मध्यांचल विद्युत वितरण निगम में लौटा भ्रष्टाचारियों का सुनहरा दौर,
वाह रे मध्यांचल विद्युत वितरण निगम
लखनऊ 22 दिसम्बर* : लखनऊ के चारबाग स्थित रविन्द्रालय मे राज्य विद्युत परिषद जूनियर इन्जीनियर संगठन का हीरक जयन्ती के उपलक्ष मे वर्ष का वार्षिक सम्मेलन आयोजित हुआ था इसी मे जूनियर इन्जीनियर संगठन का चुनाव भी हो रहा था। मंत्री जी का आगमन और लोगो को सम्मानित करने के कार्यक्रम हो रहे है।
नेता जी आश्वासन दिया इसी बीच घूमते हुए मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के मुख्यालय पहुच गया बहुत दिन हो गये थे भ्रष्टाचारियो की खबर लिए हुए तो पहुंच गये मध्यांचल मुख्यालय। पत्रकार है तो जाहिर है खबर को सूधेगे ही तो फिर नाक कान खोल कर खबर सूधने का काम शुरू किया तो होने लगी चर्चाए।उन चर्चाओ के जरिए पता चला कि आज कल मध्यांचल मे खूब चल रहा है चादी का जूता।
जिसको जो मलाई खानी हो वो जेब मे चादी का जूता ले कर मुख्यालय पहुचे और कमरा बन्द कर बडकऊ को कस कर लगाऐ, और मलाई खाने व लूट की छूट का आदेश प्राप्त कर सकता है। वर्तमान समय मे पद्दोनती ना होनी की वजह से अधीक्षण अभियन्ताओ की कमी झेल रहे मध्यांचल विद्युत वितरण निगम मे अवैध रूप से नियुक्त बडका बाबू ने इसका खूब फायदा उठाना शुरू किया। अपने प्रिय अधीक्षण अभियन्ताओ को कई कई अतिरिक्त कार्यभार सौपा ऐसे ऐसे नियुक्तिया और अतिरिक्त कार्यभार प्रदान किया गया है जो कि कल्पना के भी परे है।
तो पाठको को रायबरेली के भ्रष्टाचारी अधीक्षण अभियन्ता विद्युत वितरण मण्डल रायबरेली द्वितीय मे तैनात थे और साथ मे अतिरिक्त कार्यभार विद्युत वितरण मण्डल प्रथम का भी कार्यभार देख रहे थे। तब गंगा एक्सप्रेस वे की निविदाओ मे इनका खेल समय का उपभोक्त समाचार पत्र ने ही उजागर किया था।
जिससे की निविदा निरस्त हुई और फिर से निविदाऐ प्रकाशित कराई गयी थी अब इसी भ्रष्टाचारी को विद्युत वितरण खण्ड द्वितीय से हटा कर वितरण मण्डल प्रथम मे मूल रूप से नियुक्त कर दिया गया और और द्वितीय का अतिरिक्त कार्यभार प्रदान कर दिया गया।
मध्यांचल विद्युत वितरण निगम मे ऐसी तैनाती कभी नही हुई थी वैसे विद्युत वितरण मण्डल प्रथम मे तैनात अधीक्षण अभियन्ता को हटा कर उन्नाव मे तैनात किया गया और वहाँ पर तैनाती के जो पुराने आदेश थे उनको निरस्त कर दिया गया। यानि कि इस मे चला खूब चादी का जूता । वैसे मध्यांचल मुख्यालय मे एक अधीक्षण अभियन्ता जो सेकेनडरी वर्कस लखनऊ जोन मे तैनात है उनके उपर तो विषेश से भी बढ कर कृपा करी गयी है।
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उनको सामग्री प्रबन्धन और खरीदी गयी। समग्री के निरीक्षण दोनो अधीक्षण अभियन्ता पद का अतिरिक्त कार्यभार प्रदान कर दिया गया है यानि कि समान कुछ भी खरीदो चाहे कबाड और उसका निरीक्षण कर के पास भी खुद ही कर लो इसे ही कहते है लूट की छूट। परन्तु सोने पर सुहागा तो तब हुआ जब मध्यांचल के सबसे भ्रष्टाचार बाबू को भी पद विस्तारित कर के लेसा सिस गोमती के मण्डल सात से मुख्यालय लाकर सामग्री प्रबन्धन मे निविदाओ का काम सौप दिया गया।
जबकि सर्वविदित है कि इसी (सीए ) पी सी श्रीवास्तव के भ्रष्टाचार के कारण जब बी बी सिंह प्रबंध निदेशक मध्यांचल हुआ करते थे और मुख्य अभियन्ता के बी राम व अधीक्षण अभियन्ता रामस्वरूप हुआ करते थे तब पूर्व मे लोकायुक्त एन के मेहरोत्रा ने एक बडी कार्रवाई की थी।
जिसमे प्रबन्धन निदेशक से ले कर अधीक्षण अभियन्ता तक पर गाज गिरी थी बस पर कार्यवाई हुई थी और यह भ्रष्टाचारी सस्पेनड भी हुआ था और विभागीय जांच हुई थी अभी कुछ समय पूर्व ही जब इसकी तैनाती लेसा ट्रास गोमती के विद्युत वितरण मण्डल 10 मे थी तब भी डी टी मीटर की निविदा संख्या 154/17-18 मे तो गायत्री इण्टर प्राइजेज जानकी पुरम के फिक्स डिपॉजिट पर सफेदी लगा कर शिवपुरी पावर प्रोजेक्ट प्रा लिमिटेड के पक्ष का बना कर निविदा स्वीकृत भी करा दी थी और आज तक वो 20000 ₹ का फिक्स डिपाजिट सस्था को वापस नही किया जा रहा है सस्था के द्वारा मागने पर धमकाया जाता है।
बाद मे फिक्स डिपजिट मे फ्लूड लगने के काण्ड का राज खुलने पर पूर्व अधीक्षण अभियन्ता एन के मिश्रा का स्थानांतरण हरदोई कर दिया गया था लेकिन एफ डी ना वापस हुई* । क्या यह सब तैनातिया प्रमाण नही है और यह तैनातिया भ्रष्टाचार को प्रमाणित भी कर रही है और चीख चीख कर कह रही है कि मध्यांचल मे तैनात अनुभवहीन बडका बाबू के राज मे किस तरह से चादी का जूता चला कर मुह सुजाने और मलाईदार पोस्टिग लेने देने का कार्य हो रहा है।
और जब इस सम्बंध मे निदेशक कार्मिक व प्रशासन से बात की गयी तो उन्होने इसे बडका बाबू के आदेश बताऐ और जब बडका बाबू से इस सम्बंध मे बात करने की कोशिश की गयी तो जनाब को फोन उठाने मे भी तकलीफ होती है । जिससे यह प्रमाणित होता है कि इस प्रमाणित भ्रष्टाचार की जड मध्यांचल विद्युत वितरण निगम मे अवैध रूप से तैनात बडका बाबू ही है । खैर
युद्ध अभी शेष है
संहार
अविजित आनन्द संपादक और चन्द्र शेखर सिंह