मोबाइल और आन लाइन क्लासेज के कारण स्कूली बच्चों को लग रहे नंबरिंग चश्मे, जिम्मेदार कौन?

लॉक डाउन के समय
मोबाइल और आन लाइन क्लासेज के चलते स्कूली बच्चों को लग रहे है नंबर के चश्मे।

बीते दिनों के कोविड के बाद आन लाइन क्लासेज ने स्कूली बच्चों के आंखों पर चढवा दिया है चश्मा। यहीं नहीं बचपन में ही चश्मे का नंबर बढ़ने लगा है।
वहीं दूसरी ओर आंखों में मोतिया बिंदु जैसे मामले भी तेजी से बढ़ रहे है।

इसकी वजह ज्यादा देर तक मोबाइल स्क्रीन पर नजर बनाए रखना और स्टे रॉयड युक्त दवाई का इस्तेमाल इसका प्रमुख कारण माना जा रहा है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ष 2000में विश्व दृष्टि दिवस की शुरआत की। इस वर्ष की थीम अपनी आंखों से प्रेम करो रखा गया है। परंतु आंखों को लेकर परिजन और बच्चे दोनो ही लापरवाह नजर आ रहे है।
बाली उमर में ही बच्चों की आंखों पर नंबरिंग चश्मे और ऑपरेशन तक की नौबत आने लगी है।
कोवीड के बाद यह समस्या और भी विकराल होने लगी है।

विगत कोवीड का लाक डाउन आन लाइन क्लासेज प्रोग्राम से बच्चों की दृष्टि क्षमता को ज्यादा असर कर रहा है। मोबाइल स्क्रीन पर लगातार नजर रखने से बच्चों को अस्पताल तक पहुंचा दिया है।

गांधी आई, अस्पताल में सिएमओ डॉक्टर अजय सक्सेना ने बताया कि एंड्रॉयड स्क्रीन की नजर से बच्चों की आंखों में इन्फेक्शन की शिकायते बढ़ती जा रही है। जिसके कारण आंखों में खुजलि आंखों से पानी निकलना, सूजन और लालिमा जैसी शिकायते ज्यादा है।

आंखों की जांच में सबसे ज्यादा बच्चों की नजदीकी नजर प्रभावित हो रही है। जोकि यह शिकायत बेहद ही खतरनाक है। क्योंकि अक्सर युआ और वयस्क वर्ग में सबसे पहले दूर की नजर कमज़ोर होने की शिकायत आ रही है। लेकिन मोबाइल गैजेट और एलसीडी स्क्रीन का लगातार इस्तेमाल होना यह समस्या विकराल होती जा रही है।

वहीं बच्चों के खान पान पर उनके परिजनों की नजर बनाए रखने की खास जरूरत है। जिस में फास्ट फूड से परहेज़ रखे और हरी सब्जियों का ज्यादा इस्तेमाल करे।

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