भ्रष्टाचार और लापरवाही का अड्डा बना ये अस्पताल
तकीम अहमद जिला ब्यूरो
भ्रष्टाचार ओर लापरवाही का अड्डा बना बिछुआ अस्पताल।
बिछुआ
डिलेवरी के लिए आया को देना पड़ते है पैसे नहीं देने पर होती है बेइज्जती इस ओर कोई भी जिम्मेदार। का ध्यान नहीं जाता
जिम्मेदार मोन है क्यों खबर सबको है कि इस आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के अस्पताल में क्या चल रहा है।
बी एम ओ निलेश सिड्डाम सौसर से अप-डाउन करते हैं स्वास्थ्य ख़राब होने के कारण नहीं दे पा रहे सेवा।
बिछुआ। आदिवासी अंचल का एक मात्र अस्पताल है जो आए दिन सुर्खियों में रहता है कभी डाक्टर नहीं रहते तो कभी नर्स नहीं रहती कभी एक्सेरे मशीन खराब रहती है तो कभी एक्सरे फिल्म नहीं होती। गरीब लोग को छिंदवाड़ा जाकर कराना पड़ता है ईलाज
ड्रेसर भी बीना पैसे लिए पट्टी नहीं करते हद तो तब हो जाती है कि गर्भवती महिलाओं को डिलेवरी कराने के लिए आया को ईनाम के तौर पर पैसा मांगा जाता है।
बिना पैसे के कोई काम नहीं करती आया। रोज शिकायत मिलने के बाद भी सुधार नहीं होता है। सुधार इसलिए नहीं होता क्योंकि बी एम ओ निलेश सिड्डाम सौसर से अप-डाउन करते हैं। बताया गया है कि हाल ही में उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं होने से सौसर से अप-डाउन करते हैं। लेकिन इन समस्याओं से बी एम ओ के स्वास्थ्य का क्या संबंध है शासन के नियम निर्देश का क्या क्या इनके लिए अलग नियम है? इसका जिम्मेदार कौन है? भगवान ना करे कभी कोई बड़ी घटना हो गई तब क्या प्रशासन क्या अपनी जिम्मेदारी मानकर घटना कि जिम्मेदारी कोन लेगा जो जिम्मेदार है।
उनके द्वारा खानापूर्ति कर मिटीगं लेकर निर्देश तो दे दिए जाते हैं लेकिन क्या उस पर धरातल पर कार्य किया जाता है? आए दिन उप स्वास्थ्य केन्द्र बंद रहते हैं कोई मोनिटर्रीगं नहीं करता चोर चोर मौसेरे भाई कि कहावत यहां सही बैठती है व्यवस्था के नाम पर सरकारी पैसा तो जमकर खर्च किया जाता लेकिन व्यवस्था है के सुधरने का नाम नहीं ले रही है।
भविष्य ख़तरे में है महिलाओं को मजबूरन पैसे देने पड़ते हैं। देखना होगा कि कोई कुंभकर्ण कि निदं से जाग जाए तो सुधार आ जाएगा।
जनप्रतिनिधि भी इस ओर ध्यान नहीं देते पता सब है लेकिन समझ से परे है कि क्यों नहीं दिया जा रहा है। स्वास्थ्य जैसी महत्वपूर्ण संस्था का लाभ सबको बराबर मिलना चाहिए परंतु ईलाज सब को चाहिए लेकिन इस प्रकार हो रही लापरवाही के तरफ ध्यान किसी का नहीं है।