भाजपा मे मची खलबली दागी व विवादित विधायकों का कटेगा टिकट !
भोपाल :- आगामी विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों की छवि को राजनीतिक दल मुद्दा बनाएंगे।
फिलहाल दोनों दलों में दागी नेताओं की भरमार है।
अगले चुनाव के लिए भाजपा बेदाग छवि के नेताओं को चुनाव में उतारने की तैयारी कर री है। इसको लेकर रणनीति भी बन चुकी है।
दागी और आपराधिक छवि के नेताओं को चुनाव में टिकट नहीं दिया जाएगा।
टिकट तय होने से पहले प्रत्याशियों की समाज में छवि को भी देखा जाएगा।
फिलहाल पार्टी हाईकमान ने टिकट की गाइडलाइन में प्रत्याशी चयन के लिए चुनाव प्रबंधन समिति को फ्रीहैंड देने का फैसला किया गया है।
इसके बाद उसे केंद्रीय चुनाव समिति को भेजा जाएगा।
पार्टी सूत्रों की मानें तो 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा अपने प्रत्याशियों की छवि पर विशेष सावधानी बरतने की कोशिश कर रही है।
चुनाव में जातिगत और भौगोलिक संतुलन को तो पार्टी देखेगी ही लेकिन टिकट के दावेदार की छवि समाज में दागदार, आपराधिक या बाहुबली की होगी तो पार्टी ऐसे प्रत्याशियों से किनारा कर लेगी।
यही वजह है कि पार्टी के द्वारा कराए जा रहे सर्वे में टिकट के संभावित दावेदारों की छवि को लेकर बारीकी से छानबीन कराई जा रही है।
सर्वे में मौजूदा विधायकों की छवि को लेकर भी प्रतिकूल टिप्पणी आई तो उनके टिकट काटे जा सकते हैं।
खासतौर से उनके जिन्होंने विधायक बनते ही परिजनों को ठेकों में लगा दिया।
रातों रात लक्जरी गाड़ियों के मालिक बन गए।
दबंगई ऐसी कि उससे पार्टी की छवि प्रभावित हो रही है। ऐसे विधायकों से भी पार्टी किनारा करेगीI
तय हो चुकी है गाइडलान !
टिकट के लिए जो गाइडलाइन बनाई गई है उसमें दागदार, आपराधिक पृष्ठभूमि या बाहुबली दावेदारों को टिकट नहीं देने का फैसला किया गया है।
इसमें वे लोग भी शामिल होंगे जिनके परिवार या रिश्तेदार के किसी कृत्य से पार्टी को शर्मशार होना पड़ा है!
मौजूदा विधायकों में भी सिर्फ उन्हीं विधायकों को टिकट दोबारा मिलने की उम्मीद है जिनकी छवि बेहतर पाई जाएगी?
टिकट के संभावित दावेदारों की छवि को लेकर बारीकी से जांच पड़ताल कराई जा रही है।
नेताओं का मानना है कि अब कार्यकतार्ओं की रायशुमारी नहीं हो पाती है इसलिए इस बार पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह हर जिले के प्रमुख कार्यकतार्ओं के साथ रायशूमारी कर रहे हैं।
समाज के हर वर्ग के साथ कार्यकतार्ओं की राय भी पार्टी अन्य माध्यमों से ले रही है।
जातिगत वोट बैंक का रहेगा खासा ध्यान विधानसभा क्षेत्र में जिस जाति विशेष के अधिक वोट होंगे।
उस जाति के प्रत्याशी को टिकट में प्राथमिकता दी जाएगी।
इसके साथ ही पिछले विधानसभा चुनाव में जिन विधायकों की जीत का अंतर एक हजार या उससे भी बहुत कम रहा है ऐसे प्रत्याशियों को दोबारा चुनाव मैदान में उतारने से पार्टी परहेज करेगी।
जिन सीट पर पार्टी 20 हजार या उससे अधिक वोटों से जीती है उन प्रत्याशियों को दोबारा टिकट दी जा सकती है।
बगावत की तो होंगे बाहर चौथी बार सरकार बनाने के लिए पार्टी इस बार अनुशासन पर खास ध्यान दे रही है।
गाइडलाइन में यह भी तय किया गया है कि किसी प्रत्याशी की टिकट काटे जाने की स्थिति में उसके द्वारा बगावत करने या पार्टी का माहौल खराब करने की कोशिश की गई अथवा निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिए नामांकन दाखिल किया गया तो उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा।
जिन विधायकों को 2018 में चुनाव लड़ने से पार्टी रोकेगी पहले उन्हीं की सहमति से प्रत्याशी चयन को प्राथमितकता दी जाएगी।
ऐसा प्रत्याशी उनके परिवार, रिश्तेदार या कोई नजदीकी भी हो सकता है।
पार्टी ने यह रियायत सिर्फ इसलिए रखी है कि चुनाव के वक्त माहौल खराब न हो ।