राजस्थान सरकार रोजगार देने के बजाय क्यों बेरोजगारी बढ़ाने पर तुली है? C.M.ने छेड़दिया नया शिगूफा !
रिपोर्टर.
इसी क्रम में अब वसुन्धरा राजे सरकार ने नया शिगुफा छेड़ दिया है।
इस शिगुफे के तहत पिछले एक दशक से काम कर रहे ई-मित्र कियोक्सधारियों को आगामी दिसम्बर से 6 चरणों में परीक्षायें देनी पड़ेगी।
यानि कि अपना सब काम छोड़ कर ये कियोक्सधारी बेरोजगार होकर परीक्षा दे कर पुन: राजस्थान की वसुन्धरा राजे सरकार से रोजगार प्राप्त करने के लिये लाईन लगायेंगे।
कियोस्कधारकों के सालों के अनुभवन का सत्यानाश!
राजस्थान में स्व.हीरालाल शास्त्री से लेकर श्रीमती वसुन्धरा राजे तक बीसियों मुख्यमंत्री रहे।
लेकिन एक ने भी मुख्यमंत्री पद के लिये कोई योग्यता परीक्षा नहीं दी।
वहीं सैंकड़ों केबीनेट मंत्री, राज्यमंत्री और उपमंत्री भी बने लेकिन किसी ने भी अपने पद प्राप्ति के लिये योग्यता परीक्षा नहीं दी।
योग्यता परीक्षाओं की आड़ लेकर स्वरोजगार प्राप्त मध्यमवर्गीय परिवारों के जिनमें वरिष्ठ महिलाएं और नागरिक भी है।
ईमित्र कियोस्कधारियों को जानबूझ कर शरारतन बेरोजगार करने के पीछे राजस्थान की वसुन्धरा राजे सरकार की क्या मंशा हो सकती है यह तो वही जाने?
लेकिन हमारा आग्रह है कि पहले मुख्यमंत्री की दौड़ में लगे आशार्थियों को उक्त पद पर नियुक्ति हेतु ऑनलाईन परीक्षा देनी चाहिये।
इसी तरह राजस्थान में केबीनेट मंत्री, राज्यमंत्री व उपमंत्री की दौड़ में लगे आशार्थियों को भी ऑनलाईन योग्यता परीक्षा देनी चाहिये!
आम जनता का ध्यान चिकित्सकों की हड़ताल से अभी-अभी हटा नही ही है !
अब ई-मित्र कियोस्कधारियों की हड़ताल से होने वाली परेशानियों की आड़ लेकर सरकार आम जनता का ध्यान भटकाने की तैयारी कर रही है!
महज ईवीएम में हेराफेरी कर मंत्री पद प्राप्त करने वालों को अब गहराई से समझ लेना चाहिये कि आम अवाम उन्हें चोट मारने के लिये तैयार है!