मौत क्या है , क्या रूह को कभी मौत नहिआति ?
रिपोर्टर.
मौत ये है क़ि रूह बदन से निकल जाये लेकिन निकल कर रूह मिट नहीं जाती बल्किे आलमें बरजख सेफ रहती है।
क्या रूह कभी मरती है? इस सवाल के जवाब में बताया जाता है क़ि रूह मरती मिटती नहीं बल्किे बाकी रहती है।
और जिस हाल में भी हो और जहाँ कहीं भी हो अपने बदन से एक तरह का लगाव रखती है!
बदन के तकलीफ से उसे भी तकलीफ होती है और बदन के आराम से आराम पाती है।
जो कोई कब्र पर आये उसे देखती पहचानती है उसकी बात सुनती है ।
और मुसलमान की रूह की निस्बत (लगाव) तो हदीस शरीफ में आया है क़ि जब मुसलमान मर जाता है तो उसकी राह (रास्ता) खोल दी जाती है जहाँ चाहे जाय।
जो ये माने क़ि मरने के बाद रूह मिट जाती है वो बद-मजहब है। मुरदा कलाम भी करता है। उसकी बोली जीन और इन्सानों के सिवा हैवानात (जानवर वगैरह) वगैरह सुनते भी हैं!