्य दबा कर मोबाइल पर बात करना, मोबाइल पर नित्य संदेश एक दूसरे को भेजना और अगर नहीं दिया तो नाराजगी का उत्पन्न होना जैसी स्थिति निर्मित होना स्वाभाविक होने लगी है!
इस तरह से ये प्रक्रिया अब हर किसी की जिंदगी के लिए तनाव को जन्म देती हुई नजर आ रही।मोबाइल है कि हर किसी के हाथों से छूटने का नाम तक नहीं ले रहा है जिसकी वजह से बीमारियां शरीर को लपेटे में ले लेती नजर आ रही है! कुल मिलाकर यह है कि मोबाइल का हमें जरूरत के हिसाब से उपयोग करना चाहिए इसका ज्यादा उपयोग हमारी जीवन शैली के घरेलू आवश्यक कार्य की गति को धीमा करने के संग लत का शिकार बनाती जाती है। मोबाइल की वजह से पति पत्नी के रिश्तों में तक दरार आ रही है। जिधर देखिए दूसरे के बीच रिश्तों में दुश्वरिया बढ़ती जा रही है। कहीं तनाव है तो कहीं मनोरंजन का समा है।तो कहीं पर खुशियां का माहौल है तो कहीं पर बेहद लफड़े झगड़े की पैदावार बढ़ने लगी है। लेकिन हर किसी को मोबाइल ने पागल बना कर छोड़ दिया है।
संवाद:मोहमद अरशद यूपी