मुसलमानों पर जुल्मोसितम ढाने वाले कोई और नहीं खुद ही जान ले, तो समझ में आ जाएगा

इतने जुल्मों सितम होने के बाद भी आज भी मुसलमानो के पहले नंबर के दुश्मन ख़ुद मुसलमान बने हुए हैं। तब जा कर दूसरे तीसरे नंबर में औरों का नंबर आता है।

यक़ीन न हो तो ये 7 पॉइंट में समझें।

1-करोड़ों अरबों की वक़्फ़ की ज़मीन को बेच रहे, क़ौम के ज़रूरतमंद लोगों के लिए डेवलप नहीं कर रहे, वो सब मुस्लिम हैं।

2-मदरसा में क़ौम के सिर्फ़ 4 फ़ीसद बच्चे पढ़ते हैं बाक़ी बचे 96 फ़ीसद बच्चे के लिए न मदरसा वालों को फ़िक्र है न मस्जिद वालों को फ़िक्र है, न वो मदरसा में अच्छे कोचिंग शुरू करते हैं,न वो स्कूल चलाते हैं न किसी को चलाने देते हैं। सिवाये 1-2% को छोड़ कर।
ये सब मुस्लिम हैं।

3-बहुत सी जगह में क़ौम के उर्दू स्कूल कम्यूनिटी मैनेज स्कूल मौजूद हैं। लेकिन नीच और घटिया लेवल की राजनीति की वजह से वो सब बर्बाद हैं। न उसे डेवलप किया जाता है, न करने दिया जाता है, चाहे मसलक की वजह से, या चंद लोगों के पेट पलने की वजह से हो या ख़ानदानी क़ब्ज़े की वजह से हो, ये सब क़ौम का सरमाया बर्बाद हो रहा है।
ये सब मुस्लिम कर रहे हैं। कोई और नहीं!

4-मुसलमानो में अगर इत्तिहाद हो जाए तो वो क्या रिज़ल्ट दे सकते हैं? वो कर्नाटक की शक्ल में सबके सामने है…
लेकिन इत्तिहाद से रोकने वाले कोई ग़ैर नहीं ख़ुद मुसलमान हैं।
5-मुसलमान भाई भतिजवाद कर के असल हक़दार, असल ज़रूरतमंद को मदरसा स्कूल कॉलेज में नौकरी पे नहीं रखते हैं। इस वजह से लोग चंदा नहीं देते हैं और क़ौम का नुक़सान होता जाता है।
ये सब मुसलमान कर रहे हैं।

6-बहुत से मस्जिद मदरसा कमेटियाँ अपने अवाम को अपने चंदा देने वाले को पैसे का हिसाब नहीं देती हैं इस वजह से लोग चंदा नहीं देते हैं। जब पैसा नहीं होगा तो क़ौम का डेवलपमेंट क्या ख़ाक होगा?
ये सब मुस्लिम ही कर रहे हैं न?
7-बहुत से क़ौम के डेवलपमेंट के काम इलाक़े की 10-20 या 50 या ब्लॉक/ तालुक़ा लेवल की मस्जिद कमिटीयाँ आपस में मिलकर मसाजिद कमिटी बना कर ख़ुद कर सकती हैं स्कूल, कॉलेज,कोचिंग सेंटर, हॉस्पिटल, बैतुलमाल वग़ैरह ख़ुद बना सकती हैं
लेकिन नहीं बनाती हैं क्योंकि रुकावट डालने वाले ख़ुद मुसलमान हैं।

मुसलमानो को कौन सबसे ज़्यादा नुक़सान पहुँचा रहा है क़ौन तरक़्क़ी करने से रोक रहा है?
क्या मुसलमानो के पहले नंबर का दुश्मन ख़ुद मुसलमान नहीं है ?
अब आप ख़ुद से सवाल करें कि पहले नंबर के सबसे बड़े दुश्मन से निपटने के लिए आप कितना मेहनत कर रहे जिससे आप को फ़ौरन रिज़ल्ट भी मिलेगा इंशा अल्लाह।

संवाद:मोहमद इमरान

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