मुम्बई ट्रैफिक पुलिस प्रशासन बेख़बर , उक्त खराब सिग्नल का ज़िम्मेदार कौन !
मुंबई.
मुम्बई शहर में पट्ठे बापूराव मार्ग वाले ताड़देव ब्रिज स्थित के ट्रैफिक सिग्नल की घटिया तथा जटिल समस्या से यातायात को पटेशनी से जूझना पड़ रहा है। लेकिन ट्रैफिक पुलिस प्रशासन शायद बेखबर है।
इसे देखने के बाद पता चल सकता है, कि पट्ठे बापूराव रोड पर स्थित के नवजीवन सोसायटी के पास ही में ताड़ देव ब्रिज के आखरी छोर पर लेफ्ट साइट में मौजूद ट्रैफिक सिग्नल की दर हकीकत ये बयां करती है कि
पिछले कुछ लंबे अरसे से इस सिग्नल की ओर किसी ट्रैफिक पुलिस का कतई ध्यान नही है। बल्कि अगर रेड लाइट लगातार 5 मिनिट तक जारी रहता है।
दो से तीन सेकण्ड के ग्रीन सिगनल की लाइट तुरंत बंद हो जाना और तुरंत येलो सिग्नल को देख कोई किसी वाहन चालक द्वारा टेंशन में मजबूरन जल्दी में सिग्नल पार करने के चक्कर में यदि सिग्नल तोड़ दिया गया तो समझो उसे कानून के तहत पुलिस द्वारा ट्रैफिक चालान का बकरा बनाया जाता है।
ताड़ देव ब्रिज की ओर से नवजीवन की तरफ या इसके आगे वाली राह की ओर रोजमर्रा गुज़र रहे हज़ारो वाहनों को तो इस सिग्नल की वजह से इसे पार करते करते नाक में दम आजाता है।
रोज़ाना ब्रिज के लेफ्ट साइट में बेहिसाब सीएनजी टैक्सियों की भीड़ घन्टो घंटो तक कतार में खड़ी रहती है। इस से भी ट्रैफिक जाम होने लगता है।
तो दूसरी ओर बीच वाली कतार में भी यही हाल देखा जा सकता है।
उक्त स्थान पर मौजूद ट्रैफिक सिग्नल खंभे में लगभग 4 से 5 मिनिट तक रेड लाईट सिग्नल चालू रहता है ।
उसके बाद तो ग्रीन सिग्नल की पीड़ा ऐसी बनी रहती है कि सिर्फ दो से तीन सेकंड तक ही खुला रहता है और उस के फौरन बाद येलो और रेड चलने लगता है।
ऐसे में केवल दो या तीन वाहन ही जैसे तैसे आगे की ओर गुज़र जा पाते है। उसके बाद फिर 5 मिनिट तक
ग्रीन सिग्नल होने का इंतज़ार करते रहना पड़ता है।
तबतक तो बे हिसाब वाहनों की यहां लंबी कतारों में तांता लग जाता है। जिसकी वजह से घंटो चक्का जाम हो जाता है।
बताते है, कि कभी कभार इस सिग्नल के 10 से 20 मीटर की दूरी पर लम्बी कतार में खड़ी वाहनों को इस सिंग्नल को पार करने की कोशिश में दसोबार ग्रीन लाईट होने के इंतज़ार में महज़ आधे से पौने घन्टे तक का वक्त मजबूरन बिताना पड़ता है।
ऐसी स्थिति में प्रति दिन ओ रात के वक्त यहां से गुज़र रही हज़ारो टेक्सीयो या ओला कार से सफर कर रहे पैसेंजर्स को महज़ दुगना किराया भरने को मजबूर होना पड़ रहा है।
इस लिए इन सभी जटिल समस्याओ की वजह को देख ट्रैफिक पुलिस प्रशासन को मौजूदा सिग्नल में चल रही खराब तकनीकी को तुरंत ही चुस्त दुरुस्त और, ठीक करवाना निहायत ही ज़रूरी है।